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27 सितंबर 2021

यक़ीनन हर दिन , हर क्षण , बेटियों के लिए है , बेटियां जन्नत का रास्ता है यक़ीनन हर दिन , हर क्षण , बेटियों के लिए है , बेटियां जन्नत का रास्ता है यक़ीनन हर दिन , हर क्षण , बेटियों के लिए है , बेटियां जन्नत का रास्ता है

यक़ीनन हर दिन , हर क्षण ,  बेटियों के लिए है , बेटियां जन्नत का रास्ता है , और दुनिया को भी जन्नत बनाने का एक वास्ता है , लेकिन इन बेटियों की सुरक्षा ,संरक्षण , शिक्षा , हिस्सेदारी , भागीदारी में पक्षपात , बेईमानी , आंकड़ों में झूंठ फरेब के चलते , अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंतन मंथन के बाद , संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 ,सितंबर माह के हर चौथे रविवार को , बेटी दिवस , डॉटर्स डे , बनाने की घोषणा की , मंशा साफ़ थी ,, विश्व भर के अलग अलग धर्म , अलग अलग समाज , अलग अलग देश , अलग अलग  संस्कृतियां , बेटियों के मान , सम्मान , उनकी सुरक्षा ,संरक्षण के प्रति चिंतित नहीं है , गंभीर नहीं है , इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने यह दिवस , एक चिंतन के रूप में ,बेटियों को गौरव , उनका हिस्सा , उनको संरक्षण , उनको इंसाफ देने के लिए मनाने की घोषणा की , अभी हाल ही में तालिबानी शासन के चलते , एक खास बात रही के वहां बेटियों को संरक्षण नहीं , आरक्षण नहीं ,सत्ता और संगठन में भागीदारी नहीं , हमारे देश में भी कुछ संगठनों पर सवाल उठाये गए , इन संगठनों में , संगठन गठन से एक भी महिला को किसी भी पद पर हिस्सेदारी नहीं दी गयी , नियुक्ति नहीं दी गयी ,ज़िम्मेदारी नहीं दी गयी , यहां तक था तो बात अलग थी ,  लेकिन सेना में ऍन डी ऐ के ज़रिये नियुक्तियों में हिस्सेदारी नहीं थी , ,भला हो सुप्रीम कोर्ट का , जो इस मामले में ,, उन्होंने हस्तक्षेप , कर पहली बारे ऍन डी ऐ कमीशन के लिए महिलाओं का आरक्षण भी निर्धारित किया है , सभी धर्मों में महिलाओं का सम्मान है , लेकिन हमारे देश में महिला आरक्षण बिल ,,  संगठनों में ,महिला आरक्षण की भागीदारी , सियासी पार्टियों में हिस्सेदारी , जैसे मुद्दों ,पर पिछले तीन दशक से सिर्फ बहस हो रही है  ,  लेकिन  सदन में  कोई बिल पेश नहीं किया गया ,कोई क़ानून  नहीं बनाया गया ,  बस महिला दिवस  ,  बेटी दिवस या फिर सियासत ,  वगेरा इससे ज़्यादा कुछ नहीं  , फिर अभी तो सत्ता पक्ष की  रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले संगठन में ही महिलाओं की , बेटियों की हिस्सेदारी मूल  संगठन में अभी तक नहीं  हो  पाई है , महिलाओ से इतनी दूरी ,   उनकी हिस्सेदारी , उनकी भागीदारी से इतनी नफरत ऐसे संगठनों को क्यों  है ,,  कह नहीं सकते ,  लेकिन अब तो बदलाव आना चाहिए ,जो  भी  जैसे भी संगठन हो , महिलाये अगर क़ाबिल है , तो उन्हें उनकी ज़िम्मेदारी , उनकी हिस्सेदारी मिलना ही चाहिए वैसे भी महिलाओं ने ,  बेटियों ने हर जगह , खुद को पुरुषों से बेहतर या बराबरी का  साबित करके दिखाया  है ,  यहां सवाल , महिला पुरुष का नहीं  ,  बेटी ,  बेटों का  नहीं यहां सवाल , सामाजिक बदलाव का है , जिसमे बेटियों को दबे कुचले आवरण से बाहर निकाल कर ,गर्भ में ही बेटियों की हत्या कर देने वाले वातावरण से  निकालकर , दहेज़ की मांग को लेकर ,बेटियों को छोड़ना , विवाह नहीं करना ,,बिना महर के बेटियों को तलाक़ दे देना , दहेज़ के लिए बेटियों को ज़िंदा जला देना ,  उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर कर देने के वातावरण में बदलाव की ज़रूरत है ,  महिला आयोग तो केंद्र में , राज्यों में है , मानवाधिकार आयोग इनका मुखिया आयोग है ,  मंत्रालय है   , योजनाएं है ,बजट है ,  इनकी इज़्ज़त , अस्मत को  लूटने से बचाने के लिए पुलिस , प्रशासन , क़ानून है ,,  इन्हे प्रताड़ित करने वाले लोगों को सज़ा देने के लिए अदालतें है , लेकिन  भौतिक रूप में क्या कुछ हो रहा है , ,यह आप और हम सभी जानते है  , बेटी पढ़ाओ ,बेटी बचाओं  का  नारा है , ,लेकिन  हर घर में बेटियों  को लेकर जो पक्षपात है , वोह किसी भी शख्स से छुपा नहीं है ,  पुरुष वर्ग के बीच बेटियों की सुरक्षा गारंटी से सुरक्षित है , आज यह कहना भी  मुश्किल सा हो गया है ,, तो जनाब बेटी दिवस मनाओ , महिला दिवस मनाओ  ,, लेकिन यह सोच कर मनाओं , के एक माँ भी किसी की बेटी है ,एक पत्नी भी किसी की बेटी है , एक बहु भी किसी की बेटी है , एक सड़क पर चलती लड़की भी किसी की बेटी है , तुम्हे जन्म देने वाली , तुम्हे भय्या कहने वाली भी , तुम्हे पापा कहकर बुलाने वाली बेटी की तरह ही इज़्ज़्त  , सुरक्षा , हिस्सेदारी ,  मान सम्मान  हांसिल करने की हक़दार है , तो जनाब छोड़ो यह ढकोसले , एक दिन   ही सही , चिंतन करो , मंथन करो ,  भविष्य में बेटियों को इंसाफ दिलाने ,बराबरी  का दर्जा दिलाने ,उनकी शिक्षा , रोज़गार ,  मान , सम्मान , संरक्षण योजनाओं के क्रियान्यवन के साथ ,उनकी  हर समाज , हर  संगठन ,  सरकार , नौकरियों में हिस्सेदारी के बारे में भी  कोई  योजना बनाओ , कहो  मत ,  करके दिखाओ  ,, बेटी दिवस पर सभी बेटियों जिनमे हमारी अपनी बेटी , हमारी सास की बेटी , हमारी समधन की बेटी ,हमारे नाना  की बेटी , हमारे दादा  की बेटी , सभी को  सेल्यूट सलाम ,, बधाई , मुबारकबाद ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

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