कोटा बाल कल्याण समिति , के खौफ से , इन दिनों , ख़ौफ़ज़दा लोग , उनके खिलाफ साज़िशे रचने लगे है , उन बदनाम करने के इन्तिज़ार में , बैठे है , घटनाओं को तोड़ मरोड़ कर बयान कर रहे है , प्रकाशित करवा रहे हैं , यूँ तो यह सब , बालकल्याण विधि नियम , क़ायदे क़ानून के तहत , अपराध की श्रेणी में है , बच्चों के कल्याण के लिए काम कर रहे न्यायिक पीठ के रूप में कार्यरत , मजिस्ट्रेट शक्तियों को , प्रभावित करने के प्रयास वाला है ,, लेकिन फिर भी , कुछ तो हुआ है , जो निरंतर उपेक्षित बालकों को आश्रय मिल रहा है , उनकी कल्याणकारी योजनाओं की क्रियान्विति हो रही है , चेयरमेन कनीज़ फातिमा , सदस्य आबिद अब्बासी , विमल जैन ,, अरुण भार्गव , मधु शर्मा , सभी अनुभवी है , समाजसेवी है , विधि के ज्ञाता है , समाज की नब्ज़ को समझते है , बेहतर से बेहतर काम , ,लोकतान्त्रिक प्रणाली के तहत , विधि नियमों की बाध्यता , बहुमत , या फिर आम राय से करना चाहते है , रोस्टर बनाकर , काम करते है , खुद , बालकल्याण आयोग की चेयरमेन भी , विभिन्न घटनाओं पर , इस बालकल्याण कमेटी से जुड़े लोगों के तत्काल संज्ञान लेने की कार्यवाही की प्रशंसा कर चुकी है , कई बार कोटा प्रवास पर इन सदस्यों , ,चेयरमेन को आवश्यक मार्दर्शन भी देकर गयी है , यक़ीनन काम करने वाले सभी लोग , कुछ ईर्ष्या रखें वाले , या फिर यूँ कहे , व्यकितगत रंजिश रखें वालों की , आंख की किरकिरी होते है , उपेक्षित बालकों को रेस्क्यू करवाना , आवश्यक निर्देश देना , उनकी कल्याणकारी योजनाओं की क्रियान्विति , उनके पुनर्वास , उनके परिजनों को तलाश ,कर , उन्हें उनके परिजनों से मिलाना , गलत बात है ,तो है , बालकल्याण समिति के अधिकार क्षेत्र में जो है , वोह तो उसे हर क़ीमत पर करना होगा , उक्त समिति में , एक तो अनुभवी विमल जैन जो कई सालों से इस समिति में जुड़े है , अपना व्यापार छोड़कर समाज सेवा में लगे है , कई संस्थाओं से जुड़े है , निर्भीक है , नीडर है , हार्ड सोशल वर्कर है , ईमानदार है , दूसरी तरफ , चेयरमेन कनीज़ फातिमा , पुलिस की अनुभवी अधिकारी है , सेवानिवृत्ति के बाद ,समाज सेवी कार्यों से जुडी रही है , इसके पूर्व खुद ,चाइल्ड लाइन की प्रभारी बनकर , पुलिस अधिकारी के रूप में , उपेक्षित बच्चों की सुरक्षा , कल्याण के लिए ऐतिहासिक कार्य कर चुकी है , सदस्य अरुण भार्गव , पूर्व में भी सदस्य रहे है , नागरिक सहकारी बैंक के वाइस चेयरमेन रहे है , बेहिसाब संस्थाओं से जुड़े रहे है , क्रन्तिकारी छात्र नेता रहे है , मरीज़ों के प्रति संवेदनशील है , हर वर्ग की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयासरत रहते है , सदस्य मधु शर्मा वरिष्ठ वकील है , कई समाज सेवी सस्थाओं से जुड़कर , समाजसेवा कार्य करती रही हैं , उनका अपना अनुभव है , जबकि आबिद अब्बासी , राज्य सरकार के वकील रहे है , वरिष्ठतम वकील