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13 अक्तूबर 2021

दुर्गाष्टमी पर 120 किलोमीटर,भवानीमंडी से लिया 44वां नैत्रदान

 

दुर्गाष्टमी पर 120 किलोमीटर,भवानीमंडी से लिया 44वां नैत्रदान
आने वाली पीढ़ी के सामने सम्पन्न हुआ नेत्रदान,दादा जी दे गये सीख

आज शहर में दुर्गाष्ठमी की तैयारी सुबह से ही प्रारंभ हो गयी है थी। तभी कोटा से 120 किलोमीटर दूर भवानीमंडी से शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योतिमित्र श्री कमलेश जी दलाल ने सुबह 11 बज़े,कोटा शाइन इंडिया की टीम को बताया कि शहर के समाजसेवी श्री रमेशचंद आहूजा जी का हृदयाघात से आकस्मिक निधन हो गया।

रमेश जी के दोनों पुत्र गौतम व लोकेश भी पिता के समान ही,काफ़ी समय से सामाजिक कार्यों से जुडे रहे हैं । गौतम जी भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष भी रहें है,वर्तमान में शाइन इंडिया के नेत्रदान अभियान में जुड़े हुए है,इनके सहयोग से भवानीमंडी में काफ़ी नैत्रदान प्राप्त हुए है।

कमलेश जी की सूचना पर आई बैंक सोसायटी,जयपुर से अधिकृत शाइन इंडिया फाउंडेशन की बीबीजे चैप्टर की टीम तुरंत टैक्सी करके नैत्रदान लेने के लिये रवाना हो गयी।  टीम के सदस्य जानते थे कि,काम पूरा करके आने में रात हो जाएगी, इससे घर में होने वाली दुर्गा-अष्ठमी की पूजा नहीं हो पाएगी,परंतु नैत्रदान के पुनीत कार्य के आगे सब कार्य गौण हो जाते है,इसी को ईश्वर इच्छा मानकर,टीम ढाई घंटे में शोकाकुल परिवार के घर पर थी ।

घर पर उपस्थित सभी परिवारजनों एवं समाज सदस्यों एवं विशेषकर बच्चों के बीच नेत्रदान संपन्न हुआ, उपस्थित सभी व्यक्तियों, महिलाओं और बच्चों ने नेत्रदान की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष देखा और जाना की नेत्रदान में किसी भी तरह की चेहरे पर विकृति नहीं आती है, इसमें केवल आंखों के ऊपर की झिल्ली जिसे कॉर्निया कहा जाता है,उसी को ही लिया जाता है, इसमें पूरी आँख नहीं निकाली जाती है, यह रक्तहीन प्रक्रिया 10 मिनट में ही पूरी हो जाती है ।

शाइन इंडिया फाउंडेशन के कार्यों व इनके जोश-जुनून के कार्यों की सराहना करते हुए गौतम जी ने कहा कि,हम जानते थे कि पिता जी ने नैत्रदान का संकल्प 25 वर्ष पहले लिया था,तब हम और बाकी उनके दोस्त यही सोचा करते थे कि,यदि पिता जी का अंतिम समय भवानीमंडी में ही निकला, तो यहाँ कैसे यह सब संभव होगा, पर पिता जी यही कहते थे कि,मेरा नैत्रदान संकल्प बेकार नहीं जायेगा । परंतु पिछले 10 सालों से भवानीमंडी में नैत्रदान के कार्यों को देखते रहने से, उनको यह संतुष्टि हो गयी थी कि,अंत समय में मेरा नैत्रदान हो ही जायेगा ।

छोटे बेटे लोकेश ने बताया कि,पिता जी मृत्यु से पूर्व ही परिवार को अपने अंतिम इच्छा के रूप में नेत्रदान करवाने के लिए कह गए थे, पिताजी की इच्छा पूर्ति करने के लिए उनके देहावसान होते ही तुरंत उनके नेत्रदान का निर्णय लिया, इसी वर्ष 11 मार्च को इन्हीं के परिवार से नंदरामजी आहूजा का नेत्रदान भी पहले प्राप्त हो चुका है।

शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त 44 वाँ नेत्रदान है, एवं इस वर्ष का यह 13 वाँ नेत्रदान है । संभाग में नेत्रदान का प्रमुख कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के द्वारा अक्टूबर महीने में ही 13 दिनों में संभाग से 16 नेत्र प्राप्त किए जा चुके हैं।

प्रेषक.

डॉ कुलवंत गौड़
शाइन इंडिया फाउंडेशन,
8386900102

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