महीनों से अंधता का दुखः भोग रही कैलाश की दुनिया हुई रौशन
रौशनी मिली तो,वापस रौनक आ गयी कैलाश बाई के
पट्टी
खुलते ही कैलाश बाई ने सबसे पहले अपने बेटे महेश को गले लगाया,काफ़ी समय से
वह आँखों में मोतियाबिंद हो जाने के कारण अन्धता का दुखः भोग रही कैलाश
बाई जी काफ़ी हताश हो गयी थी ।
कैलाश
जी कच्ची बस्ती में ,बहुत गरीब परिवार से संबंध रखती हैं,उनके पति का साथ
बहुत पहले ही छूट गया था,एक बेटा है, जिसकी मानसिक हालत भी ठीक नहीं
हैं,बेटा सिर्फ इतना ही कमा पाता है कि,दो समय का भोजन का गुजारा हो जाये
।
कैलाश बाई अँधेरे को
अपना नसीब मानकर बैठ गयी थी,उसको पता था,न तो उसके पास ऑपेरशन के लिये पैसे
है,और न उसको किसी से कोई उम्मीद थी।
किसी
ने महेश को शाइन इंडिया फाउंडेशन के मोबाइल नम्बर दिये तो,संस्था सदस्यों
ने परिवार से संपर्क किया,पैसों के अभाव के कारण उनका मोतियाबिंद का ऑपरेशन
काफी समय से नहीं हो पा रहा था, बेटे महेश ने अनुरोध किया तो,संस्था
सदस्यों और एनएमएफ करनावट ट्रस्ट के सहयोग से शहर के प्रमुख नेत्र शल्य
चिकित्सक से माताजी की आँख का ऑपरेशन करवाया ।
कैलाश
जी अब पूर्णतया स्वस्थ हैं,खुश हैं,बहुत अच्छे से अपने दिनचर्या के कार्य
कर रही हैं । संस्था से जुड़े सदस्यों का कहना है कि,यदि सामर्थ्यवान लोगों
का इसी तरह से सहयोग मिलता रहें,तो हमारा प्रयास रहेगा कि, हम कुछ और
दृष्टिहीन लोगों की आँखों में रोशनी पहुंचाने में सहायक बन सके ।
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