यंग इंडिया (वाई आई) कोटा चैप्टर शाइन इंडिया फाउंडेशन के
संयुक्त तत्वाधान में नैत्रदान-अंगदान विषय पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन
किया गया।
सम्बंधित विषय
पर कोटा आई हॉस्पिटल के नैत्र शल्य चिकित्सक डॉ अंकित पंजाबी ने कॉर्निया
अन्धता के कारण व निवारण पर विस्तार से चर्चा की । इसके साथ ही उन्होंने
नेत्रदान की वर्तमान समय में जरूरत, नैत्रदान की प्रक्रिया व नैत्रदान से
जुड़ी भ्रान्तियों पर भी विस्तार से जानकारी दी गयी । डॉ अंकित का कहना है
कि,देश भर की कॉर्निया की अन्धता को दूर नहीं कर पाने के पीछे का सबसे बड़ा
कारण है,नैत्रदान से जुड़ी धार्मिक भावनायें व रूढ़िवादिता । जागरूकता
कार्यशालाओं के माध्यम से ही लोगों को भ्रान्तियों से दूर रखा जा सकता है ।
संभाग
स्तर पर नैत्रदान के लिये विगत 10 वर्षों से कार्य कर रही संस्था शाइन
इंडिया के संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि,नैत्रदान मृत्यु के बाद होने
वाली ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पूरी आँख न लेकर सिर्फ कॉर्निया लिया जाता
है,10 मिनट में पूरी हो जाने वाली इस प्रक्रिया में किसी तरह का कोई रक्त
नहीं आता है, और न हो इससे चेहरा विकृत होता है । 2 वर्ष से 80 वर्ष के
व्यक्ति का नैत्रदान संभव है । चश्मा लगा हुआ, मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए,
ब्लड प्रेशर, हृदय सम्बंधित बीमारी की दवा लेने वाले व्यक्ति का नैत्रदान
संभव है । मृत्यु के बाद 8 घंटे में , सर्दियों में 10 घंटे में व डीपफ्रीज़
में पार्थिव शव को रखने पर 24 घंटे में भी नैत्रदान संभव है ।
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