इतिहास गवाह है -
कपड़े धोते वक्त पति की जेब से मिले पैसे बीवियों ने आज तक वापस नहीं किए।
गुटखा खाते वक्त किसी से बातचीत करते हुए जब-जब भी आदमी ने गुटखा बीच में ही थूका है तब-तब उसने बहुत ज्ञान की बात बताई है।
प्राइवेट जॉब से छुट्टी लेकर आदमी का ब्याह-शादी मे पहुंचना उतना ही मुश्किल रहा है जितना कि पुरानी फिल्मों में गवाह का कोर्ट में पहुंचना।
हर गांव में एक दो बुड्ढे ऐसे होते हैं जिनसे भूत ने कभी बीड़ी मांगी होती है।
सब्जी खरीदने के बाद जो भी पैसे बच जाते हैं, वही बेरोजगारों की आय का मुख्य स्त्रोत है।
अलार्म बजने से परिवार के सारे लोग उठ जाते हैं सिवाय उसके, जिसने अलार्म लगाया हो।
महिलाओं ने मोलभाव करते समय दुकानदार को हमेशा पिछली दुकान का हवाला दिया है।
अगर कोई पटरी पर ये देखने गया है कि ट्रेन आ रही है या नहीं, तो वह बिना थूके वापस नहीं आया है।
लड़कियों को अपनी मंजिल पर पहुंचने से कोई नहीं रोक पाया है, सिवाय रास्ते में खड़े गोलगप्पे वाले के।
रोटी के बाद सबसे ज्यादा खाई जाने वाली चीज 'कसम' है, 'गुटखा' अभी भी तीसरे नंबर पर है।
शादी के बाद लड़के का हमेशा पहला फर्ज रहा है, टेंट वाले के सारे बर्तन पूरे करना।
संस्कृत दसवीं कक्षा के बाद सीधी 'फेरों' पर ही सुनने को मिली है।
आम खाने के बाद इंसान ने गुठली पर उतना ही आम छोड़ा है जितनी ट्यूब में टूथपेस्ट।
भारत में शुरू से ही अच्छे बॉलर नहीं रहे क्योंकि बैटिंग करने के बाद साला हमेशा से ही घर भागने की परंपरा रही है।
होटल में रुका हुआ आदमी कमरे के परदे और तौलिए से जूते पोंछे बगैर वहां से नहीं गया है।
पढ़ाई' और 'जिम' कल से शुरू होते हैं तथा 'सिगरेट' और 'दारू' कल से बंद।
,,4 साल तक भारत की केंद्र और राज्य की सरकारें खाओ पियो मौज करो में रहेंगी और फिर चुनाव के साल बढ़ी बढ़ी घोषणाएं, फिर जीतने पर वही का वही , चुनाव आयोग संविधान क़ानून विधि नियम के तहत टी ऐन शेषन के बाद चुनाव नहीं करा पा रहा है,
इतिहास गवाह है..... ये सभी तथ्य अनुभव पर अधारित है।
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