पंजाब के फ़िरोज़पुर चुनाव रैली में प्रचार के दौरान जाते वक़्त , देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक मामले में ,, कांग्रेस , भाजपा , अन्य दलों को आरोप , प्रत्यारोप की सियासत से अलग हठ कर इस गंभीर मुद्दे पर चिंतन करना चाहिए ,, खुद , देश की सुप्रीमकोर्ट को , इस गंभीर मुद्दे पर , सो मोटो संज्ञान लेकर ,सभी सुरक्षात्मक व्यस्थाओं की समीक्षा कर ,, चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसी रैलियों में जाने से प्रोटोकॉल दृष्टिकोण से प्रतिन्धित किया जाए या नहीं, इस पर भी चर्चा होना चाहिए ,, हमारे देश ने, आज़ाद होते ही , सुरक्षात्मक चुक के कारण , नाथूराम गोडसे के हाथों , राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को खोया है ,जबकि स्वर्गीय इंद्रा गाँधी को , प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए ही हमने खो दिया , पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को भी सुरक्षात्मक चूक के कारण ही , हमने , खोया है ,, और भी कई ऐसे दर्दनाक हादसे है जिनमे सुरक्षात्मक चूक के कारण हम बहुत खो चुके है ,, लेकिन तब और अब में बहुत फ़र्क़ , है , अब प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति की सुरक्षा पर , आम जनता के हिस्से से ,, स्वीकृत रूप से प्रति दिन एक करोड़ बांसठ लाख रूपये खर्च होते है ,, इनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पर लगे एस पी जी के लिए पृथक से तीन सो करोड़ रूपये का खर्च है ,, एसपीजी कमांडो के पास बेल्जियम से इम्पोर्ट की गईं 3.5 किलो की राइफलें रहती हैं। ये एक मिनट में 850 राउंड फायर करने की क्षमता रखती हैं। इनकी रेंज 500 मीटर होती है। कुछ कमांडो के पास सेमी-ऑटोमैटिक पिस्टल भी रहती है। कमांडो हल्की बुलेट-प्रूफ जैकेट पहने रहते हैं। ये 2.2 किलो के होते हैं। घुटने और कुहनी के लिए पैड होते हैं। एसपीजी पर सालाना 300 करोड़ रुपए का खर्चा आता है। बेशक, देश के प्रधानमंत्री पर बुरी नजर रखने वालों से बचाने के लिए यह छोटी-सी रकम है ,, देश के प्रधानमंत्री के सुरक्षा प्रोटोकॉल में , उनकी हर यात्रा के प्रूव उनके रुट की स्क्रीनिंग होती है , यात्रा के सुक्षात्मक व्यवस्थाओं का रिहसल होता है , केंद्रीय एजेंसियों में , आई बी वगेरा के पूर्व सूचनाओं का सुरक्षा का आधार बनाया जाता है , ऐसी सुरक्षा किसी भी तरह से राज्यों के हवाले इसीलिए नहीं की जाती क्योंकि ऐसी सुरक्षा के अतिरिक्त प्रोटोकॉल नियम बने हुए है , ज़िम्मेदारियाँ दी गयीं है ,, पंजाब के फ़िरोज़पुर में , भाजपा की रैली में ,प्रधानमंत्री के सम्बोधन के लिए जाने के पूर्व , तीन हेलीपेड थे , सुरक्षात्मक व्यवस्थाएं थी , फिर भी चूक हुई , लापरवाही हुई , प्रधानमंत्री को पंद्रह मिनट जाम में रुकना पढ़ा , गलती तो हुई है , किसकी गलती है , किसकी लापरवाही है , इसकी जवाबदारी तय होना ज़रूरी है ,, पंजाब के मुख्यमंत्री कहते है , सात हज़ार कुर्सी वाली सभा में , सात सो लोग थे , इसलिए प्रधानमंत्री खुद लोट गए , वोह यह भी कहते है , सुरक्षा में कोई सेंध नहीं थी , वोह कहते है , के उनके खून की आखरी बून्द तक वोह प्रधानमंत्री की सुरक्षा करेंगे , भाजपा