आपका-अख्तर खान

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12 अप्रैल 2022

यारों के यार , हर दिल अज़ीज़ ,, रोतों हुओं को हंसाने वाले , मेरे मामू , साबिर मामू की आज एक साल पुरे होने पर , उनकी बरसी पर खिराज ऐ अक़ीदत पेश है

 यारों के यार , हर दिल अज़ीज़ ,, रोतों हुओं को हंसाने वाले , मेरे मामू , साबिर मामू की आज एक साल पुरे होने पर  , उनकी बरसी पर खिराज ऐ अक़ीदत पेश है ,, अल्लाह उन्हें जन्नतुल फिरदोस में आला मुक़ाम हांसिल करे , उनके बेटों , बेटियों ,, दामाद , बीवी , ,बहन , भाई , हमसभी को सब्र दे , हिम्मत दे , ,,दोस्तों साबिर खान ,,एडवोकेट , नोटेरी , तो थे ,लेकिन वोह , हर शख्स के दुःख दर्द में शामिल रहकर , उनका दुःख दर्द बांटते थे , मदद मरते थे , उनके लिए संघर्ष करते थे , मौक़ा आने पर ऐसे लोगों के हक़ के लिए वोह सड़को पर भी लड़ते थे , तो ज़ुल्म ,, नाइंसाफी करने वाले से  सीधे भी लड़कर , उससे ऐसे मज़लूमों को इंसाफ दिलाते थे ,, आज उन्ही की मगफिरत की दुआएं है, आज से एक साल पहले , दसवें रमज़ान के इसी दिन , साबिर खान हम सभी को रोता बिलखता छोड़ गए , थे , आज हमारे और आपके बीच  अब बस उनकी खट्टी मीठी यादें है ,दुआएं है,
जब तक था दम में दम ,, ना दबे किसी से हम ,, जब दम निकल गया  तो दो गज़ ज़मीन में दफना दिया ,, मिटटी थे , मिट्ठी से बने , मिटटी में खेले ,, किसान थे , मिटटी की कमाई से पले बढे हुए , और फिर इसी मिटटी में मिलकर , अल्लाह को प्यारे हो गए ,, यही बात , एडवोकेट साबिर खान की हालात ऐ ज़िंदगी पर खरी साबित होती है ,, हाड़ोती की एक ही शान , साबिर खान , साबिर खान ,, का नारा अब , थम गया है , साबिर खान , नाम का यह जांबाज़ चिराग अब बुझ गया है , अल्लाह मगफिरत करे , उन्हें जन्नतुल फिरदोस में आला मुक़ाम अता फरमाए ,, ,जी हाँ दोस्तों , साबिर खान , जिनके नाम के कभी हाड़ोती में दलित , अल्पसंख्यक , शोषित , पीड़ित , हाड़ोती की एक ही शान , साबिर खान साबिर खान , के नारे लगाते नहीं थकते थे , अब वोह खुद , थक  कर , हमेशा के लिए सो गया है , और देखते ही देखते , आज उनकी बरसी है , सभी लोग उन्हें खिराज ऐ अक़ीदत पेश कर, उन्हें जन्नतुल फिरदोस में आला मुक़ाम   अता करने की दुआएं कर रहे हैं , झालावाड़ ज़िले में पिड़ावा तहसील के गाँव कड़ोदिया के कृषक , व्यवसायी , ज़मींदार ,, स्वर्गीय इरफ़ान खान के यहां जन्मे ,, साबिर खान ,,  प्रारम्भिक शिक्षा के बाद कोटा में पले , बढे ,, कोटा से  ही उन्होंने , लो ग्रेजुएट पास की ,, खुद ही को कर बुलंद इतना ,के खुदा खुद बंदे से पूंछे बता तेरी  रज़ा क्या है , इसी तर्ज़ पर साबिर खान , स्कूली शिक्षा से ही ,छात्र नेतृत्व से जुड़े रहे , राजकीय महाविद्यालय में , वोह कबड्डी , कुश्ती के खिलाडी रहे ,, वोह  कभी किसी  से दबे नहीं ,   कॉलेज में रैगिंग प्रणाली के  खिलाफ जंग में , इन्होने ,,  रैगिंग लेने वाली सीनियर्स को दौड़ा दौड़ा कर तोबा करवाई ,, साबिर खान ने अपनी ज़िदंगी का सफर ,, रजनीकांत से प्रेरित होकर , राजस्थान रोडवेज में ,, कडंक्टर के रूप में शुरू किया ,  इन्होने ,  ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में भी , ट्रक ,, ,मिनीबस , मिनी ट्रक , संचालन के कारोबार में ,  भी नाम कमाया  ,,, झालावाड़ ज़िले के ग्राम कदोदिया में उनकी अपनी ज़मीन , होने से उन्होंने कृषि में भी , नयी तकनीक से संतरे सहित कई कृषि उपज को बढ़ावा दिया ,,  साबिर  खान ने  सुकेत सहित ,  कई  क़स्बाई क्षेत्रों में , फिल्म  थियेटर का भी संचालन किया ,,  लेकिन   लोगों पर ज़ुल्म , अन्याय के लगातार