अल्लाह का शुक्र , डॉक्टर खानु खान बुधवाली को दूसरी बार ,, खुदा की राह में समर्पित सम्पत्ति के रखरखाव , अल्लाह की मख्लूक़ को , अल्लाह की सम्पत्ति से किस तरह के बेहतर फायदे मिले , उनके कल्याणकारी काम काज हों , विधवाओं को पेंशन मिले , छात्रों के लिए छात्रवृत्ति , हॉस्टल , कोचिंग , अस्पताल बनाये जायें , इसकी ज़िम्मेदारी मिली , है ,, खानु खान को ,दुबारा निर्वाचन पर , राजस्थान के हर शख्स ने मुबारकबाद दी , बधाई दी है, लेकिन अब , बारी खुद खानु खान की अपनी कर्त्तव्यनिष्ठा , ज़िम्मेदारी के निर्वहन की है,अल्लाह से दुआ है , के खानु खान , अपनी ज़िम्मेदारी के ईमानदाराना निर्वहन की वजह से रोज़ मुबारकबाद ले , लोगों के दिलों पर हुकूमत करे ,बेवाओं की दुआएं , ले ,, कब्जेदारों , खासकर सरकार के शिकंजे में फंसी , सिसक रही वक़्फ़ सम्पत्तियों को आज़ाद कराएं ,, वक़्फ़ सम्पत्ति के दुश्मनों के सामने वोह ,, पार्टी , समाज , मुलाक़ातें भुलाकर , आँखों में आँखें डालकर ,निष्पक्ष होकर , कार्यवाही की शुरुआत करें , यक़ीनन वोह रोज़ मुबारकबाद के हक़दार हैं , खानु खान के अनुभव , उनकी टीम , यक़ीनन उनसे यह सब करवा सकती ,है पुरानी ख़ामोशी अब उन्हें एक क्रांति के रूप में उनके कामकाज की शुरुआत के साथ लोगों के सामने मिसाल बनाकर पेश करना होगी , अशोक गहलोत ने उन पर भरोसा किया है ,, सिर्फ इसलिए के वोह वक़्फ़ की सम्पत्तियों की हिफाज़त करें , भाजपा के लोग जो , वक़्फ़ सम्पत्तियों की कमेटियों में है , उन्हें शुद्धिकरण कर , ज़िम्मेदार गाँधीवादी लोगों को उसमे शामिल करें ,यह सब खानु भाई को , बिना रुके , आज से , अभी से शुरू करना है , पिछले कार्यकाल में 16 माह में सिर्फ दो मिटिंग का जो दर्द है , उसे अब हर माह नहीं तो हर तीन माह में एक मीटिंग करके दिखाना है , पुरे राजस्थान के हर समाज के ज़िम्मेदारों को वक़्फ़ के साथ , सरकार के साथ , सरकार की गाँधीवादी विचारधारा के साथ ईमानदाराना जोड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है , थोड़ी तकलीफ तो होगी ,लेकिन वाहवाही भी होगी और यह ईमानदाराना इतिहास खानु खान साहब मुख्यमंत्री के नज़दीकी होने की वजह से हर वक़्फ़ के दुश्मन , ब्यूरोक्रेट्स , मंत्री , कब्जेदारों की आँख में आँख डालकर , उनसे वक़्फ़ हित में काम करवाना है और जो भी वक़्फ़ के मुखालिफ है उन्हें खुले रूप से सबक़ सिखाना है ,
,राजस्थान के हर ज़िले में भाजपा के बैठे लोगों को हठाकर , ज़िम्मेदार लोगों को कमेटियों में सदर बनाना अब समय बद्ध कार्यक्रम के तहत ज़रूरी हो गया है
राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड में , कल सोमवार को हुए पंचवर्षीय चुनाव प्रणाली में , खानु खान बुद्धवाली एक बार फिर ,, निर्विरोध निर्वाचित होकर , खुदा की राह में समर्पित सम्पत्ति के निगराकार ,ज़िम्मेदार बन गए है ,, खानू खान को , वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन की यह दूसरी बार ज़िम्मेदारी मिली है , गुज़रे कार्यकाल में तो , भाजपा द्वारा नियुक्त जिला वक़्फ़ कमेटियों के अध्यक्षों को जस का तस रखा गया था , लेकिन अब समयबद्ध कार्यक्रम के तहत , हफ्ते भर में वक़्फ़ बोर्ड की बैठक आयोजित कर , सभी जिला कमेटियों में , भाजपा के नियुक्त लोगों को हठा कर ,,, कार्यकर्ताओं की नामजदगी कर उन्हें ज़िम्मेदारी देना ज़रूरी हो गया है ,, हाल ही में जयपुर में वक़्फ़ की ज़मीन पर खुले आम डंके की चोट पर , बुलडोज़र चलवाकर , क्रिकेट का पिच बनाने की घटना गंभीर है, इस मामले में भी खानु खान को दोषी लोगों के खिलाफ फौजदारी मुक़दमा करवाकर अपनी ज़िम्मेदारी निभाना है ,, खानु खान के निर्वाचन के बाद , उन्हें ज़बरदस्त समर्थन ,, लोगों का उनके लिए प्यार ,, खुलूस है , और इसीलिए खानू खान के लिए ,, अब सभीविचारधाराओं से ऊपर उठ कर ,, वक़्फ़ सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने वाला चाहे कोई भी अपना पराया हो उससे टकराना उनकी जवाबदारी बन गयी है और इसके पहले कार्यकाल में उन्होंने यह बखूबी करके दिखाया है , लकिन अब पुरे पांच साल ,है पहली प्राथमिकता एक हफ्ते में भाजपा के लोगों को हटाकर नए ज़िम्मेदार लोगों को तत्काल नियुक्त करना है, ,,,खानू खान ,,पेशे से वकील है ,,,डॉक्टरेट की उपाधि लेकर डॉक्टर है ,,कई समाजसेवी संस्थाओं के अध्यक्ष ,संचालक ,संरक्षक होने के नाते ,,संस्थाओं से सक्रिय होकर जुड़े है ,,,खानू खान बुधवाली ,प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे है ,, यह हर चुनाव चाहे विधानसभा हो ,,लोकसभा हो ,,नगर ,पालिका ,पंचायत चुनाव हो ,,सर्वाधिक सक्रिय रहे है ,,,,खानू खान बुधवाली ,,राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में दो बार,, अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष रहे है ,,इन्होने राजस्थान के हर ज़िले ,हर ,कस्बे हर गाँव में जाकर ,संगठन का प्रचार किया है ,यह हर संकट में कांग्रेस के एक सजग ,सतर्क जंगजू सिपाही बनकर , संगठन हित में जंग लड़ते रहे है ,, खानु खान बुद्धवाली साहब के राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड के दूसरी बार चेयरमेन बनने के बाद ,,विकास की एक नई राह ,बहतर वक़्फ़ प्रबंधन ,दबंग और इंसाफ़ाना व्यवस्था की उम्मीद जाग्रत हुई है ,,कुछ चापलूस इर्द गिर्द है ,कुछ दागी इर्द गिर्द है ,,कर्मचारी इर्द गिर्द नज़दीकी होने की कार्ययोजनाएं तैयार कर रहे है ,लेकिन उम्मीद ही नहीं पूरा यक़ीन है ,के खानु खान वक़्फ़ हित में किसी के आगे न तो झुकेंगे ,, नाही वक़्फ़ का नुकसान करने वाले को वोह बख्शेंगे ,वोह वक़्फ़ के लिए कई नयी बेहतर कार्ययोजना लाकर इस वक़्फ़ कार्यकाल