और (मुसलमानों) तुम्हारे एतराफ़ (आस पास) के गॅवार देहातियों में से बाज़
मुनाफिक़ (भी) हैं और ख़ुद मदीने के रहने वालों मे से भी (बाज़ मुनाफिक़
हैं) जो निफ़ाक पर अड़ गए हैं (ऐ रसूल) तुम उन को नहीं जानते (मगर) हम उनको
(ख़ूब) जानते हैं अनक़रीब हम (दुनिया में) उनकी दोहरी सज़ा करेगें फिर ये
लोग (क़यामत में) एक बड़े अज़ाब की तरफ लौटाए जाएगें (101)
और कुछ लोग हैं जिन्होंने अपने गुनाहों का (तो) एकरार किया (मगर) उन
लोगों ने भले काम को और कुछ बुरे काम को मिला जुला (कर गोलमाल) कर दिया
क़रीब है कि ख़़ुदा उनकी तौबा कु़बूल करे (क्योंकि) ख़़ुदा तो यक़ीनी बड़ा
बख़्षने वाला मेहरबान हैं (102)
(ऐ रसूल) तुम उनके माल की ज़कात लो (और) इसकी बदौलत उनको (गुनाहो से) पाक
साफ करों और उनके वास्ते दुआए ख़ैर करो क्योंकि तुम्हारी दुआ इन लोगों के
हक़ में इत्मेनान (का बाइस है) और ख़़ुदा तो (सब कुछ) सुनता (और) जानता है
(103)
क्या इन लोगों ने इतने भी नहीं जाना यक़ीनन ख़़ुदा बन्दों की तौबा
क़़ुबूल करता है और वही ख़ैरातें (भी) लेता है और इसमें शक नहीं कि वही
तौबा का बड़ा कु़बूल करने वाला मेहरबान है (104)
और (ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुम लोग अपने अपने काम किए जाओ अभी तो ख़़ुदा
और उसका रसूल और मोमिनीन तुम्हारे कामों को देखेगें और बहुत जल्द (क़यामत
में) ज़ाहिर व बातिन के जानने वाले (ख़ुदा) की तरफ लौटाए जाएगें तब वह जो
कुछ भी तुम करते थे तुम्हें बता देगा (105)
और कुछ लोग हैं जो हुक्मे ख़़ुदा के उम्मीदवार किए गए हैं (उसको
अख़्तेयार है) ख़्वाह उन पर अज़ाब करे या उन पर मेहरबानी करे और ख़़ुदा
(तो) बड़ा वाकिफकार हिकमत वाला है (106)
और (वह लोग भी मुनाफिक़ हैं) जिन्होने (मुसलमानों के) नुकसान पहुचाने और
कुफ्ऱ करने वाले और मोमिनीन के दरम्यिान तफरक़ा (फूट) डालते और उस शख़्स
की घात में बैठने के वास्ते मस्जिद बनाकर खड़ी की है जो ख़ुदा और उसके रसूल
से पहले लड़ चुका है (और लुत्फ़ तो ये है कि) ज़रूर क़समें खाएगें कि हमने
भलाई के सिवा कुछ और इरादा ही नहीं किया और ख़़ुदा ख़ुद गवाही देता है
(107)
ये लोग यक़ीनन झूठे है (ऐ रसूल) तुम इस (मस्जिद) में कभी खड़े भी न होना
वह मस्जिद जिसकी बुनियाद अव्वल रोज़ से परहेज़गारी पर रखी गई है वह ज़रूर
उसकी ज़्यादा हक़दार है कि तुम उसमें खडे़ होकर (नमाज़ पढ़ो क्योंकि) उसमें
वह लोग हैं जो पाक व पाकीज़ा रहने को पसन्द करते हैं और ख़ुदा भी पाक व
पाकीज़ा रहने वालों को दोस्त रखता है (108)
क्या जिस शख़्स ने ख़़ुदा के ख़ौफ और ख़ुशनूदी पर अपनी इमारत की बुनियाद
डाली हो वह ज़्यादा अच्छा है या वह शख़्स जिसने अपनी इमारत की बुनियाद इस
बोदे किनारे के लब पर रखी हो जिसमें दरार पड़ चुकी हो और अगर वह चाहता हो
फिर उसे ले दे के जहन्नुम की आग में फट पडे़ और ख़ुदा ज़ालिम लोगों को
मंजि़लें मक़सूद तक नहीं पहुचाया करता (109)
(ये इमारत की) बुनियाद जो उन लोगों ने क़ायम की उसके सबब से उनके दिलो
में हमेषा धरपकड़ रहेगी यहाँ तक कि उनके दिलों के परख़चे उड़ जाएँ और
ख़़ुदा तो बड़ा वाकि़फकार हकीम हैं (110)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 जनवरी 2022
(ऐ रसूल) तुम उनके माल की ज़कात लो (और) इसकी बदौलत उनको (गुनाहो से) पाक साफ क
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