दूसरों की दुनिया रौशन करने के लिये, दीपावली की पूजा छोड़,4 नेत्र किये संकलित
दीपदान पर्व दीपावली पर,सम्पन्न हुए 2 पुण्यात्माओं के नैत्रदान
दीपावली को पूजा छोड़,सम्पन्न किये 2 पुण्यात्माओं के नैत्रदान
जब
पूरा शहर रौशनी से जगमगा रहा हो,लोग खूब आनंद से परिवार सहित मौज-मस्ती कर
रहें हो,ऐसे समय में अचानक शोक की ख़बर,परिवार के ख़ुशी के माहौल को ग़म में
बदल देती है ।
नैत्रदान-अंगदान-
देहदान के लिए कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्य भी अपने
अपने घरों पर लक्ष्मी पूजा की तैयारी कर रहे थे,तभी संस्था के ज्योतिमित्र
विकास कौशिक ने शाम 7 बज़े डॉ कुलवंत गौड़ को सूचना दी कि,उनकी श्रीनाथपुरम
निवासी,ताई जी कृष्णा कौशिक (64 वर्ष) का आकस्मिक निधन हो गया है,परिवार के
सभी सदस्यों की समझाइश के बाद ताऊजी चंद्र मोहन कौशिक,व बेटे सुबोध व
विवेक चाहते है कि,माता जी का नैत्रदान हो सकें।
सूचना
मिलते ही,डॉ कुलवंत अपनी घर की दीवाली की पूजा छोड़,तुरंत ही एबीएसआर के
तकिनीशियन टिंकू ओझा के साथ निवास पर पहुँच गये, और परिवार के सदस्यों के
सामने नैत्रदान की सम्पूर्ण प्रक्रिया सम्पन्न हुई।
चंद्र
मोहन जी राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय, कोटा से सेवानिवृत्त होने के बाद से
समाज से जुड़े कई कार्यों में अपनी सेवाएं देते रहें है । उनका कहना है
कि,नैत्रदान से बढ़कर दीपदान कोई और हो ही नहीं सकता,सही मायनों में यही
असली दीपावली है की,कृष्णा की आँखों से किसी और कि आँखों में रौशनी आ
सकेंगी।
अभी कृष्णा जी के
नैत्रदान लेकर टीम के सदस्य घर से निकले ही थे कि,छावनी में रहने वाले
शाइन इंडिया के अन्य ज्योति-मित्र त्रिलोक चंद नेनवानी ने बताया कि उनके घर
के सामने रहने वाले गणेश शाक्यवाल जी की धर्मपत्नी शकुंतला शाक्यवाल (53
वर्ष) का देवलोकगमन हो गया,और परिवार के सभी सदस्यों को प्रेरित करने के
बाद सब चाहते हैं, उनका नैत्रदान हो सकें । इस निर्णय के बाद संस्था
सदस्यों ने तुरंत घर पर जाकर नैत्रदान की प्रक्रिया को पूरा किया।
गणेश
लाल जी और उनके बेटों जयदीप व लोकेश को शंका थी कि,नैत्रदान की प्रक्रिया
में रक्तस्राव होगा,और चेहरा बिगड़ सकता हैं, पर जब सभी ने पूरी प्रक्रिया
को देखा, तो उनको बड़ा आश्चर्य हुआ कि,नैत्रदान से पहले और बाद में चेहरे का
स्वरूप वैसा का वैसा रहा,और न किसी तरह का कोई रक्त इस दौरान निकला ।
जयदीप
और लोकेश में संस्था के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने यह
प्रक्रिया पहली बार देखी है लेकिन अब वह यह प्रण लेते हैं कि जब भी कभी
अपने मित्रों, रिश्तेदारों या आसपास में कहीं कोई मृत्यु की घटना देखते
हैं,तो यह प्रयास करेंगे कि,उनका नेत्रदान का कार्य संभव हो सकें ।
इस
तरह से दीपावली के पावन पर्व पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्रों
विकास कौशिक व त्रिलोक जेसवानी के माध्यम से दीपावली की संध्या से देर रात
10 बज़े तक नवम्बर माह के 2 जोड़ी नेत्रदान प्राप्त हुए ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)