असहाबी क़ेस अब्दुल रशीद साहब से मुझ तक मेरे खानदान का मुख़्तसर सफर,
दोस्तों आज में अपने एक पुराने कागज़ की तलाश में पुरानी फाइलें छान रहा था अचानक मेरे हाथ में मेरे खानदान का शिजरा यानी इतिहास आ गया .......मेने सोचा इस शिजरे से आप सभी भाइयों को भी अवगत करा दिया जाए ..इस्लाम , इंसाफ सुकून , शांति , सद्भाव का परचम जब लहराया जा रहा था तब, हुजुर सललाहे वसल्लम की मौजूदगी में साहिबे इकराम आली जनाब केस अब्दुल रशीद का निकाह जनाब खालिद बिन वलीद की साहिबजादी सायरा बेगम के साथ हुआ और उसके बाद उनके घर में साहिबजादे महमूद खान का जन्म हुआ जो घोड़े के व्यापारी थे ..जिनके साहिबजादे बर्मूल खान ने इस्लाम, अमन , सुकून, शांति, सदभाव के प्रचार के साथ इस कारोबार को बढाया ..फिर इनके साहिबजादे शाहबुद्दीन सूफियाना तोर पर शांति सदभाव, अमन, सुकून, इस्लाम के प्रचारक रहे और फकीरी में ही अरब से भारत आ गये ,, जहां पेशावर में आज भी उनका कुट्टे शाह बाबा के नाम से मजार है, उनके लियें मशहूर है के वोह हर लाइलाज बीमारी को खुदा के फ़ज़्ले करम से ठीक कर देते थे खासकर उन दिनों कुत्तों के काटने से लोग मर रहे थे, लेकिन जिस कुत्ते काटे के सर पर वोह हाथ फेर देते थे वोह भला चंगा हो जाता था .......कुट्टे शाह बाबा उर्फ़ शहाबुद्दीन के साहिबजादे शाह आलम खान वर्तमान उत्तरप्रदेश में आ गये जहां उनका बदायूं में मजार स्थापित है ..उनके साहिबजादे हाफ़िज़ रहमत खान रामपुर के नवाब बने और आज़ादी के आन्दोलन में अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के ग़दर में भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ते हुए एक तोप का गोला सीने पर लगने से , वोह शाहीद हो गए उनका मजार बरेली में स्थापित है ....उनके पुत्र इनायत खान और अकबर खान को अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार नहीं करने पर, अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया लेकिन इस बीच रोहेला पठानों का रिश्ता टोंक के पिंडारी मीर खानी पठानों में हो जाने से, अंग्रेजों के चंगुल से टोंक नवाब ने उन्हें मुक्त कराया और फिर वोह राजस्थान में आ गये जहाँ अकबर खान के पुत्र मुख़्तार अली खान अंग्रेजी हुकूमत से प्रताड़ित लोगों की वकालत करते थे और आज भी माउंट आबू राजस्थान में उनका मजार बना हुआ है ..उनके पुत्र साबिर अली खान थे और मुस्तुफा अली खान उनके पुत्र हुए जो भी परगना तहसील मजिस्ट्रेट का पद छोड़ कर स्वतन्त्रता सेनानी होने से अंग्रेजों द्वारा प्रताड़ित होते रहे बाद में भारत आज़ाद होने के बाद तात्कालिक प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने उन्हें बंदूक के कारतूसों की टोपियाँ बनाने के कारखाने का लाइसेंस दिया जो भारत गन केप के नाम से चलाया गया ..पिडावा तहसील के कडोदिया गाँव की जागीरदारी उनकी पत्नी हमारी दादी साहिब बदरुन्निसा के नाम पहले से ही थी ........मुस्तुफा अली खान के पुत्र कड़ोदिया जागीरदार मुर्तुजा खान जो मेरे ताऊ जी थे उनका स्वर्गवास हो गया उनके दो पुत्र सलीम खान और शाहिद खान झालावाड में रहते है दुसरे पुत्र इंजिनियर असगर अली खान का भी इंतेक़ाल हो गया , जिनके हम दो पुत्र एडवोकेट अख्तर खान अकेला और दुसरे परवेज़ खान है मेरे एक पुत्र शाहरुख़ खान ..दो पुत्रिया जवेरिया अख्तर ..सदफ अख्तर है जबकि परवेज़ खान के एक पुत्र शाज़िल खान पुत्री इश्बा है जो अभी पढ़ रहे है .............तो दोस्तों यह है हमारे खानदान का ऐतिहासिक सफर की दास्ताँ .................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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