*एक ट्रेन छूटी, तो दूसरी पकड़ कर 160 km से लेकर आये नैत्रदान*
*नैत्रदान परंपरा बनी रहे,इसलिए दूरी,मौसम और समय के कोई मायने नहीं*
*पत्रकार संतोषी जी के नैत्रदान के लिये,कोटा से शामगढ़ पहुँची टीम*
नैत्रदान-अंगदान-देहदान
के लिये सयुंक्त रूप से संभाग स्तर पर कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया
फाउंडेशन के सामाजिक कार्यों का दायरा बढ़ता चला जा रहा है। नैत्रदान के
प्रेरणास्पद कार्यों के बारे में पढ़कर लोगों में अब स्वतः जागरूकता आने लगी
है,वह दिन दूर नहीं जब प्रतिदिन कोटा संभाग में नैत्रदान होने लगेगें।
रविवार
रात 9 बज़े, शामगढ़ निवासी,पत्रकार श्री एस आर संतोषी (78 वर्षीय) का
आकस्मिक निधन हो गया। संतोषी जी स्वयं व इनके तीनों बेटे विष्णु,राजेश व
महेश सामाजिक कार्य में सदा सक्रिय रहे हैं । इसके साथ ही इनके भतीजे संदीप
और दीपक भी भारत विकास परिषद के साथ कई वर्षों से जुड़े हुए है ।
निष्पक्ष,
सत्य व पारदर्शिता पत्रकारिता से जुड़े रहने के कारण संतोषी जी ने समाज और
शहर के हर जरूरी मुद्दे को राजनेताओं व प्रशासन के सामने रख,उसको सफ़ल बनाया
है । संतोषी जी के मधुर, मिलनसार,कुशल नेतृत्व व मृदुभाषी व्यक्तित्व ने
उनको पूरे शामगढ़ में एक अच्छी पहचान दी हैं। इनके इसी कार्यों से प्रेरित
होकर इस वर्ष का मंदसौर संसदीय क्षेत्र श्री राजमल लोढा पत्रकारिता
सम्मान,फरवरी में श्री एस आर संतोषी को दिया जाना प्रस्तावित था।
भतीजे
संदीप और दीपक ने ताऊजी के देवलोक-गमन के उपरांत परिवार के सदस्यों से
चर्चा कर ताऊजी के जीवन को सार्थक और मोक्ष प्राप्ति बनाने हेतू नैत्रदान
का पुनीत कार्य सम्पन्न करवाने के बारें में बात की । सभी की सहमति मिलते
ही उन्होंने रात 12 बज़े भवानीमंडी निवासी शाइन इंडिया के ज्योति-मित्र
कमलेश दलाल जी को सम्पर्क किया,कमलेश जी के कहने पर कोटा स्थित ईबीएसआर के
बीबीजे चेप्टर के कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ सुबह चार बजे की ट्रेन से
निकलने के लिये कोटा जंक्शन के लिए रवाना हो गए,परंतु दुर्भाग्यवश ट्रैन
छूट गयी।
ट्रैन छूटने के
बाद डॉ गौड़ ने परिवार की अंतिम इच्छा को पूरा करने के उद्देश्य से,और
नैत्रदान किसी तरह से परिवारों में परंपरा बना रहे,अगली ट्रेन 7:30 बज़े
कोटा-नागदा वाली से शामगढ़ पहुँचे । ज्ञात जो कि वर्ष 2019 में संतोषी जी
के भाई राधे श्याम राठौर, और इसी वर्ष 2021 में भाभी धापूबाई का नेत्रदान
संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से हुआ हैं ।
परिजनों
को शंका थी कि तेज़ ठंड,औऱ 150 किलोमीटर की दूरी तय करके कोटा से नेत्रदान
लेने के लिए टीम आएगी भी या नहीं,इस विचार से अंतिम संस्कार का समय भी
थोड़ा लेट रखा गया था, पर नेत्रदान के लिए टीम सही समय पर आ गई और यह पुण्य
कार्य संपन्न हो गया ।
नैत्रदान
लेने के लिए आये शाइन इंडिया के संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ ने कहा
कि,परिवारों में अब नेत्रदान एक परंपरा की तरह स्वरूप ले चुका है क्योंकि
वह भी यह समझते हैं कि,अंत समय में मृत-परिजनों के नैत्रदान करवाने का
कार्य होना ही सही मायने में अपने मृत परिजनों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि
होता है ।
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