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13 अक्तूबर 2021

दोस्तों देश जानता है , वर्ष 1993 में भारत में राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग का गठन कर , मानवाधिकार संरक्षण क़ानून बनाया

 आदरणीय सम्मानीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साहिब , ने कल , राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग की भारत में स्थापना दिवस को लेकर आयोजित कार्यक्रम में शतुरमुर्ग की तरह रेत के ढेर में मुंह छुपाकर ,  28 साल में , मानवाधिकार क़ानून लागु होने के बाद अब तक , मानवाधिकार न्यायालय नहीं खोलने पर , थोड़ी भी शर्मिंदगी नहीं जताई , ना ही  पिछली खुद की , और विपक्ष की सरकार को कोसा ,,,,, जी हाँ दोस्तों देश जानता है , वर्ष 1993 में भारत में राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग का गठन कर , मानवाधिकार संरक्षण क़ानून बनाया , इस क़ानून   के तहत , आयोग की स्थापना , राज्य आयोगों की स्थापना , उनके भवन , वेतन , भत्तों , सहित सभी तरह के ख़र्चों पर , इन 28 सालों में अरबों , अरब रूपये ,, हमारी टेक्स की कमाई से खर्च किये जा चुके है ,, इस  मानवाधिकार स्थापना के वक़्त , हाल ही में मंत्री जी के पुत्र द्वारा , उनके साथियों द्वारा , निहत्थे किसानों को , गाड़ियों से रौंद कर क़त्ल किये जाने के मामले को , आदरणीय प्रधानमंत्री जी को उठाना ,था  कश्मीर में असफल प्रशासन , बेहिसाब मौतों का मामला उठाना था , किसानों की भुखमरी , गरीबी , का मामला उठाना था ,बेरोज़गारी , हर जगह ज़ोर , ज़ुल्म की दास्तान  के आंकड़े बताना थे , ,चलो यह कोई बात नहीं , लेकिन मानवाधिकार स्थापना दिवस पर , मानवाधिकार क़ानून के तहत ,, जो वर्ष 1993 में ही बनाया गया था , जिस क़ानून में , हर ज़िले में ,मानवाधिकार हनन संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए ,, मानवाधिकार न्यायालयों और मानवाधिकार न्यायालयों में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त कर ,ऐसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर तुरंत सुनवाई कर ,फैसले करवाना थे ,वोह मानवाधिकार क़ानून में लिखे हुए , संसद में पारित क़ानून की पालना में ,खुद मानवाधिकार आयोग , अपने ही क़ानून को लागु करवाकर , ज़िलों में , मानवाधिकार न्यायालयों की स्थापना करवाने में क्यों अक्षम साबित हुआ , क्यों सरकारों ने , इस क़ानून की  पालना में , मानवाधिकार न्यायालय स्थापित नहीं किये ,, मानवाधिकार क़ानून की पालना में 28 से यह धोखाधड़ी क्यों , इस कार्यकाल में ,अटल बिहारी वाजपेयी के साढ़े छह साल , मोदी जी के आठ साल , कुल 14 साल भाजपा का शासन रहा , अभी भी भाजपा का शासन है ,वर्ष 1993 के बाद 14 भाजपा , एक साल से ज़्यादा देवगौड़ा , यानी पंद्रह साल , गैर कोंग्रेसी शासन रहा , 13 साल कोंग्रेसी शासन रहा , लेकिन , मानवाधिकार हनन मामलों में , क़ानूनी प्रावधान के बाद , संसद में क़ानून पारित करने के ,बाद  अरबों अरब रूपये , मानवाधिकार आयोग केंद्र और राज्यों पर खर्च करने के बाद , मानवाधिकार हनन मामलों में प्रताड़ित लोगों को , लिखित क़ानून में , मानवाधिकार न्यायालयों के नाम पर ,अभी तक ठेंगा मिला , क्यों ऐसा हुआ , इस लापरवाही के पीछे कोन ज़िम्मेदार है , ,में इसमें नहीं जाना चाहता , लेकिन ,, आज जब , मानवाधिकार स्थापना का दिवस मनाया गया , तब देश के मानवाधिकार आयोग के कर्तव्य , देश में बनाये गए , मानवाधिकार क़ानून की क्रियान्विति , और उसमे लिखित प्रावधान , मानवाधिकार न्यायालयों ,, विशिष्ठ लोक अभियोजकों की नियुक्ति , स्थापना ,, ,में कोताही के कारणो पर चर्चा होना चाहिए थी , इसकी लापरवाही के लिए ज़िम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए थी , फिर जब खुद प्रधानमंत्री महोदय, इस पर चर्चा करें , तो फिर तो इस पर बात होना ही चाहिए थी , यह भी चर्चा होना चाहिए थी के अब तक के मानवाधिकार आयोगों के चेयरमेन , राज्यों के चेयरमेन , सदस्य , कर्मचारी , अधिकारी ,और देश में कुकुरमुत्तों की तरह , से उग आये ,, कथित मानवाधिकार संगठनों के ज़िम्मेदारों ,  हाथी के दांतों ने  इस मामले में कारगर तरीके से , मांग क्यों नहीं उठाई , क्यों मानवाधिकार क़ानून देश में बनने के बाद भी ,28 सालों से अपनी ही क्रियान्विति में , मानवाधिकार हनन मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए , जिला स्तर पर मनवाधिकार  न्यायालयों की स्थापना के लिए तरस रहा है , क्यों यह क़ानून इन प्रावधानों की क्रियान्विति मामले में , ठंडे  बसते में धुल चाट रहा है , लेकिन इस मामले में ,  मानवाधिकार से जुड़े सभी ,, कार्यकर्ता , संगठन  , निजी स्वार्थों के  चलते  खामोश है , और मिडिया , इलेक्ट्रॉनक मीडिय , प्रिंट मिडिया , बुद्धिजीवी को कोई प्रताड़ित व्यक्ति , मानवाधिकार हनन से आहत व्यक्ति फूल पेज का विज्ञापन , इलेक्ट्रॉनिक मीडया लाइव डिबेट का पैकेज तो दे इन्हीं सकता , इसलिए इस गंभीर मुद्दे ,पर  जिसमे 28 सालों में जिस आयोग को , जिस क़ानून के तहत ,, देश के प्रताड़ित लोगों को इंसाफ दिलवाने , उनकी पैरवी करने की ज़िम्मेदारी दी है , वोह संस्थाएं उनके खुद के लिए बनाये गए क़ानूनी प्रावधानों को अब तक लागु करवा पाने में अक्षम क्यों साबित हुए है ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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