के सहयोगी बने , पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कहते है , के पंजाब के गृहमंत्री को बर्खास्त करों , खुद देश के गृहमंत्री अमित शाह कहते हैं , सुरक्षा में लापरवाही पंजाब की ज़िम्मेदारी मामले में बख्शा नहीं जाएगा , राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ,, खुद कहते है , एस पी जी , आई बी की गंभीर सुरक्षा , पूर्व सूचनाओं के बाद , यही चूक ,, गंभीर है , केंद्रीय एजेंसियों की ज़िम्मेदारी तय होना चाहिए , देश का हर बच्चा जानता है , के पंजाब में भाजपा ज़ीरो है , उसके सहयोगी दल अकाली दल से उसका गंठबंधन टूट चूका है , पंजाब में सियासी अराजकता का माहौल है , वहां कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद , अब वोह भाजपा के सहयोगी , खासमखास हो गए है , पंजाब में किसानों के एक मोर्चे ने , राजनितिक दल बनाकर , चुनाव लड़ने का ऐलान किया है,, किसान वहां प्रदर्शन कर रहे है , किसान अपनी मांगों को नहीं मानने के मामले में , केंद्र सरकार के आज भी खिलाफ है ,,केंद्रीय ग्रह मंत्री के पुत्र पर किसानों की हत्या के आरोप प्रमाणित होने के बाद भी , केंद्रीय ग्रह मंत्री को पद से हटाया नहीं गया है ,, यह सब देश का हर शख्स जानता है , लेकिन इस सच्चाई पर केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह की केंद्रीय एजेंसियों का सूक्ष्म परीक्षण क्यों नहीं रहा ,, अजीत ढाबोल ने इस मामले में गंभीर सूचनाए क्यों एकत्रित नहीं करवाई ,, फिर तीन तीन हेलीपेड ,फिर सड़क मार्ग , क्यों ,, वगेरा वगेरा कई बिंदु है , जिन पर जांच होना चाहिए ,, खुद पंजाब सरकार को भी इस मामले में , जांच आयोग बनाकर , एक रिपोर्ट तय्यार करना चाहिए ,, लेकिन जब ऐसी गंभीर घटना के बावजूद भी , ,देश में कोई चिंतन नहीं है , आरोप , प्रत्यारोप का खेल हो रहा है , सियासत हो रही है , तो ऐसे में, देश की सुप्रीमकोर्ट के सर्वोच्च न्यायधीश महोदय को , संज्ञान लेना चाहिए, सो मोटो , इस घटना पर , पंजाब सरकार , केंद्र सरकार के ग्रह मंत्रालय , प्रधानमंत्री के सिक्युरिटी में लगे सभी लोगों से ,,विस्तृत रिपोर्ट लेकर ,, गंभीर चिंतन के साथ दोषी ज़िम्मेदार के खिलाफ सख्त एक्शन की सिफारिश करते हुए ,भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो , उसके लिए बेरियर लगाना चाहिए ,, एक प्रधानंमंत्री , देश की पार्टी का प्रतिनिधि नहीं रहकर , देश का प्रतिनिधित्व करता है , एके मुख्य मंत्री राजनितिक पार्टी का व्यक्ति नहीं होकर , राज्य का प्रतिनिधित्त्व करता है,, ऐसे ही केंद्र , राज्यों के मंत्री भी होते है , वोह निर्वाचन के बाद शपथ लेते है , फिर मंत्री , प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री बनने के बाद शपथ लेते हैं , देश के संविधान , देश के निर्वाचन नियम , लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम ,किसी भी क़ानून में ,यह नहीं लिखा है ,के प्रधानमंत्री , मंत्री , मुख्यमंत्री पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार कर सकेंगे, लेकिन यह सब होता है , प्रधानमंत्री अपनी पार्टी का कार्यकर्ता बनकर , मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के