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09 अगस्त 2021

मज़ा न आये तो किस्सा वापस क

 

*मज़ा न आये तो किस्सा वापस करें*
एक भटकजन, साहब को किसी ने *"गधा"* बोल दिया।
भटकजन साहब को ये बहुत नागवार गुज़रा और उन्होंने कोर्ट में केस कर दिया। जज ने गधा बोलने वाले से पूछा तो उसने अपनी ग़लती मानते हुए माफ़ी माँग ली।
जज ने भटकजन साहब से कहाः *"भटकजन, साहब अब तो ये माफ़ी माँग रहा है, आपका क्या कहना है?"*
इस पर भटकजन साहब माफ़ी देने के लिये तैयार हो गये -- लेकिन शर्त रखी कि वह आदमी अब कभी किसी भटकजन को गधा नहीं बोलेगा।
वो आदमी मान गया कि अब किसी भटकजन को वो गधा नहीं बोलेगा।
जज ने मुजरिम को बरी कर दिया।
जाने से पहले उस आदमी ने जज साहब से पूछाः *"योर हॉनर, मैं भटकजन साहब को तो कत्तई गधा नहीं बोलूंगा लेकिन एक बात बताइये कि गधे को तो मैं भटकजन साहब बोल सकता हूँ कि नहीं?"*
जज ने कहा: *"गधे को आप कुछ भी बोलिए, कोर्ट का उससे कोई लेना देना नहीं है।"*
वो आदमी भटकजन साहब की तरफ मुड़ा और बोलाः *अच्छा "भटकजन, साहब" चलता हूँ!"*

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