रहे है , वक़्फ़ कमेटी कोटा में महसचिव रहे है , अभिभाषक परिषद कोटा के पुस्तकालय सचिव रहे है , जनहित याचिकाओं के विशेषज्ञ है , राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हो ,, या फिर राज्य मानवाधिकार आयोग , उसके गठन के बाद , प्रथम शिकायत दर्ज करवाने वाली संस्था , ह्यूमन रिलीफ सोसायटी से जुड़े है , , इतनी अनुभवी लोग , कोटा बाल कल्याण समिति में ,आने अनुभवों को साँझा करके , बहुमत के आधार पर , फैसले लेते है , यक़ीनन बेहतर फैसले है , बच्चों के कल्याण की व्यवस्थाओं में काम हो रहा है ,, लेकिन जो लोग बच्चों को रेसक्यू करना पसंद नहीं करते , जो लोग बच्चों को , कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखें चाहते है , जो लोग , बच्चों से बाल मज़दूरी लेते वक़्त , पकड़े गये है , या फिर उन्हें पकड़े जाने का खौफ है , ऐसे कई लोग जो बेवजह ,, इसकी क़मीज़ , मेरी क़मीज़ से सफेद कैसे , सोच कर ईर्ष्यालु स्वभाव के होते है , वोह निश्चित तोर पर ,, उखड़ते है , बिगड़ते है , नाराज़ होते है , इल्ज़ामखोरी करते है , ,, क्या फ़र्क़ पढ़ता है ,बालकल्याण समिति तो है ना , यह लोग हतोत्साहित करने की सभी योजनाबद्ध सार्वजनिक कोशिशों के बावजूद भी , बेधकड़ ,निर्भीक होकर , विधि नियमों के तहत काम कर रहे हैं ना, ,, बालकल्याण समिति एक व्यवस्था है , हर थाने में उपेक्षित बच्चों के लिए अलग कक्ष है , ,अलग से प्रशिक्षित लोग है ,, चाइल्ड लाइन है , समाजसेवी संस्थाएं है ,, शहर की सड़कों पर लावारिस हालत में , संदिग्ध , या फिर घरेलू हिंसा से प्रताड़ित , सहित सभी तरह के उपेक्षित बच्चे ,, जब मिलते है , तो उनके निस्तारण , कौन्सिलिंग , के लिए ऐसे बच्चों को , बालकल्याण समिति के रोस्टर सदस्य न्यायिक एकल पीठ के पास पेश किया जाता है , वोह सदस्य ऐसे बच्चे की कौन्सिलिंग के बारे में कौंसिलर को निर्देश देता है , उसके राजकीय बाल गृह में , संरक्षित करता है , अगर ऐसी रेस्क्यू की गयी लड़की होती है , तो उसकी कौन्सिलिंग , रख रखाव , संरक्षण को लेकर , अधिक सावधानी बरती जाती है ,, ऐसी उपेक्षित बच्ची को , महिला संरक्षण में , नहलाया जाता है , कपड़ों की व्यवस्था होती है , खाने पीने की व्यवस्था के बाद , उसे पारिवारिक माहौल दिया जाता है , फिर महिला कौंसिलर , ऐसी बच्ची से अलग में , उसका नाम , उसका पता , उसके घर से निकलने की वजह , या जो भी घटना उसके साथ घटी है , उसके बारे में पूंछतांछ कर , एक लिखित रिपोर्ट तय्यार , करती है , उस लिखित रिपोर्ट की चर्चा के बाद , री कौन्सिलिंग ,, महिला चेयरमेन पुष्टि के लिए कर सकती है ,, अब ऐसी उपेक्षित बच्ची , जिसके घर वाले , बच्ची के गायब होने पर , गुमशुदगी की रिपोर्ट भी नहीं लिखवाते है ,, तलाश भी नहीं करते है ,, वोह जो भी कौंसिलर को बताती है , उसे सुचना मात्र बनाकर ,, आवश्यक कार्यवाही के लिए , बालकल्याण