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10 नवंबर 2021

*बेटे को बुखार में छोड़कर,शाइन इंडिया ने देर रात बूंदी से लिया नेत्रदान

*बेटे को बुखार में छोड़कर,शाइन इंडिया ने देर रात बूंदी से लिया नेत्रदान*
*बेटे की तबीयत ख़राब, फिर भी देर रात बूँदी से लिया नैत्रदान*

शाइन इंडिया फाउंडेशन के द्वारा पूरे हाड़ौती संभाग में नेत्रदान अंगदान व देहदान के प्रति अब लोगों में जागरूकता बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है । कोटा संभाग में ऐसा कोई दिन नहीं जाता,जब कुछ शहरवासी आगे आकर नेत्रदान अंगदान या देह दान के लिए कोई चर्चा या संकल्प पत्र ना भरते हों ।

मंगलवार देर रात शाइन इंडिया के सक्रिय सदस्य श्री राजेंद्र झाबख के साले साहब चूड़ी बाजार, बूँदी निवासी श्री राकेश भंडारी (50 वर्षीय) जी का बूंदी में ही दुर्घटना होने से आकस्मिक निधन हो गया । इस बात की सूचना शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों को भी लगी ,राकेश जी के भाई सुभाष भंडारी,आदित्य भंडारी व अन्य उपस्थित लोगों ने इच्छा जाहिर की,कि राकेश जी का नेत्रदान व देहदान हो सके । 

इस सम्बंध में संस्था के डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि,किसी भी तरह की दुर्घटना ग्रसित,क्षत विक्षत शव व मेडिको लीगल केस में देहदान संभव नहीं है । देहदान साधारण-तया होने वाली मृत्यु में ही संभव है, यदि मृत्यु का कारण ब्लड में किसी तरीके कोई इंफेक्शन,जहर फैलने,अधिक वज़न, कृशकाय या अति-कमज़ोर शरीर हैं, तो ऐसी अवस्था के होने पर देहदान संभव नहीं हैं। 

परिजनों ने नेत्रदान के लिए अपनी सहमति दे दी थी तो डॉ कुलवंत गौड़ सूचना मिलते ही अपने घर से रवाना हुए । घर पर उनके बेटे मृत्युंजय को भी तेज बुखार था, ऐसे में उसको अकेला छोड़ना भी संभव नहीं था,परंतु नेत्रदान के पुनीत कार्य को देखते हुए उसे सोता हुआ छोड़कर, कार से 1 घंटे में बूंदी पहुंच गये। बूँदी के जिला अस्पताल में सभी रिश्तेदारों के बीच ,ज्योतिमित्र इदरीस बोहरा के सहयोग से नेत्रदान की संपूर्ण प्रक्रिया 10 मिनट में पूरी हो गयी,देर रात 12:30 बजे घर पहुँचकर बेटे को सँभाला । 

राकेश जी अविवाहित थे और अपनी माता रतन देवी जी व पिता प्रकाश चंद जी के साथ ही रह रहे थे,उनका पूरा परिवार ही सामाजिक कार्य में सदा अग्रणी रहा है इसी कारण से परिवार के लोग चाहते थे कि यह जो आकस्मिक घटना घटी है ,इसे हम नहीं रोक सकें,परंतु नेत्रदान का पुनीत कार्य तो हम सभी से संभव हो सकता है,यही सोच के साथ नेत्रदान करवाने का निर्णय लिया गया । 


 

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