यक़ीनन हर दिन , हर क्षण , बेटियों के लिए है , बेटियां जन्नत का रास्ता है , और दुनिया को भी जन्नत बनाने का एक वास्ता है , लेकिन इन बेटियों की सुरक्षा ,संरक्षण , शिक्षा , हिस्सेदारी , भागीदारी में पक्षपात , बेईमानी , आंकड़ों में झूंठ फरेब के चलते , अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंतन मंथन के बाद , संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 ,सितंबर माह के हर चौथे रविवार को , बेटी दिवस , डॉटर्स डे , बनाने की घोषणा की , मंशा साफ़ थी ,, विश्व भर के अलग अलग धर्म , अलग अलग समाज , अलग अलग देश , अलग अलग संस्कृतियां , बेटियों के मान , सम्मान , उनकी सुरक्षा ,संरक्षण के प्रति चिंतित नहीं है , गंभीर नहीं है , इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह दिवस , एक चिंतन के रूप में ,बेटियों को गौरव , उनका हिस्सा , उनको संरक्षण , उनको इंसाफ देने के लिए मनाने की घोषणा की , अभी हाल ही में तालिबानी शासन के चलते , एक खास बात रही के वहां बेटियों को संरक्षण नहीं , आरक्षण नहीं ,सत्ता और संगठन में भागीदारी नहीं , हमारे देश में भी कुछ संगठनों पर सवाल उठाये गए , इन संगठनों में , संगठन गठन से एक भी महिला को किसी भी पद पर हिस्सेदारी नहीं दी गयी , नियुक्ति नहीं दी गयी ,ज़िम्मेदारी नहीं दी गयी , यहां तक था तो बात अलग थी , लेकिन सेना में ऍन डी ऐ के ज़रिये नियुक्तियों में हिस्सेदारी नहीं थी , ,भला हो सुप्रीम कोर्ट का , जो इस मामले में ,, उन्होंने हस्तक्षेप , कर पहली बारे ऍन डी ऐ कमीशन के लिए महिलाओं का आरक्षण भी निर्धारित किया है , सभी धर्मों में महिलाओं का सम्मान है , लेकिन हमारे देश में महिला आरक्षण बिल ,, संगठनों में ,महिला आरक्षण की भागीदारी , सियासी पार्टियों में हिस्सेदारी , जैसे मुद्दों ,पर पिछले तीन दशक से सिर्फ बहस हो रही है , लेकिन सदन में कोई बिल पेश नहीं किया गया ,कोई क़ानून नहीं बनाया गया , बस महिला दिवस , बेटी दिवस या फिर सियासत , वगेरा इससे ज़्यादा कुछ नहीं , फिर अभी तो सत्ता पक्ष की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले संगठन में ही महिलाओं की , बेटियों की हिस्सेदारी मूल संगठन में अभी तक नहीं हो पाई है , महिलाओ से इतनी दूरी , उनकी हिस्सेदारी , उनकी भागीदारी से इतनी नफरत ऐसे संगठनों को क्यों है ,, कह नहीं सकते , लेकिन अब तो बदलाव आना चाहिए ,जो भी जैसे भी संगठन हो , महिलाये अगर क़ाबिल है , तो उन्हें उनकी ज़िम्मेदारी , उनकी हिस्सेदारी मिलना ही चाहिए वैसे भी महिलाओं ने , बेटियों ने हर जगह , खुद को पुरुषों से बेहतर या बराबरी का साबित करके दिखाया है , यहां सवाल , महिला पुरुष का नहीं , बेटी , बेटों का नहीं यहां सवाल , सामाजिक बदलाव का है , जिसमे बेटियों को दबे कुचले आवरण से बाहर निकाल कर ,गर्भ में ही बेटियों की हत्या कर देने वाले वातावरण से निकालकर , दहेज़ की मांग को लेकर ,बेटियों को छोड़ना , विवाह नहीं करना ,,बिना महर के बेटियों को तलाक़ दे देना , दहेज़ के लिए बेटियों को ज़िंदा जला देना , उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर कर देने के वातावरण में बदलाव की ज़रूरत है , महिला आयोग तो केंद्र में , राज्यों में है , मानवाधिकार आयोग इनका मुखिया आयोग है , मंत्रालय है , योजनाएं है ,बजट है , इनकी इज़्ज़त , अस्मत को लूटने से बचाने के लिए पुलिस , प्रशासन , क़ानून है ,, इन्हे प्रताड़ित करने वाले लोगों को सज़ा देने के लिए अदालतें है , लेकिन भौतिक रूप में क्या कुछ हो रहा है , ,यह आप और हम सभी जानते है , बेटी पढ़ाओ ,बेटी बचाओं का नारा है , ,लेकिन हर घर में बेटियों को लेकर जो पक्षपात है , वोह किसी भी शख्स से छुपा नहीं है , पुरुष वर्ग के बीच बेटियों की सुरक्षा गारंटी से सुरक्षित है , आज यह कहना भी मुश्किल सा हो गया है ,, तो जनाब बेटी दिवस मनाओ , महिला दिवस मनाओ ,, लेकिन यह सोच कर मनाओं , के एक माँ भी किसी की बेटी है ,एक पत्नी भी किसी की बेटी है , एक बहु भी किसी की बेटी है , एक सड़क पर चलती लड़की भी किसी की बेटी है , तुम्हे जन्म देने वाली , तुम्हे भय्या कहने वाली भी , तुम्हे पापा कहकर बुलाने वाली बेटी की तरह ही इज़्ज़्त , सुरक्षा , हिस्सेदारी , मान सम्मान हांसिल करने की हक़दार है , तो जनाब छोड़ो यह ढकोसले , एक दिन ही सही , चिंतन करो , मंथन करो , भविष्य में बेटियों को इंसाफ दिलाने ,बराबरी का दर्जा दिलाने ,उनकी शिक्षा , रोज़गार , मान , सम्मान , संरक्षण योजनाओं के क्रियान्यवन के साथ ,उनकी हर समाज , हर संगठन , सरकार , नौकरियों में हिस्सेदारी के बारे में भी कोई योजना बनाओ , कहो मत , करके दिखाओ ,, बेटी दिवस पर सभी बेटियों जिनमे हमारी अपनी बेटी , हमारी सास की बेटी , हमारी समधन की बेटी ,हमारे नाना की बेटी , हमारे दादा की बेटी , सभी को सेल्यूट सलाम ,, बधाई , मुबारकबाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 सितंबर 2021
यक़ीनन हर दिन , हर क्षण , बेटियों के लिए है , बेटियां जन्नत का रास्ता है यक़ीनन हर दिन , हर क्षण , बेटियों के लिए है , बेटियां जन्नत का रास्ता है यक़ीनन हर दिन , हर क्षण , बेटियों के लिए है , बेटियां जन्नत का रास्ता है
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