को ऐतिहासिक बेहतरीन प्रबंधन की मिसाल बनाने के प्रयास करे ,अल्ल्लाह उन्हें कामयाब करे ,ऐसी दुआ है ,, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष ,राजस्थान अल्पसंख्यक विभाग में दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहकर ,संगठन ,आम लोगों की समस्याओं ,समाधान के प्रयासों से जुड़े अनुभवी शख्सियत खानू खान बुधवाली,,, राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड ऑफ़ मुस्लिम्स के दूसरी बार फिर चेयरमेन तो बन गए है ,उनके इर्द गिर्द जिलेवार वक़्फ़ कमेटियों के सदर बनने की कोशिशों में जुटे ,,लोगों का जमावड़ा भी होने लगा है ,लेकिन वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमेन का यह पद ,सावधानी हठी ,,दुर्घटना घटी , जुमले की तरह है ,वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन की हैसियत से खानू खान बुधवाली साहब की प्राथमिकताएं क्या होंगी यह तो उन्हें पता है ,उनके अनुभवों का पिटारा उनके पास है , लेकिन कुछ मामले ऐसे है ,कई लोग आये ,,कई लोग चले गए ,,मुख्यमंत्री ,सरकारों के गुणगान किये और चले गए ,,वोह समस्याए आज भी जस की तस है ,इसलिए अगर उन समस्याओं का समाधान हुआ,, तो ही अनुभवों , ,दबंगाई की सार्थकता है ,,, वर्ना यह कांटो भरा ताज ,,एक चुनौतियों का इतिहास है ,,,, राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की पूरी सम्पत्तियाँ अभी भी ,डिज़िटलायज़्ड तो दूर सर्वेक्षित भी नहीं हो सकी है ,,सम्पत्ति का सर्वेक्षण ,,उसकी पैमाइश ,दिशाए ,चारदीवारी को लेकर कई जगह विवाद है ,,,में सिर्फ कोटा के कुछ विवाद गिनाना चाहूंगा ,कोटा में मेडिकल कॉलेज रंगबाड़ी क़ब्रिस्तान की ज़मीन वक़्फ़ खाते में अभी तक दर्ज नहीं हो पायी है ,कोटा में विज्ञाननगर क़ब्रिस्तान आवंटन की समस्या विज्ञाननगर निवासियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है ,कोटा में माचिस फैक्ट्री डडवाडा क़ब्रिस्तान की समस्या 1976 में हाईकोर्ट के स्क्रीनिंग कमेटी में प्रकरण के निस्तारण के आदेश के बावजूद अभी तक जस की तस बनी है ,,लाडपुरा की एक मस्जिद वक़्फ़ रिकॉर्ड में अपभ्रंश होते होते ,मस्जिद से मंदिर के रूप में वर्तनी मिस्टेक के कारण दर्ज हो गयी है ,,नांता मुनि जी का कुंड का विवाद है ,केथून वक़्फ़ सम्पत्ति का विवाद आज भी जस का तस है ,,,शॉपिंग सेंटर सिंघीवालान क़ब्रिस्तान ,शॉपिंग सेंटर ईदगाह का मामला लंबित है ,,बोरखेड़ा क़ब्रिस्तान पर क़ब्ज़े और आम रास्ते सहित रेलवे ट्रेक बनाने सहित कई गंभीर मामले विवादित बने हुए है ,,कोटा में बरकत उद्यान की मस्जिद मरम्मत की स्वीकृति पुरे पांच सालों में अभी तक सभी प्रयासों के बाद नहीं मिल पायी है , रामगंजमंडी ,इटावा ,,सांगोद ,, कोटा स्टेशन काला तालाब कृषि भूमि ,नांता ईदगाह की भूमि पर सरकारी अतिक्रमण ,बोरखेड़ा क्षेत्र में एक मस्जिद निर्माण का विवाद बना हुआ है ,,,रंगबाड़ी क़ब्रिस्तान सहित कई क़ब्रिस्तानों में मिटटी डलवाई वक़्फ़ हॉस्टलों का संचालन ,,,पुराने क़ब्रिस्तानों की मरम्मत ,,घंटाघर स्थित अनजुमन इस्लामिया वक़्फ़ सम्पत्ति का स्कूल जो दम तोड़ रहा है ,, ज़हूरा उर्फ़ हजीरा क़ब्रिस्तान जिसे केसर खान डोकर खा का मक़बरा भी कहा जाता है ,यहाँ अतिक्रमण विवाद ,वक़्फ़ कॉलोनी का नियमतिकरण ,,,अधरशिला वक़्फ़ सम्पत्ति विवाद ,,सहित कई विवाद आज भी बेहतर प्रबंधन के साथ ,विवादों के निस्तारण के इन्तिज़ार में है ,,पुरे पांच सालों से बरकत उद्यान की मस्जिद की मरम्मत छत नहीं होने से ,,बारिश ,गर्मी में नमाज़ियों का बहुत परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा है ,, कमोबेश यही हाल जयपुर ,भरतपुर ,टोंक ,झालावाड़ ,सवाईमाधोपुर जोधपुर ,भीलवाड़ा ,पाली ,सहित सभी ज़िलों में मौजूद ,है जिनका निराकरण करना अभी चुनौती है ,,टोंक में जामा मस्जिद ,वक़्फ़ के पूर्व सदर द्वारा करवाए गए कार्यों की क्रियान्विति ,निगरानी भी अगर हो जाये तो बेहतरीन उपलब्धि हो सकती है ,जयपुर में अम्बानी शाह का नाला ,, सहित कई बढे किरायेदारी विवाद है ,वक़्फ़ सम्पत्तियों पर विज्ञापन एजेसनियाँ ,,विज्ञापन लगाकर मज़े कर रही ,है ,,राजस्थान में नया किराया क़ानून 2006 आया तो है ,लेकिन अभी तक व्यव्हारिक रूप से उसकी क्रियान्विति नहीं हो पायी है ,,वक़्फ़ गज़ट 1964 बाद नयी सर्वेक्षित ,आवंटित वक़्फ़ सम्पत्ति के सर्वे कई बार होने के बावजूद भी वक़्फ़ अधिनियम के तहत आज तक भी विधिक रूप से गज़ट नोटिफिकेशन पर किसी भी राज्य सरकार ने हस्ताक्षर नहीं किये है ,बस सर्वेक्षण ,दफा 26 ,दफा 36 का सम्पत्ति रजिस्टर वोह भी आधा अधूरा है ,ज़िलों के कलेक्टर ,एस डी एम ,तहसीलदार ,वक़्फ़ सम्पत्तियों के अतिक्रमण के मामले में गंभीरता से सुनवाई नहीं करते ,झालावाड़ मेडिकल कॉलेज ,,के समझौते की ज़मीन का विवाद ,,मज़ारों को तहस नहस करने का विवाद अभी भी ज्वलंत मुद्दा है ,,वक़्फ़ विकास प्राधिकरण की सर्किट बेंच संभागीय स्तर पर सुनवाई के लिए ,राजस्थान के दूरदराज़ क्षेत्रों में त्वरित सुनवाई के लिए लगवाई जाना ज़रूरी है ,,वक़्फ़ सम्पत्ति का राजसिटर जो जिलेवार ,वक़्फ़ सम्पत्तियों का डिजिटल बनाया जाये ,जिसकी एक प्रति हर जिला वक़्फ़ कमेटियों के पास हों ,ताकि ज़िले स्तर पर होने वाली ज़रूरत को वोह ज़िले स्तर पर ही रिकॉर्ड देखकर तैयार कर ले ,वक़्फ़ के पास ज़िले में कई कर्मचारी है ,कई कमेटियां है ,जिनके कार्यविवरण को देखे तो नियमित आँकलन के बाद सो दिन चले ढाई कोस वाला ही है ,,हर ज़िले में ,वक़्फ़ सम्पत्ति के रजिस्टर में ,क्तिनी मस्जिदें ,कितनी दुकाने ,पैमाइश ,दिशाए ,वक़्फ़ सम्पत्ति के प्रबंधन समिति ,ईमाम के नाम ,, पते मोबायल