आपका-अख्तर खान

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02 अगस्त 2021

फिर न वहाँ मरेगा ही न जीयेगा

 और बदबख़्त उससे पहलू तही करेगा (11)
जो (क़यामत में) बड़ी (तेज़) आग में दाखि़ल होगा (12)
फिर न वहाँ मरेगा ही न जीयेगा (13)
वह यक़ीनन मुराद दिली को पहुँचा जो (शिर्क से) पाक हो (14)
और अपने परवरदिगार का जि़क्र करता और नमाज़ पढ़ता रहा (15)
मगर तुम लोग दुनियावी जि़न्दगी को तरजीह देते हो (16)
हालाकि आख़ोरत कहीं बेहतर और देर पा है (17)
बेशक यही बात अगले सहीफ़ों (18)
इबराहीम और मूसा के सहीफ़ों में भी है (19)

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