राजस्थान के क्रिकेट को लगे ग्रहण को साफ कर , राजस्थान क्रिकेट को एशिया का सबसे बढ़ा स्टेडियम का तोहफा देकर राजस्थान क्रिकेट को वैभव गहलोत ने बुलन्दियों पर पहुंचाया है, बस भगोड़े ललित मोदी के समर्थक रहे लोगों को यही बर्दाश्त नहीं हो रहा है, ऐसे लोग राजस्थान क्रिकेट, राजस्थान के विकास , यहां की क्रिकेट प्रतिभाओं के दुश्मन है, लेकिन सच यही है के बेदाग छवि के वैभव गहलोत , क्रिकेट को प्रमोट करने वाले हिस्टोरिकल वफादार हो गए है,
दोस्तों यह खूबसूरत हीरो जैसे दिखने वाले नौजवान ,,,,वैभव गेहलोत ,,,,राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में ,,,प्रदेश महासचिव की हैसियत से संगठन को मज़बूती देने के कार्य में जुटे रहे , है ,,युवा ,,उत्साही ,,संघर्षशील ,,शालीन ,, ,,अनुभवी कोंग्रेसी कार्यकर्ता है ,,,,,,,,,,,उनमे नेतृत्व क्षमता है,,, तो कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने की लायकी भी उनमे है ,,,वैभव गेहलोत ,,,यूँ तो राजस्थान की राजनीति में जाना पहचाना नाम है ,,,राजनीति ,,बढ़ो से अदब के संस्कार ,,,छोटो से प्यार ,,,पीड़ितों के लिए हमदर्दी ,,राजनितिक समझ यूँ तो वैभव गेहलोत को विरासत में मिली है ,,लेकिन वोह अति उत्साही नहीं है ,,बहुत सोच समझ कर राजनीतिक फैसले लेते है ,,,सबसे बढ़ी बात यह है के उनके साथ ,,,उनके पिता कद्दावर कोंग्रेसी नेता ,,आदरणीय अशोक गेहलोत का नाम जुड़ा है ,,लेकिन इस नाम की चकाचोंध से ,,,वैभव ने खुद को दूर रखकर,, अपनी पहचान अलग से बनाने की कोशिश की है ,,,और इसमें वैभव ने कामयाबी भी हांसिल की है ,,,,सभी जानते है के अशोक गेहलोत केंद्र में भी मंत्री रहे तो संगठन के प्रभावशाली नेता बने रहे ,,राजस्थान में मंत्री फिर दो बार सफलतम मुख्यमंत्री रहे ,,लेकिन सियासी शानो शौकत से वैभव ने खुद को दूर रखा ,,,सियासत और सरकारी कामकाज में कोई दखल नहीं ,कोई गुरुर ,,कोई घमंड नहीं ,,हाँ कोई पीड़ित अगर वाजिब पीड़ा लेकर आया तो एक आम आदमी एक कोंग्रेसी कार्यकर्ता की हैसियत से बतौर हम्दर्दाना ऐसे दुखियारों के साथ हमदर्दी का रिश्ता ज़रूर वैभव का बना रहा ,,,वैभव की प्रारम्भिक शिक्षा बाल भारती एयर फ़ोर्स स्कूल में हुई , फिर राजनीतिक शोर शराबे से दूर आई एल एस कॉलेज पूना से एल एल बी की डिग्री पास की ,,,वैभव वकील बनना चाहते थे , इसलिए राजस्थान हाईकोर्ट में रजिस्ट्रेशन कराया ,,वरिष्ठ वकील के साथ वकालत के दांव पेच भी सीखे ,,लेकिन मन में तो दलित ,,पीड़ित ,,शोषित ,,अल्सपंक्षीकों के लिए हमदर्दी थी इसलिए वर्ष उन्नीस सो अट्ठीयान्वे से ही राजनीती में सक्रिय हुए ,,अपने पिता अशोक गेहलोत की चुनावी कमान कामयाबी के साथ संभाली ,,फिर राजनीति रिश्तो के चलते वैभव गेहलोत की इनके समर्थको द्वारा सक्रिय राजनीति में आने की मांग उठाई जाने लगी ,,,,,,,,वैभव गेहलोत को टोंक विधानसभा क्षेत्र फिर टोंक लोकसभा क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़ने का ऑफर था ,,लेकिन वैभव ने पहले संगठन से जुड़कर कार्यकर्ताओं के साथ कंधे से कंधा मिलकर कांग्रेस को मज़बूती देने का फैसला किया ,,,राजनीति में वैभव का एक ही नारा है ,,युवाओ को अधिकार मिले ,,,वरिष्ठों को सम्मान मिले ,,महिलाओ ,,बच्चो ,,किसानो ,,मज़दुरो को उनका वाजिब हक़ हर हाल में मिले ,,अनेको बार प्रतिपक्ष ने होसला तोड़ने के लिए एक ईमानदार छवि पर कुछ छीटाकशी करने की कोशिश भी की लेकिन विपक्ष को मुंह की खाना पढ़ी क्योंकि वैभव की बेदाग छवि के आगे विपक्ष को चुप्पी साधने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था ,वैभव अच्छा बोलते है ,,अच्छा लिखते है ,,अच्छा व्यवहार लोगों के साथ करते है ,,,,,इसीलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी की टीम में हर दिल अज़ीज़ है ,,वैभव गेहलोत सोनिया गांधी की छवि के साथ भारत को विकसित करने के राहुल गांधी के सपने को पूरा करने के लिए , संगठन के नेतृत्व में, कांग्रेस को मज़बूती देने के प्रयासों में जुटे है ,,वैभव की एक खासियत यह भी है , के जो एक बार इनसे मुलाक़ात कर लेता है वोह बस व्यवहार ,,इनकी शालीनता ,,,इनके अपनेपन के सलीक़े के कारण इनका अपना हो जाता है ,,वैभव गेहलोत अपने पिता अशोक गेहलोत की गांधीवादी छवि से प्रभावित है वोह भी फूलों की माला ,,स्वागत सत्कार के चोचलो से दूर रहकर काम सिर्फ काम करना चाहते है ,,,,,वैभव गेहलोत से राजस्थान के युवाओ ,,कोंग्रेसी कार्यकर्ताओें को बहुत उम्मीदें है ,,,इनकी सक्रियता कांग्रेस को हिम्मत ,,ताक़त और मज़बूती दे रही है ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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