आज़ादी के अमृत महोत्सव् में ,, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,साहिब को , कोटा के आज़ादी के जांबाज़ सिपाही , लाला जय दयाल , महराब खान पठान की क्रान्ति के इतिहास पर अगर कोई चर्चा नहीं होती, अगर इन शहीदों की दास्ताँ इस मौके पर , कोटा , राजस्थान देश के लोगों तक नहीं पहुंचाई जाती , तो मेरी निगाह में , आज़ादी का अमृतमहोत्सव् ,, दिखावा है , ढकोसला है , और में ऐसे आज़ादी के अमृत महोत्सव , को , अपने कुछ साथियों के साथ , मेरे कोटा के आज़ादी के क्रांतिवीर सिपाहियों की क़ुर्बानी की दास्ताँ सुनाकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने के साथ मनाऊंगा , जो साथ आना चाहे उसका स्वागत करूँगा ,,
आज़ादी का अमृत महोत्सव , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , 75वीं वर्षगांठ पर 75 सप्ताह पहले शुरु करवाने वाला हो ,, लेकिन कोटा में भाजपा के दिग्गज नेताओं , देश के सर्वाधिक उच्च पदों पर बैठे नेताओं ने , कोटा में इस अमृतमहोत्सव पर , कोटा के शहीदों , आज़ादी के दीवानों की याद में अब तक कोई भी कार्यक्रम ना तो खुद ने आयोजित किये है , और ना ही , कोटा जिला प्रशासन द्वारा इस तरह के आयोजन करवाए है , यक़ीनन , आज़ादी के अमृत महोत्सव ,,की आज के नौजवान पीढ़ी को ज़रूरत है , ,आज के नौजवानों को , देश के लिए मर मिटने वालों के इतिहास को समझाने की ज़रूरत है , लेकिन कोटा में तो यह सब अभी तक टांय टॉय फिस्स है ,, मेने इस मामले में , माननीय प्रधानमंत्री महोदय को , 1857 की क्रांति के मुख्य जांबाज़ क्रन्तिकारी सूत्रधार , लाला जय दयाल , महराब खान , की बहादुरी और देश के लिए क़ुर्बानी का विवरण भेजकर , कोटा के जिला प्रशासन द्वारा इस मामले में स्कूलों , मोहल्लों , समाजसेवी संगठनों के ज़रिये घर घर पहुंचाने का सुझाव भेजा था , तीन माह से भी अधिक समय गुज़र जाने के बाद भी इस सुझाव पर कोई अमल नहीं हुआ है , ,अलबत्ता कांग्रेस सरकार में केबिनेट मंत्री शान्ति कुमार धारीवाल ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए , कोटा अदालत चौराहे पर , निर्माणाधीन शहीद स्मारक , पर इन आज़ादी के दीवानों , लाला जयदयाल , महराब खान की क़ुरबानी का सारांश लिखने के नगर विकास न्यास कोटा को निर्देश दिए है , जो अभी नगर विकास न्यास के अधिकारीयों ने , इसे खुलासा नहीं किया है ,, आज़ादी की जंग में 1857 की क्रांति का अपना इतिहास है , यहां तात्कालिक कोटा दरबार अंग्रेज़ों के अधीनस्थ थे , सिविल लाइंस स्थित रेज़ीडेंसी हाउस जो वर्तमान में ब्रिज राज भवन के नाम से मशहूर है , यहां मेजर बर्टन , उनके पुत्र वगेरा रहा करते थे , ,मेजर बर्टन का आतंक कोटा की आम जनता पर क्रूरतापूर्ण था , वोह छोटे छोटे बच्चों को , ऊपर उछाल कर ,तेज़ धार धार भालों से उन्हें छलनी तक कर देता था , इस ज़ुल्म ज़्यादती के खिलाफ , लाला जय दयाल जो तात्कालिक कोटा दरबार के , विधि सलाहकार थे , और सिपहसालार , महराब खान पठान , ने ऐतराज़ जताया , कोटा से अंग्रेज़ों को भगा कर ,, कोटा आज़ाद कराने की पेश कश की , लेकिन तात्कालिक कोटा दरबार ने कोई सुनवाई नहीं की , तब , लाला जय दयाल , महराब खान पठान ने , 1857 की क्रांति की अलख जगाते हुए , कोटा अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया , खूब खून खराबा हुआ , अंग्रेज़ों के साथ , कुछ कोटा के लोगों की फौज भी थी, लेकिन कोटा गढ़ से लेकर , रामपुरा , , सूरजपोल , गंज शाहिदा , लालबुर्ज , लाडपुरा ,, नयापुरा , बृजराज भवन सभी जगह , आज़ादी के क्रांतिवीरों में जोश खरोश था , मर मिटने का जज़्बा था , अंग्रेज़ों के सिपाहियों को चुन चुन कर ,मार गिराया , और बृजराज भवन पूर्व रेज़ीडेंसी हाउस पर हमला करके , वहां मेजर बर्टन की तरफ से लड़ने आये ,, उनके दो पुत्रों से पहले युद्ध किया , उन्हें मार गिराया , फिर मेजर बर्टन को युद्ध के दौरान मार गिराया ,, मेजर बर्टन के मरते ही , कोटा पर लाला जय दयाल , महराब खान ,, उनकी फौज का कोटा पर क़ब्ज़ा हो गया ,, कोटा में अंग्रेज़ों की गुलामी का झंडा हठाकर , आज़ाद कोटा का झंडा लहराया गया , ,आज़ाद कोटा में आज़ादी जश्न था , भारत में सभी जगह पर लगभग अंग्रेज़ों ने विद्रोह दबा दिया था , लेकिन कोटा ही एक मात्र ऐसी जगह थी , जहाँ पर अंग्रेज़ों ने मुंह की खाई थी ,और कोटा कई महीनों तक आज़ाद रहा , लेकिन फिर मुखबीरी हुई , अंग्रेज़ों के गुलामों , ,कोटा की आज़ादी के गद्दारों ने , अंगेर्जों की मदद की , फिर युद्ध हुआ और , आज़ाद कोटा को , अंग्रेज़ों ने अपने क़ब्ज़े में कर लिया ,, आज़ादी के दोनों क्रांतिवीर सिपाही , लाला जय दयाल , महराब खान ,, अंग्रेज़ों से लड़ने के लिए फिर से फौज एकत्रित करने के उद्देश्य से , छुप गये , अलग अलग भेस बनाकर रहने लगे , लाला हर दयाल , सोहराब खान सहित कई लोग इस जंग में शहीद हो चुके थे ,, लेकिन फिर मुखबिरों , अंग्रेज़ों के दलालों ने , लाला जय दयाल , सोहराब खान के छुपे होने की मुखबिरी की , उन्हें गिरफ्तार करवाया , और इन आज़ादी के दोनों क्रांतिवीर , लाला जयदयाल , सोहराब खान पठान को , ,तात्कालिक रेज़ीडेंसी हाउस के यहां , जो अदालत चौराहे के सामने थोड़ी दूरी पर है , वहां कोटा की जनता में खौफ पैदा करने के लिए , सार्वजनिक रूप से एक नीम के पेड़ पर , फांसी पर लटकाया गया , महराब खान का मज़ार आज भी कोटा माहराव भीमसिंह चिकित्सालय के सामने स्थित शंकर मेडिकल स्टोर की गली में स्थित है , जबकि लाला जय दयाल के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियां भी अंग्रेज़ों ने परिजनों को नहीं दी , कोटा में आज़ादी की क्रांति का इतिहास देश भर में अव्वल रहा है , लेकिन कुछ अख़बार वालों , इतिहासकारों , और कोटा से जुड़े लोगों की चापलूसी , चमचागिरी निति की वजह से , यह इतिहास सिर्फ तात्कालिक किताबों लिखा रह गया है , कोटा में इन आज़ादी के दीवानों की क़ब्र पर फूल नहीं चढ़ाये जाते , कोटा में देश की आज़ादी के लिए मर मिटने वाले , दीवानों का इतिहास , इनकी क्रांति कारी युद्ध की गाथायें , , स्कूल में बच्चों को नहीं पढ़ाई जाती , आज़ादी के किसी भी कार्यक्रम में ,कोई भी केंद्रीय मंत्री , राज्य मंत्री , मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री आज़ादी के इन दीवानों की देश के लिए मर मिटने वाली दास्तान पर एक शब्द तक नहीं बोलते , अफ़सोस होता है , जब देश में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है , जब आज़ादी के ऐसे क्रांतिवीर सपूतों , की देश पर मर मिटने की कहानियां , देश के नौजवानों को समझाने की ज़रूरतें है , तब , ऐसे आज़ादी के हीरो ,, गुमनामी के अँधेरे में हैं , उस वक़्त के इतिहासकार , पत्रकर तो , ज़मीनों के मामले में , मुंह बंद कर रखे हो सकते है, लेकिन आज की पत्रकारिता तो खुद को आज़ाद कहती है , सबसे तेज़ चैनल , सबसे तेज़ अख़बार , का नारा देते है , फिर भी यह जंगे आज़ादी की दास्ताने नहीं है , आज की दास्तानों में ,, मेने इस मामले , में माननीय प्रधानमंत्री महोदय का ध्यानाकर्षण कर ,, आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम में , ऐसे शहीदों की दास्तानें , कोटा सहित देश के नौजवानों तक पहंचाने का सुझाव दिया था , कोटा में लोकसभा अध्यक्ष खुद मौजूद है, ,, लेकिन लगता है , मेरा अमृत महोत्सव पर, आज़ादी के इन दीवानों , का सच कोटा सहित राजस्थान , पूरे भारत में इन शहीदों की दास्ताँ ,, सार्वजनिक रूप से , कार्यक्रमों के माध्यम से , श्रद्धांजलि कार्यक्रमों के माध्यम से , स्कूली किताबों में पाठ्यक्रम के माध्यम से , इनके नाम के चौराहों के नामकरण , इनके नाम की योजनाए चलाने , पुरस्कार योजनाएं चलाने के मेरे सभी सुझाव , इस क्रूर प्रशासनिक माहौल में , वोटों की राजनीति के तहत शहीदों के इस्तेमाल के माहौल में , गुम हो गए , या फिर रद्दी की टोकरी में डाल दिए गये ,, और फिर , अख़बार , पत्रकार , न्यूज़ चैनल वगेरा ,, कोटा के मूल तो हैं ,नहीं जो कोटा के आज़ादी के इतिहास को , लोगों तक पहुंचाए , कोटा के आज़ादी के दीवानों की ऐतिहासिक दीवानगी , क़ुर्बानी के क़िस्से आगे बढ़ाकर ,राष्ट्रिय , अंतर्राष्टीर्य स्तर पर , कोटा के आज़ादी के आंदोलन के शहीदों की दास्ताँ पहुंचा कर , कोटा का नाम रोशन करें ,, लेकिन कोटा के इन क्रांतिवीरों का लहू , एक बार फिर बोलेगा , एक बार फिर कोटा की क्रान्ति की दास्ताँ को ताज़ा करेगा , देख लेना , समझ लेना ,,, एडवोकेट अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 मार्च 2022
आज़ादी के अमृत महोत्सव् में ,, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,साहिब को , कोटा के आज़ादी के जांबाज़ सिपाही , लाला जय दयाल , महराब खान पठान की क्रान्ति के इतिहास पर अगर कोई चर्चा नहीं होती, अगर इन शहीदों की दास्ताँ इस मौके पर , कोटा , राजस्थान देश के लोगों तक नहीं पहुंचाई जाती , तो मेरी निगाह में , आज़ादी का अमृतमहोत्सव् ,, दिखावा है
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