तेज़ बारिश,घने कोहरे में 150 km दूर नेत्रदान लेकर वहाँ से 150 km दूर जाकर किया देहदान*
*2. कोटा से 300 km का सफ़र करके सम्पन्न हुआ नैत्रदान-देहदान*
*3. सुबह 4 बज़े से प्रारंभ हुई 400 km की यात्रा,एक देहदान,व दो नैत्रदान के बाद सम्पन्न*
*4. घना कोहरा तेज बारिश और ठंड के बाद भी जुनूनी जज्बे ने संपन्न कराया नेत्रदान देहदान*
संभाग
में नेत्रदान अंगदान और देहदान के लिए कार्यरत संस्था शाइन इंडिया
फाउंडेशन के सेवा कार्यों का दायरा बढ़ता चला जा रहा है ,अब ऐसे ग्रामीण
क्षेत्रों से भी देहदान हो रहे हैं,जहां पर अभी रक्तदान व नेत्रदान के बारे
में भी लोगों में जागरूकता पूरी तरह नहीं है ।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से आज जो पुनीत कार्य सम्पन्न हुआ है,वह काफी
समय लोगों में प्रेरणादायी रहेगी,एक वर्ष पूर्व कोटा से 150 किलोमीटर दूर
बारां जिले के शाहबाद तहसील के गांव समरानिया में माताजी कमलाबाई जैन ने
अपना देहदान का संकल्प पत्र संस्था के साथ एक वर्ष पूर्व भरा था, कल
कार्तिक पूर्णिमा की शाम को 7:00 बजे कमला जी (78 वर्षीया ) का निधन हो गया
।
जैसा कि कमला जी ने
मरणोपरांत नेत्रदान देहदान का संकल्प लिया हुआ था तो उनके बेटे अजीत जैन ने
माता जी की मृत्यु होते ही शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ को
सूचना दी,की माता जी का देहांत हो गया है और उनकी अंतिम इच्छा अनुसार उनका
देहदान होना है,डॉ गौड़ ने उसी समय बाराँ सीएमएचओ डॉ संपत लाल जी नागर साहब
से अनुरोध किया कि,चिकित्सा विभाग की तरफ से कोई एंबुलेंस की व्यवस्था मृत
देह को मेडिकल कॉलेज,झालावाड़ तक भेजने के लिये हो सकता है, तो कृपया
व्यवस्था कर दें ,उसका जो भी खर्चा आने और जाने का होगा वह संस्था वहन
करेगी ।
सीएमएचओ साहिब और
डॉक्टर आरिफ हुसैन के सहयोग से सुबह पार्थिव शव ले जाने के लिए,सशुल्क
व्यवस्था कर दी । डॉ गौड़ और अजीत जी के बीच में यह निश्चित हुआ कि, माताजी
के देवलोक गमन के बाद होने वाली पारंपरिक क्रियाएं संपन्न होने के बाद और
करीबी रिश्तेदारों के आ जाने के बाद सुबह जल्दी ही पार्थिव शव को लेकर
मेडिकल कॉलेज झालावाड को दे देंगे ।
सब
कुछ निश्चित होने के बाद सुबह 4:00 बजे कोटा से डॉ कुलवंत गौड़ और उनके
साथी टिंकू ओझा समरानिया गांव के 150 किलोमीटर के सफर पर रवाना हो गए,टिंकू
और कमला जी एक ही गाँव के पड़ोसी हैं और माताजी के देहदान के संकल्प पत्र
भरवाने में टिंकू का बहुत बड़ा योगदान रहा है, सुबह 4:00 बजे समरानीया के
लिए निकलते समय तेज बारिश और घना कोहरा पूरे रास्ते में था।
सुबह
6:00 बजे करीब शाइन इंडिया की टीम कमला जी के निवास स्थान पर थी,उनके
निवास पर करीब 100 से ज्यादा अधिक लोग थे, उनके बीच में डॉ कुलवंत गौड़ ने
कमला जी के नेत्रदान लिए और उसके बाद एंबुलेंस माताजी के पार्थिव शव को
लेकर अगले 150 किलोमीटर दूर झालावाड़ के सफ़र के लिए रवाना हो गयी ।
