बारां, समरानियाँ कस्बे के टिंकू ओझा कर रहे है, दृष्टिबाधितो की दुनियां रोशन
मृतक के परिजनों को नेत्रदान का महत्व बताकर, करवाते है नेत्रदान
7 वर्षों से कर रहें है नेत्रदान-अंगदान के क्षेत्र में कार्य, ओर अबतक 500 जोड़ी नेत्रदान मृत देह से ले चुके है।
छोटे
कस्बे का सफर संभाग स्तर पर पहुंचा व समरानियाँ कस्बे के टिंकू ओझा हैं जो
की आज संभाग स्तर पर नेत्रदान-अंगदान की मुहिम से जुड़कर लाखो लोगों को कर
रहें है जागरूक व जहां कहीं भी कोई मृत्यु होती है और मृतक के परिजन
नेत्रदान के लिए सहमति देते है तो वह नेत्रदान की शल्यक्रिया का कार्य वह
सम्पन्न करते है।
वर्तमान
में संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन कोटा व ऑयबैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान के
साथ मिलकर नेत्रदान जनजागृति का कार्य सक्रियता से कर रहें है, नेत्रदान के
कार्य में कई हदतक मुश्किलें आती है जैसे मृतक के परिजनों को नेत्रदान
हेतू समझाइश करना व उन्हें उस हेतू राजी करना कि नेत्रदान का पुनीत कार्य
आपके परिजन का सम्पन्न कराए जिससे दो दृष्टिहीनों को रोशनी प्राप्त हो सके।
वर्ष
22 जनवरी 2019 पहलीबार सम्पूर्ण राजस्थान में टिंकू ओझा ने ही अपने विवाह
समारोह में संभाग में कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग
से नेत्रदान-अंगदान संकल्प शिविर का आयोजन कर, एक जागरूकता की अनोखी मिसाल
पेश की।
हर वर्ष अपने
जन्मदिवस पर करते हैं रक्तदान, लगभग 15 वर्षों से ओझा अपने जन्मदिन के दिन
रक्तदान किसी जरूरतमंद या ब्लड बैंक जाके करते हैं।
विवाह
के दौरान टिंकू ओझा व उनकी धर्मपत्नि श्रीमती सुमन ओझा ने विवाह में आने
वाले सभी अतिथियों से आग्रह किया की, किसी भी तरह का उपहार न लाकर वह
अंगदान-नेत्रदान का संकल्प पत्र भर सौंपे जिससे पुनीत कार्य के प्रति
जागरूकता बढ़ेगी।
कोटा
संस्था शाइन इंडिया के अध्यक्ष डॉ. कुलवंत गौड़ बताते हैं की, अंग के अभाव
में टिंकू ओझा ने अपनी माँ स्व. श्रीमती विद्याबाई ओझा को वर्ष 2014 में
खोया था, जब से उन्हें यह ज्ञात है कि मानव अंगों का क्या महत्व होता है,
यदि वह किसी जरूरतमंद को समय पर न मिले।
टिंकू
ओझा के पिता राजेन्द्र ओझा व 2 बड़े भाई हेमराज व धर्मेंद्र ओझा का कहना है
कि, हमें आज बहुत गर्व महसूस होता है, कि हमारा छोटा भाई टिंकू
अंगदान-नेत्रदान जैसे पुनीत कार्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित है।
टिंकू
ओझा का कहना है कि, यदि हम मानव जीवन को सही मायने में सार्थक करना चाहते
है तो किसी भी पुनीत कार्य मे अपना योगदान अवश्य दें, जिससे कई असहाय लोगों
की मदद होगी और वह भी अपनी दिनचर्या हमारी तरह जी सकें।
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