तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे?
गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
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31 जुलाई 2021
यह एक किताब है जिसे हमने तुम्हारी ओर अवतरित की है
अलिफ़॰
लाम॰ रा॰। यह एक किताब है जिसे हमने तुम्हारी ओर अवतरित की है, ताकि तुम
मनुष्यों को अँधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले आओ, उनके रब की अनुमति से
प्रभुत्वशाली, प्रशंस्य सत्ता, उस अल्लाह के मार्ग की ओर। (1)
जिसका वह सब है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। इनकार करनेवालों के लिए तो एक कठोर यातना के कारण बड़ी तबाही है। (2)
जो आख़िरत की अपेक्षा सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते हैं और अल्लाह के
मार्ग से रोकते हैं और उसमें टेढ़ पैदा करना चाहते हैं, वही परले दरजे की
गुमराही में पड़े हैं। (3)
हमने जो रसूल भी भेजा, उसकी अपनी क़ौम की भाषा के साथ ही भेजा, ताकि वह
उनके लिए अच्छी तरह खोलकर बयान कर दे। फिर अल्लाह जिसे चाहता है पथभ्रष्ट
रहने देता है और जिसे चाहता है सीधे मार्ग पर लगा देता है। वह है भी
प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी। (4)
हमने मूसा को अपनी निशानियों के साथ भेजा था कि "अपनी क़ौम के लोगों को
अँधेरों से प्रकाश की ओर निकाल ला और उन्हें अल्लाह के दिवस याद दिला।"
निश्चय ही इसमें प्रत्येक धैर्यवान, कृतज्ञ व्यक्ति के लिए कितनी ही
निशानियाँ हैं। (5)
जब मूसा ने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "अल्लाह की उस कृपादृष्टि को याद
करो, जो तुमपर हुई। जब उसने तुम्हें फ़िरऔनियों से छुटकारा दिलाया जो
तुम्हें बुरी यातना दे रहे थे, तुम्हारे बेटों का वध कर डालते थे और
तुम्हारी औरतों को जीवित रखते थे, किन्तु इसमें तुम्हारे रब की ओर से बड़ी
कृपा हुई।" (6)
जब तुम्हारे रब ने सचेत कर दिया था कि 'यदि तुम कृतज्ञ हुए तो मैं तुम्हें
और अधिक दूँगा, परन्तु यदि तुम अकृतज्ञ सिद्ध हुए तो निश्चय ही मेरी यातना
भी अत्यन्त कठोर है।' (7)
और मूसा ने भी कहा था, "यदि तुम और वे जो भी धरती में हैं सब के सब अकृतज्ञ हो जाओ तो अल्लाह तो बड़ा निरपेक्ष, प्रशंस्य है।" (8)
क्या तुम्हें उन लोगों की ख़बर नहीं पहुँची जो तुमसे पहले गुज़रे हैं, नूह
की क़ौम और आद और समूद और वे लोग जो उनके पश्चात हुए जिनको अल्लाह के
अतिरिक्त कोई नहीं जानता? उनके पास उनके रसूल स्पष्ट प्रमाण लेकर आए थे,
किन्तु उन्होंने उनके मुँह पर अपने हाथ रख दिए और कहने लगे, "जो कुछ देकर
तुम्हें भेजा गया है, हम उसका इनकार करते हैं और जिसकी ओर तुम हमें बुला
रहे हो, उसके विषय में तो हम अत्यन्त दुविधाजनक संदेह में ग्रस्त हैं।" (9)
उनके रसूलों ने कहा, "क्या अल्लाह के विषय में संदेह है, जो आकाशों और धरती
का रचयिता है? वह तो तुम्हें इसलिए बुला रहा है, ताकि तुम्हारे गुनाहों को
क्षमा कर दे और तुम्हें एक नियत समय तक मुहलत दे।" उन्होंने कहा, "तुम तो
बस हमारे ही जैसे एक मनुष्य हो, चाहते हो कि हमें उनसे रोक दो जिनकी पूजा
हमारे बाप-दादा करते आए हैं। अच्छा, तो अब हमारे सामने कोई स्पष्ट प्रमाण
ले आओ।" (10)
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