अवसाद के वक़्त परिवार के लोग , पीड़ित को अकेला हरगिज़ ना छोड़ें ,, आई एम ऐ संगठन सहित सभी वर्ग के संगठनों को , इस पर एक गाइडलाइन बनाना ज़रूरी है , डॉक्टर अर्चना की आत्महत्या संकट के वक़्त अकेलेपन में किसी को ना छोड़े ऐसा सबक़ अब हम याद कर लें ,,
,,अख्तर खान अकेला ,,
राजस्थान में दोसा ज़िले में लालसोट स्थित निजी अस्पताल आनंद हॉस्पिटल की डॉक्टर अर्चना शर्मा ,,, द्वारा मामूली अवसाद के बाद , आत्महत्या करना एक दुखद स्थिति है , में डॉक्टर अर्चना शर्मा की आत्महत्या के सियासी पहलुओं , आरोप , प्रत्यारोपों में नहीं जाना चाहता , उस पर तो बहस करने के लिए , निठल्ले ,, मौक़ापरस्त सियासी लोग है , लेकिन इस मामले में , इंडियन मेडिकल एसोसिएशन , और परिवार से जुड़े लोगों को , विचार करना चाहिए , चिंतन मंथन करना चाहिए ,, यक़ीनन एक डॉक्टर ,मरीज़ों की जान बचाते वक़्त , तनाव में रहता है , हर मरीज़ का सुखद इलाज , उसकी ज़िंदगी बचाकर खुश होने वाला चिकिसक रोज़ मर्रा आम पब्लिक की गालियां सुनने के बावजूद भी ,, लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने के काम लगा रहता है , इसीलिए तो डॉक्टर को कुछ लोग भगवान के पर्यायवाची से भी जोड़कर देखने लगते है,, , इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चुनाव होते है , थोड़े बहुत कार्यक्रम होते है , लेकिन इस एसोसिएशन में , वर्तमान तनावपूर्ण हालातों में , मोटिवेशनल कार्यक्रम नहीं होते , डॉक्टर्स के व्यवसाय से जुड़े मुद्दों , उनके मानसिक तनाव , स्ट्रेस , को रिलीज़ करने , उनके तनाव के कारणों और निवारणों को लेकर , कोई सकारात्मक कार्यक्रम एसोसिएशन द्वारा प्लान नहीं किया जाते ,, क्योंकि यह लोग तो समझते है ,डॉक्टर पत्थर के बने है , इनमें संवेदनाये होती ही नहीं , इन्हे तो तनाव हो ही नहीं सकता , डॉक्टर भी इंसान है , इनमे भी डर का माहौल होता है , छोटी छोटी घटनाओं से यह भी , विचलित हो जाते है ,, डॉक्टर अर्चना शर्मा की इस तरह की आकस्मिक आत्महत्या , परिवारों के लिए भी सबक़ है ,, किसी भी तनाव पूर्ण माहौल में ,किसी भी विवाद के उपजने के बाद , परिवार को , अपने परिवार के चिकित्सक सदस्य के साथ रहना चाहिए ,उसकी गतिविधियों पर नज़र रखना चाहिए , उसे मोटिवेशन कर हिम्मत दिलाना चाहिए , अकेला नहीं छोड़ना चाहिए ,, हॉप सोसायटी कोटा में ,कोचिंग स्टूडेंट को , मानसिक अवसाद से निकालकर , आत्महत्याओं से रोकने के प्रयासों में है , लेकिन डॉक्टर अर्चना शर्मा अगर इस संकट की घड़ी में , इस संघर्ष की घड़ी में , इस अवसाद , तनाव की घडी में अकेली नहीं होतीं , उनका परिवार उनके पारिवारिक मित्र उनके इर्द गिर्द , उन्हें हौसला देने वाले , सलाह देने वाले , उनके अवसाद को कम करने वाले , उनके निराशावाद द्रष्टिकोड को , आशावाद में बदलने वाले होते , बातचीत करते , साथ मौजूद रहते , दिल बहलाते , तो यक़ीनन , डॉक्टर अर्चना शर्मा , सम्भल सकती थीं , में किसी पर इलज़ाम नहीं दे रहा , ऐसी घटनाओं से ,, पारिवारिक ,, सामाजिक , आस पड़ोस ,, मित्र मंडली ,और संबंधित व्यवसाय से जुड़े लोगों के कल्याण , उनके संरक्षण के लिए बनाये गए संगठनों के पदाधिकारियों से निवेदन कर रहा हूँ , के डॉक्टर अर्चना शर्मा की हंसती खेलती ज़िंदगी ,, के चिराग को अचानक खुद के ही ज़रिये निराशावाद में बुझाकर चले जाने की इस घटना से सभी सबक़ लें , घरों में , परिवारों में , संस्थाओं में , परिवार की तरह रहना सीखें ,, हर संकट की घडी में , कंधे से कंधा मिलकर साथ रहे , थोड़ा भी संकट हो , तो किसी भी पीड़ित व्यक्ति को , अकेला ना छोड़ें , उसके साथ बैठें , उसे हिम्मत दें , उसकी समस्याएं सुने , उसे तात्कालिक अवसाद से बाहर निकालकर , जीने का हौसला दें ,, मेरे द्वारा यह सब ,, छोटा मुंह बढ़ी बात है ,, लेकिन हक़ीक़त यही है ,, डॉक्टर वर्ग खुद इस व्यवस्था के जानकार है ,, कभी भी , किसी भी क्षण मामूली सा अवसाद , मामूली सा बेवजह का तनाव , निराशावाद में बढ़ा रूप ले लेता है , और एक हँसता खेलता परिवार , एक निराशावाद सदस्य की आत्महत्या से हमेशा के लिए , रोता बिलखने लगता है ,, डॉक्टर्स हो , वकील हों , व्यापारी हों , कर्मचारी हों , शिक्षक हों, किसी भी वर्ग के कोई भी लोग हों , उनके अपने संगठनों के पदाधिकारियों , ऐसे लोगों के पारिवारिक सदस्यों , मित्रों , पड़ोसियों को अब इस घटना के बाद चिंतन मंथन करना होगा , के वोह किसी भी संकट की घडी में , किसी भी हादसे के वक़्त , किसी भी तात्कालिक घटना के बाद ,ऐसे पीड़ित को , अकेला नहीं छोड़ेंगे , उसे अकेले में , खुद से ही लड़ने , खुद के ही विचारों के हिसाब से , निराशावाद की तरफ नहीं जाने देंगे , उसके साथ रहेंगे , उसे हौसला देंगे , एक पल भी, एक मिनट भी , ऐसे पीड़ित को ,अकेला नहीं छोड़ेंगे , यह शपथ लें लें , यक़ीनन ऐसे कई हादसे बचाये जा सकते है ,, खासकर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को इस मामले में , एक गाइड लाइन बनाना होगी , डॉक्टर्स के तनाव को , तनावपूर्ण माहौल को कैसे मनोरंजन में ,बदलने, हौसलों के साथ उन्हें अपने व्यवस्त तनावपूर्ण माहौल में नए तरीके से जीना सिखाएं , में कोटा में ,कई ज़िंदादिल डॉक्टर्स को जानता हूँ , डॉक्टर सुधीर गुप्ता , ,डॉक्टर सुदेश पांडेय,, डॉक्टर विजय सरदाना ,, डॉक्टर आर के गुलाटी , डॉक्टर आर के अग्रवाल ,, डॉक्टर एम एल अग्रवाल , सहित कई डॉक्टर्स हैं , जो कभी भी ,तनाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते , व्यस्तम से भी व्यस्तम हालातों में , वोह कैसे खुश रहे , दूसरों के मददगार कैसे बने , दूसरों को कैसे खुश रखें , खुद भी खुश रहे , हौसले और हिम्मत से , हर मुसीबत का मुक़ाबला करें, , लेखक , पत्रकारिता की दुनिया में ,डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल भी ऐसे हौसलों की उड़ान के साथ , मुसीबत के हर क्षण को , हवा में उड़ाने की सीख देते हैं , तो यक़ीनन ,,डॉक्टर अर्चना शर्मा ,, की आत्महत्या दुखद है, उनके परिवार , उनके मासूम बच्चों के लिए, तकलीफ देह है , ,लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन , परिवार , पारिवारिक मित्र , अड़ोस पड़ोस के लोगों को अब संकल्पबद्ध होना होगा , दूसरे संगठनों को भी , अपने सदस्यों के लिए ,, ऐसे कार्यक्रम , ऐसी सेमिनारें , चलाना होंगी ,जो उन्हें अवसाद से बाहर निकालें , ऐसे संगठनों में एक विभाग ऐसा भी बनाया जाये , जो हर संकट की घडी में, ऐसे सदस्य के साथ, पारिवारिक माहौल की तरह से , साथ रहें , उसे हौसला देता रहें , हौसले की कॉन्सलिंग बढ़ाता रहे , वोह बात अलग है, जो होता है ,वोह होकर रहता है , होनी को कौन ताल सकता है , अल्लाह ईश्वर , जो चाहता है , वोह करता है , लेकिन खुदा ने एक अक़्ल हमें दी है , समझदारी हमें दी है , जो हादसा , जो घटना , जो दुर्घटना , हमारी समझदारी से हम टाल सकते है , वोह हमें टालने की कोशिश करना चाहिए , और ऐसी घटनाओं को टालने का सिर्फ एक ही फार्मूला ,, हौसला रखो , हौसले का माहौल रखो, मनोरजंक माहौल बनाओ , एकांत में कभी भी किसी भी परिवार के सदस्य को , संकट की घडी में ,नहीं छोड़ा जाए ,हो सकता है,कुछ बदलाव आये , हो सकता है , अवसाद के बाद , ऐसी आत्महत्याओं में कुछ कमी आये ,,, और कई परिवारों ने , कई परिवार के सदस्यों ने ,कई संगठनों ने , ऐसे कई हादसों के बाद ,पीड़ित को हौसला देकर , उसका साथ देकर , उसके साथ वक़्त गुज़ारकर , उसे अवसाद के माहौल से बाहर निकालकर , आत्महत्या के लिए , जो ऐसे लोगों का विचार बनता है, उससे उन्हें अलग भी किया है , अल्लाह डॉक्टर अर्चना शर्मा के परिवार को हिम्मत दे , मासूम बच्चों को ,, ज़िंदगी का हौसला दे , और भविष्य में ,ऐसे दुखद हादसों की खबर हमें ना मिले ,, अल्लाह से यही दुआ है, ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 मार्च 2022
अवसाद के वक़्त परिवार के लोग , पीड़ित को अकेला हरगिज़ ना छोड़ें ,, आई एम ऐ संगठन सहित सभी वर्ग के संगठनों को , इस पर एक गाइडलाइन बनाना ज़रूरी है , डॉक्टर अर्चना की आत्महत्या संकट के वक़्त अकेलेपन में किसी को ना छोड़े ऐसा सबक़ अब हम याद कर लें ,
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