झालावाड
पहुंचने के बाद मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ
मनोज कुमार शर्मा द्वारा देहदान का पुनीत कार्य संपन्न हुआ, डॉक्टर गौड़ ने
बताया कि मनोज कुमार जी बीती रात से संपर्क में थे और उन्होंने रात में भी
देहदान के लिए पूरी तैयारी कर रखी थी । डॉ मनोज जी का देहदान की पूरी
प्रक्रिया में मुख्य योगदान रहा । संस्था सदस्यों ने देहदान से सम्बंधित जो
भी जरूरी कार्यवाही थे उसे पूरा किया,और अजीत जी और कमला जी के दामाद
मुकेश गोयल व राधेश्याम जी के माध्यम से कमलाबाई जी का पार्थिव शव को
मेडिकल कॉलेज झालावाड को सौंपा ।
डॉ
मनोज कुमार शर्मा ने नैत्रदानी परिवार का धन्यवाद देते हुए कहा कि,पिछले 3
सालों में मेडिकल कॉलेज को कोई देह प्राप्त नहीं हुई है,जबकि 12 साल
मेडिकल कॉलेज को खुले हुए हो गए हैं परंतु यह तीसरी देह मेडिकल कॉलेज को
इतने समय में प्राप्त हुई है ।
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ का कहना है की, बीती रात भर से हम लोग
इसी प्रयास में थे कि, किसी भी तरीके से माता जी का देहदान का पुण्य कार्य
संपन्न हो जाए,जिससे माता जी की पुण्य आत्मा को शांति मिले,इस तरह की तेज
बारिश घना कोहरा बहुत तेज ठंड में सबसे पहले समरानिया गांव 150 किलोमीटर
जाना और वहां से फिर 150 किलोमीटर झालावाड़ जाना और झालावाड़ से फिर 100
किलोमीटर का सफर करके कोटा आना,थोड़ा मुश्किल जरूर था,परंतु पुण्य काम को
पूरा होने के बाद का सुकून, सारी थकान को कम कर देने वाला जानकर और उससे
मिलने वाली खुशी को जानकर बाकी सब दौड़ भाग उसके आगे छोटी है ।
डॉ
गौड़ ने कहा कि, हमने संस्था के खर्चे पर सारी व्यवस्था की कोटा से टैक्सी
ले कर जाना और पूरा काम कंप्लीट करके वापस कोटा आना । उसके अलावा एक
एंबुलेंस जो जो कि समरानिया से झालावाड़ गयी और वापस समरानिया पहुंचाने तक
का सारा खर्चा संस्था द्वारा किया गया । प्रशासन यदि इस तरीके के पुण्य के
कार्य में थोड़ा सा सहयोग करें तो देहदान का कार्य पूरे प्रदेश में बहुत
बड़ी गति ले सकता है ।
ज्ञात
हो कि,यह तीसरा बॉडी डोनेशन झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को प्राप्त हुआ है,
इससे पहले वर्ष 2018 में गरोठ निवासी गुलाबचंदजी का देहदान कॉलेज को
प्राप्त हुआ है, जबकि पहला देहदान वर्ष 2010 में बकानी निवासी श्री
रामचंद्रजी जोशी का प्राप्त हुआ था, जबकि कॉलेज को प्रतिवर्ष 10 देहदान की
आवश्यकता होती है।
कोटा
पहुंचते से ही पुलिस लाइन नगर निवासी दुर्गा देवी (80 वर्षीया ) जी का
आकस्मिक निधन हो गया और उनके परिजनों ने नेत्रदान करने की इच्छा जाहिर की
जिसको तुरंत ही पूरा किया गया इस तरह से 10 घंटे की भाग दौड़ में संस्था के
प्रयासों से दो जोड़ी नेत्रदान और एक पुण्यात्मा का देहदान प्राप्त हुआ ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)