नंबर का रिकॉर्ड हो ,कितने मज़ारात है ,कितनी दरगाह , खानकाह ,हॉस्टल ,,मदरसे ,,शॉपिंग कॉम्प्लेक्स दुकाने ,,वगेरा जो भी सम्पत्ति है ,उसकी पूरी तरह की जानकारी के रजिस्टर ,कम्प्युटराइज़्ड डिजिटल ऑन लाइन वक़्फ़ रिकॉर्ड होना ज़रूरी है ,,राजस्थान की पंचायतों ,नगर निगमों ,पालिकाओं सहित दूसरे निकायों ,सरकरकारी विभागों ने वक़्फ़ की गज़ट और अधिसूचित ज़मीन में से कितनी ज़मीन अपने क़ब्ज़े में लेकर अवैध निर्माण किये है ,उनके सर्वेक्षण कराकर ,लेंड फॉर लेंड की भी वक़्फ़ द्वारा डिमांड की पहल करना ज़रूरी है ,, ,वक़्फ़ सम्पत्तियों का सोंदर्यकरण ,ऐतिहासिक स्वतंत्रता सेनानियों ,नवाबों ,बादशाहों के स्मारकों का जीर्णोद्धार ऐतिहासिक महत्ता के प्रदर्शन के साथ ज़रूरी है ,,वर्तमान में भाजपा के वक़्त की बनाई गयी वक़्फ़ कमेटिया है जिन्हे तुरतं हटाना ज़रूरी है ,,तुरंत नयी कमेटियों में अनुभवी लोगों को शामिल कर ज़िम्मेदारी देने की ज़रूरत है ,लेकीन हमेशा एक चापलूस ,चमचों ,और खासकर ज़िले स्तर की कमेटियों सहित जयपुर वक़्फ़ बोर्ड कार्यालय के कुछ चापलूस कर्मचारी चेरयमैन की हाँ में हाँ मिलाकर ,उसकी सभी शक्तियों को हेल्डअप कर देते है ,,टोंक की वक़्फ़ कमेटी सचिन पायलेट के नाम पर बनवाने की अफवाह फैलाने की जांच चल रही है ,जबकि अभी वक़्फ़ बोर्ड की बैठक जिसे इस बोर्ड की पहली बैठक कहेंगे ,सम्पादित करवाकर ,जिलेवार कमेटियों और निगरानी के लिए ,,वक़्फ़ सदस्यो को प्रभारी ज़िले देने का काम भी बाक़ी है ,,शीघ्र भाजपा से जुड़े लोगों को हटाकर ,सक्रिय समाजसेवी लोगों को जिलेवार कमेटियों में शामिल करना ज़रूरी हो गया है ,लेकिन यह सब कब होगा ,कैसे होगा ,किनकी सिफारिशों पर होगा ,राजनितिक सिफारिशों ,राजनितिक चौधराहटों का अखाड़ा बनेगा या फिर ,समाजसेवा ,उसके अनुभव के आधारों को बिना सिफारिश के ज़िम्मेदारियाँ दी जाएंगी यह तो वक़्त ही बताएगा ,,खेर देखते है ,,भाई खानु खान एक बेहतरीन अनुभवी शख्सियत है ,उन्हें कुछ भी बताना ,,सूरज को दिया दिखाने की तरह है ,उनसे पूरी कॉम को ,सरकार को बहुत से भी बहुत ज़्यादा उम्मीदें है ,सभी जानते है ,वोह मुख्यमंत्री सहित सभी नेताओं के नज़दीकी है ,तो वोह राज्य सरकार से भी हर तरह की मदद लेने में सक्षम है , फिर भी बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष सय्यद शाहिद हसन , पूर्व चेयरमेन युसूफ खान , विधायक रफ़ीक़ खान ,, उनके लिए मददगार साबित हो सकते है , ,,एडवोकेट ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
19 जनवरी 2022
अल्लाह का शुक्र , डॉक्टर खानु खान बुधवाली को दूसरी बार ,, खुदा की राह में समर्पित सम्पत्ति के रखरखाव , अल्लाह की मख्लूक़ को , अल्लाह की सम्पत्ति से किस तरह के बेहतर फायदे मिले
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)