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02 अक्टूबर 2021

पति की इच्छा पर,मुक्तिधाम पर ही हुई नैत्रदान कार्यशाला

 

1. पीठ में चोट,फिर भी 360 km के सफ़र से 2जोड़ी नैत्रदान शाइन इंडिया ने लिये
2. पीठ में चोट,फिर भी 360 km के सफ़र से,मिलेगी चार लोगों को रौशनी 
3. मुक्तिधाम में 400 लोगों के बीच नैत्रदान जागरूकता कार्यशाला
4. पति की इच्छा पर,मुक्तिधाम पर ही हुई नैत्रदान कार्यशाला 


संभाग स्तर पर नैत्रदान-अंगदान-देहदान के लिये विगत 10 वर्षों से कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से कस्बा डग में ललित जैन जी की पत्नि रेखा जैन (40 वर्षीय) का नैत्रदान सम्पन्न हुआ। शाइन इंडिया के माध्यम से यह डग क्षेत्र में पहला नैत्रदान है। 

संस्था के भवानीमंडी क्षेत्र के ज्योति-मित्र नरेन्द्र जैन ने बताया कि,संस्था द्धारा चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों की महक भवानीमंडी से दूर-दूर भी होने लगी है । शुक्रवार सुबह 11 बज़े भवानीमंडी से 60 किलोमीटर दूर डग क्षेत्र से नरेन्द्र जी को ,रेखा जैन जी के निधन की सूचना मिली,साथ ही यह भी कहा गया कि परिजनों की इच्छा है कि नैत्रदान का कार्य सम्पन्न हो । 

नरेंद्र जैन जी ने तुरंत शाइन इंडिया फाउंडेशन की कोटा टीम को संपर्क किया, और बताया कि रेखा जी नैत्रदान के प्रति प्रारंभ से ही सकारात्मक सोच रखती थी,वह स्वयं भी इसके लिये संकल्पित थी । सारी बात सुनकर संस्था व बीबीजे चैप्टर के अध्यक्ष डॉ कुलवंत गौड़ 170 किलोमीटर दूर कोटा से नैत्रदान लेने के लिये रवाना हुए । कुछ दिनों पहले ही एक छोटे से एक्सीडेंट के कारण पीठ में तेज दर्द रहता था,एक घंटे से ज्यादा बैठे हैं रहने के लिये मना किया हुआ था, पर पूर्व की भांति,नैत्रदान जैसे पुनीत कार्य के लिये यह सब नगण्य है । पेनकिलर लेकर,टैक्सी वाले के साथ सब सामान लेकर आधे घंटे में 170 किलोमीटर दूर डग के लिये,कोटा से रवाना हो गए ।

भवानीमंडी से नरेंद्र जैन जी को साथ लेने के बाद,टीम डग के मुक्तिधाम में पहुँची, नैत्रदान हो सके,इस उद्देश्य से परिजनों ने अंतिम यात्रा को भी घर से थोड़ा देरी से रवाना किया। सेवाभावी व ईश्वर भक्ति में लीन रहने वाली रेखा जी के हँसमुख स्वभाव और सदा दूसरे के काम में अपना योगदान देने वाले व्यवहार के कारण ,डग के एक एक घर से एक व्यक्ति उनकी अंतिम-यात्रा में था। ललित जैन जी का भी मेडिकल दवाओं का व्यवसाय है,सेवा कार्यों में इनका भी कोई सानी नहीं हैं। 

मुक्तिधाम में पहुँचकर करीब 400 लोगों के बीच डॉ कुलवंत गौड़ ने नैत्रदान की प्रक्रिया को 10 मिनट में पूरा किया,जिसको सभी उपस्थित जन समूह ने अच्छे से देखा। जब तक शवदाह हो रहा था,तब तक वहाँ उपस्थित समाज के लोगों व ललित जी के अनुरोध पर नैत्रदान के बारे में विस्तार से जानकारी देने को कहा। जिसके बाद डॉ कुलवंत गौड़ ने विस्तार से जानकारी देते हुये बताया कि,नैत्रदान मृत्यु के बाद होने वाली ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पूरी आँख न लेकर सिर्फ कॉर्निया लिया जाता है,10 मिनट में पूरी हो जाने वाली इस प्रक्रिया में किसी तरह का कोई रक्त नहीं आता है, और न हो इससे चेहरा विकृत होता है । 2 वर्ष से 80 वर्ष के व्यक्ति का नैत्रदान संभव है । चश्मा लगा हुआ, मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए, ब्लड प्रेशर, हृदय सम्बंधित बीमारी की दवा लेने वाले व्यक्ति का नैत्रदान संभव है । मृत्यु के बाद 8 घंटे में , सर्दियों में 10 घंटे में व डीपफ्रीज़ में पार्थिव शव को रखने पर 24 घंटे में भी नैत्रदान संभव है ।

डग से वापस आते समय ,बीच रास्ते में ही भवानीमंडी से शाइन इंडिया के ज्योतिमित्र कमलेश दलाल जी ने सूचना दी कि,उनके पास वाले मौहल्ले में रहने वाले श्री मोहन लाल चतुर्वेदी जी का देहांत हो गया है,परिजन नैत्रदान करवाना चाहते हैं। परिजनों की इच्छा को पूरा करने के उद्देश्य से रास्ते से तुरंत भवानीमंडी पहुँच कर मोहन जी के नैत्रदान का पुनीत कार्य सम्पन्न हुआ। 

इस तरह से सुबह 11 बज़े से निकली हुए शाइन इंडिया की टीम देर रात 11 बज़े,360 किलोमीटर के 12 घंटे का सफर करके,दो पुण्यात्माओं के नैत्रदान लेकर कोटा पहुँची । डॉ गौड़ ने बताया कि,टीम के सभी सदस्यों में नैत्रदान के प्रति यह जोश बराबर है। हमारे साथ हर समय पुण्यात्माओं नेत्रदाताओं का आशीर्वाद साथ रहता है,उनके आशीर्वाद के सहयोग से ही यह पुनीत कार्य हम सब कर पाते है,अन्यथा यह सब संभव नहीं है।

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