नोडल पुलिस ऑफिसर , या फिर , संबंधित थाने को , जांच ,, आवश्यक कार्यवाही के लिए , तहरीर भेजी जाती है , अब पुलिस का काम है , जाँच करना , रिपोर्ट लिखना , कार्यवाही करना , मेडिकल करना , प्रथम कौन्सिलिंग की रिपोर्ट तलब कर , उस रिपोर्ट को भी , , मजिस्ट्रेट साहिब के समक्ष बयान के वक़्त पत्रावली में संलग्न कर , भिजवाना ,ताकि , मजिस्ट्रेट साहब बयान लेते वक़्त संबंधित मामले में , मुनासिब सवाल कर , बयानों की सत्यता के साथ , बयान रिकॉर्ड कर सकें , अगर बयानों में कुछ नहीं तो कुछ नहीं , और अगर थोड़ा भी है , तो फिर मुक़दमा कार्यवाही , यह एक सतत प्रक्रिया है , इस सतत प्रक्रिया में ,योजनाबद्ध बवाल , मीडिया बवाल , फिर कुछ ऐरे गैरों के पेट में दर्द होने , मरोड़ होने के बाद उनका बवाल होता है ,, तो होने तो ,, लेकिन बाल कल्याण समिति की जो प्रक्रिया है , वोह विधिक है , विधि नियमों के तहत है , व्यवस्थित है , क्यूंकि सभी जानते है , जो बच्चा , यह बच्ची , रेस्क्यू की जाती है , या फिर उपेक्षित होकर , बालकल्याण समिति के सामने पेश होती है , वोह किसी बालकल्याण समिति सदस्य , या चेयरमेन की पूर्व जानकार नहीं होती है , उससे या फिर उसके परिजनों से किसी की कोई जानकारी या रंजिश नहीं होती है , उनका काम तो , सिर्फ ना काहू ,से दोस्ती , ना काहू से बेर की कहावत की तर्ज़ पर , उपेक्षित बच्चे ,, बच्चियों को संरक्षित करना , आश्रय दिलवाना , उनके घरों का पता कर उन्हें उनके घर पहुंचवाने की कोशिश करना , किसी बच्चे , या बच्ची के साथ आपराधिक घटना , या हिंसा हुई है ,तो कौन्सिलिंग के बाद उसकी सूचना पुलिस तक पहुंचाने का काम , निष्पक्ष रूप से उनका है , अब ऐसे मामलों ,में उन्हें टारगेट करना , न्यायिक पीठ का अपमान है , उपेक्षित बालकों के संरक्षण कार्य में बाधा है , बदनाम करने की साज़िश है ,, यूँ तो क़ानून में , ऐसे कृत्य करने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही के नियम है , प्रकाशन पर भी रोक है , लेकिन बालकल्याण समिति के सदस्य , वाक् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते है , इसीलिए शायद वोह , योजनाबद्ध , बेवजह , आलोचना ,बदनामी पर ,कोई संज्ञान लेकर , क़ानून कार्यवाही नहीं करते है ,, निश्चित तोर पर , बालकल्याण समिति ने , इस कार्यकाल में , सैकड़ों बच्चों को इंसाफ दिलाया है , उनको उनके परिजनों से मिलवाया है ,, कुछ उपेक्षित बालकों के साथ हिंसक घटनाओं पर , उनके साथ हिंसा करने वालों के खिलाफ सूचना देने पर , उसकी पुष्टि के बाद कार्यवाही भी हुई है ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 अगस्त 2021
कोटा बाल कल्याण समिति , के खौफ से , इन दिनों , ख़ौफ़ज़दा लोग , उनके खिलाफ साज़िशे रचने लगे है , उन बदनाम करने के इन्तिज़ार में , बैठे है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)