कार्यकर्ता बनकर , देश भर में ,अपने राज्य में , पार्टी के प्रत्यक्षियों के पक्ष में ,सरकारी खर्च पर , करोड़ों करोड़ , सुरक्षा के खर्च पर ,, प्रचार करते है , इनकी सुरक्षा व्यवस्थाओं के कारण चुनाव का खर्च कई हज़ार गुना बढ़ जाता है, प्रशासनिक अव्यवस्थाएं होती है , अब तो लाइव प्रसारण है ,मीडिया लाइव का ज़माना है,ऐसे में , इस ऊँचे ओहदे वाले सरक्षात्मक पदों पर बैठे लोगो विधिक रूप से चुनाव प्रचार से अलग रखना चाहिए , क्योंकि देश तो चुनावी उत्सव मनाता है , देश के प्रधानमंत्री अब नगर निकाय जैसे चुनावों में भी , आम सभाये ,रैलियां करने लगे है ,ऐसे में ,पंचायत चुनाव , नगर निकाय चुनाव , विधानसभा , लोकसभा चुनाव , देश में चलते ही रहते है, अगर प्रधानमंत्री , केंद्रीय मंत्री , मुख्यंमंत्री जनता के प्रति अपना कर्तव्य भुलाकर , चुनाव प्रचार ही करते रहेंगे तो , देश पर , सुरक्षा , यात्रा खर्चों के नाम पर ,अरबों रूपये का बोझ अनावश्यक बढ़ता रहेगा , साथ ही,अराजकता का माहौल रहेगा , क्योंकि यह लोग अपनी शपथ भुलाकर , अपने कर्तव्य भुलाकर देश के नहीं रहकर , सिर्फ एक पार्टी की कुंठित विचारधारा तक सिमित हो जाते है , अपना सारा राजकीय कामकाज,ज़िम्मेदारियाँ छोड़कर ,पार्टियों के काम में जुटे रहते है ,इससे देश , और राज्यों का विकास भी पिछड़ रहा है ,, फिर ऐसे सम्मानित पदों पर बैठे लोग , अगर मंच पर जाते है ,, प्रचार में ऊलजलूल बातें करते हैं , झूंठ बोलते है, झूंठे वायदे करते है , आरोप प्रत्यारोप जड़ते है , तो जनता के अलग अलग पक्षों में , इन व्यक्तियों की प्रति गलत धारणा बनती है, जनता इन पदों पर बैठकर ऐसे काम करने वाले लोगों के खिलाफ अनर्गल टिप्पणियां करती है , तो फिर गरिमा तो देश के इन उच्च पदों की ही गिरती है,इसलिए अब वक़्त आ गया है , जब ऐसे पदों पर बैठे लोग जो देश और राज्यों के लिए ज़िम्मेदार हैं, उन्हें चुनावों के प्रचार से , क़ानूनी रूप से प्रतिन्धित कर अलग थलग रखा जाए , क्योंकि , चुनाव व्यक्ति लड़ता है ,या पार्टी लड़ती है , और पार्टी का अपना संविधान , अपने राष्ट्रिय , राज्य ,जिला अध्यक्ष होते है,, उनका अपना विधान होता है,, ऐसा संविधान में है, लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम में है, लेकिन लागू नहीं है , तीन ऍन शेषन पूर्व चुनाव आयुक्त ने इस मामले में गम्भीर क़दम उठाये थे , लेकिन अब सब गड़बड़ , मनमानी चल रही है,,ऐसे में अब सुप्रीमकोर्ट को इन गंभीर मुद्दोंपर भी राष्ट्रहित में , एक गाइडलाइन तय्यार कर देना होगी , जिसका उलंग्घन करने वाले , ऐसे प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री , केंद्रीय , राज्यों के मंत्री , अन्य ज़िम्मेदार पदों के लोगों को बर्खास्त करने , ,सज़ा देने की कार्यवाही भी हो सके ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 जनवरी 2022
पंजाब के फ़िरोज़पुर चुनाव रैली में प्रचार के दौरान जाते वक़्त , देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक मामले में ,, कांग्रेस , भाजपा , अन्य दलों को आरोप , प्रत्यारोप की सियासत से अलग हठ कर इस गंभीर मुद्दे पर चिंतन करना चाहिए
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