हादसों ने , उन्हें बदल दिया ,, और साबिर खान ने वकालत करने का फैसला  किया ,,  प्रारम्भ में साबिर खान , ने झालावाड़ ज़िले में ,,  पूर्व विधायक ज्वाला प्रसाद शर्मा के साथ वकालत का प्रशिक्षण लिया ,फिर ज्वालाप्रसाद के  विधायक , निर्वाचित होने पर , उनके कामकाज  को ज़िम्मेदारी से संभाला ,, साबिर खान , कोटा जब  आये तो उन्होंने प्रारम्भ में , पूर्व न्यायधिपति , स्वर्गीय  शिवकुमार शर्मा के साथ  भी ,  वकालत के गुर सीखे , फिर कोटा में वोह सिविल , लेबर , पारिवारिक मामलात , और खासकर , मोटर यान दुर्घटना मामलों में ख्यातनाम हो गये ,,  साबिर खान सेंट्रल नोटेरी भी रहे   ,, 1989  में  कोटा के साम्प्रदायिक सद्भाव को जब नज़र लगी , और दंगे फसादात का माहौल शुरू हुआ ,तब , एक तरफा तरीके से  फ़र्ज़ी   , झूंठे मुक़दमे बनाये जाने लगे , तो साबिर खान , दलित , अल्पसंख्यक ,,  शोषित ,  उत्पीड़ित वर्ग के , योद्धा ,  उनके मसीहा के रूप में ,,जान हथेली पर लेकर सामने आ गये ,, ,  साबिर खान अनावश्यक फ़र्ज़ी  मुक़दमे बनाकर , लोगों की गिरफ्तारी के विरोध में , जिला प्रशासन , पुलिस , पुलिस  के अधिकारियों से सीधे मुक़ाबिल रहे ,   उन्होंने कई दर्जन ,  फ़र्ज़ी मुक़दमों में गिरफ्तारियों की कोशिशों को , अपने संघर्ष से रुकवा दिए , साबिर खान एक तरफ कोटा शहर में गरीबों , दलितों , उत्पीड़ितों के मसीहा थे , तो दूसरी तरफ , घर घर , गली गली , मोहल्ले मोहल्ले जाकर वोह, अपनी टीम के साथ जाकर ,  साम्प्रदायिक सद्भाव का पाठ पढ़ा रहे थे ,, उनकी  इन्साफ के लिए महायुद्ध की इस शैली के खिलाफ , कोटा के कई नेता , कई पुलिस अधिकारी , प्रशासनिक अधिकारी हो गए ,, उन्हें धमकियां  मिलीं  ,टाडा जैसे क़ानून में फंसाने की कोशिशे की गयी , लकिन , साबिर खान के साथ ,  उनके समर्थकों की जांबाज़ टीम के चलते ,, सभी षड्यंत्रकारी,,, प्रशासनिक अधिकारी उनके आगे नतमस्तक हुए   साबिर खान ने ज़ुल्म के खिलाफ शान्ति का मसीहा बनकर , जब इन्साफ रैली निकले , तो इनके नेतृत्व में हज़ारों हज़ार लोगों का हुजूम  सड़कों पर ,था , , जो लोग उनके खिलाफ षड्यन्त्रबाज़ी में  शामिल थे , ,  वही लोग इनकी निष्पक्षता को देखकर उनके दोस्त बन गए ,, साबिर खान ,, ने पुलिस अत्याचार के ,  खिलाफ प्रशासनिक बंदिशों के बावजूद भी , ज़ुल्म ,, नाइंसाफी करने वालों को सज़ा  दिलवाने की मांग को लेकर , ऐतिहासिक , हज़ारों हज़ार लोगों का जुलुस निकाल कर ,प्रशासन को , दमनकारी कार्यवाही रोकने पर मजबूर किया , साबिर खान को उनके साथियों ने , कोटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक पद के  लिए  प्रत्याक्षी भी ,बनाया , जिनका धुआँधार प्रचार रहा ,, साबिर खान ने प्रताड़ित  लोगो की मदद के मक़सद से , मोटिवेट कर ,, स्टेशन क्षेत्र में  समाजसेवी संस्था ,  हुसैनी सोसायटी का गठन भी करवाया ,,  आज समाजसेवा क्षेत्र के कार्यक्रमों के साथ , बच्चों को पढ़ाने के कार्यक्रमों में भी जुटी है ,,  साबिर खान , कई अखाड़ेबाजों के प्रेरक भी रहे ,,, हर दिल अज़ीज़ , जंगजू सिपाही , निर्भीक ,, निडर ,, निष्पक्ष ,  हर तरह की खूबियों से भरे ,, हरफन मोला , साबिर खान आज हमारे बीच नहीं रहे ,, अल्लाह उन्हें जन्नतुल फिरदोस में आला मुक़ाम अता फरमाए ,, उनकी मगफिरत करे , उनके फर्माबरदार ,, दोनों बेटे ,  इमरान , फैज़ान ,  बहुएं , पोता , पोतियां ,, दोनों बेटियों , दामाद और हमारी मुमानी उनके अज़ीज़ अक़ारिबों को  , सब्र ऐ जमील अता फरमाए ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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