मैं कभी बड़े लोगो व बड़े नेताओं के बीच नही रहा । न उनके साथ सेल्फी लेना पसंद है । छोटी छोटी जगहों की यात्रा की छोटो के बीच ही रहा । क्योकि मेने बड़े लोगो व बड़े शहरों की चकाचौंध बहुत देखी है । चाहे बड़े लोगो मे बाबा रामदेव हो या फिर बड़े नेताओ में अरुण जेटली, राजनाथ सिंह या फिर उमा भारती वही बड़े शहर दिल्ली मुंबई, नागपुर जयपुर अहमदाबाद, राजकोट, या फिर हरिद्वार लखनऊ छोटी-छोटी यात्राएं की, गांवों में गया, पहाड़ों पर गया, ऐसी जगहों व लोगो के पास गया जिनका कोई परिचय तक नहीं होता। सर्दी, गर्मी, बरसात में भीगते, ठिठुरते हुए सामान्य लोगों के साथ खड़ा हो गया।
पैसा तो मैने नही कमाया पर लोगो का विश्वास व संबध बहुत कमाए । मुसाफ़िर हु पर आज कह सकता हु देश के कही शहरों में ठिकाना है मेरा ।
किसी ने पूछा कि कहां से आये तो एक टूक उसे देखा और बता दिया कि राजस्थान में कोटा शहर के नदी पार क्षेत्र की ऐसी जगह से नाता है मेरा जिसे कोटा में ही अति पिछड़ी जगह कुन्हाड़ी के नाम से जाना जाता है । आज भले बड़ा शहर हो गया जिसे गाँव ही समझा जाता था । किसी ने पूछा क्या करते हो तो बोल दिया घुमक्कड़ हु । सब तरह के लोग मिले किसी ने प्यार से बातें कि तो किसी ने सबकुछ समझते हुए भी नजरअंदाज कर दिया।
प्यार बहुतों का मिला पर किसी से कोई शिकायत नहीं।
सच बहुत छोटा सा परिचय है मेरा। सच में कितनी छोटी है मेरी दुनिया। घूमना और लिखना, ताउम्र घूमते और बस लिखते रहना। खुद को खुद तक सीमित कर लेना, सब कुछ भुलाकर सृष्टि के बीच खो जाना और भरपूर जीवन जीना।
~ राजेन्द्र सुमन
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