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31 जुलाई 2021

जजों की सुरक्षा के साथ , वकीलों की सुरक्षा मामले में ,सुप्रीमकोर्ट गंभीर हुई है , लेकिन मुख्य न्यायधीश के निर्देशों पर , केंद्र सरकार के कानों पर , आज भी जूं नहीं रेंगी है

 जजों की सुरक्षा के साथ , वकीलों की सुरक्षा मामले में ,सुप्रीमकोर्ट गंभीर हुई है , लेकिन मुख्य न्यायधीश के निर्देशों पर , केंद्र सरकार के कानों पर , आज भी जूं नहीं रेंगी है ,, यूँ तो जज प्रोटेक्शन एक्ट है , लेकिन जज प्रोटेक्शन एक्ट में , जजों को उनकी कार्यशैली कर्तव्य के वक़्त ,  के क्रिया कलापों से बचाव है ,, एक जज जब गभीर मामलों में ,,खतरनाक अपराधियों की सुनवाई करता है , ,तो यक़ीनन , ऐसे अपराधियों के निशाने पर , आज के बदले माहौल में वोह जज हो जाता है , ऐसे में जब क़ानून का राज , सियासी आपराधिक सांठ गाँठ के चलते , खत्म सा लगने लगा है , अपराधियों के खिलाफ पिक ऐंड चूज़ की कार्यवाही होती है , जिन मामलों की जाँच चाहते है , जाँच होती है ,बाक़ी ,  चीखते रहो , चिल्लाते रहो , मनमानी चलती है , झारखंड के अपर जिला जज ,के आपराधिक तत्त्वों के खिलाफ सुनवाई के वक़्त , जिस तरह से ,  उनकी आकस्मिक मृत्यु हुई है , वोह दुर्घटना की शक्ल ज़रूर होगी , लेकिन , आपराधिक घटना है , अब उक्त आपराधिक कार्यवाही , नए जज के आने तक रुक गयी है , जबकि , इन स्वर्गीय जज साहब के समक्ष ट्रायल मामले में ,क्या विचार होंगे , और अब नयी ट्रायल व्यवस्था में क्या विचार होंगे , अपराधी वर्ग ही जाने , लेकिन , घटना तो गंभीर है , जस्टिस  लोया सहित कई गंभीर घटनाये हुई है , इसके आलावा , वकीलों पर हुए हमलों के मामले में भी सुप्रीमकोर्ट कोई कारगर क़दम चाहते है , कई वकीलों पर घरों पर , अदालतों में , सिर्फ इसलिए हमले हुए है के वोह आपरधिक तत्त्वों , या फिर ,सफेद पॉश लोगों के खिलाफ पैरोकार है , उत्तर प्रदेश के बलात्कार के आरोपी विधायक जी की दास्ताँ तो सभी को पता है , उन्होंने फरियादिया , वकील , गवाह सभी को कार दुर्घटना में उड़ाने की साज़िश रची थी , वकील से जज बने , जज साहिबान में वकीलों के कामकाज को लेकर , दिक़्क़तों ,  उनके सुरक्षा का दर्द होना चाहिए , एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट , मामले में , तुरतं निर्देश देकर , समयबद्ध व्यवस्था के तहत इस क़ानून को अधिसूचित कर , लागू करवाना चाहिए , वकीलों के समर्थकों , वकीलों के लीडरों के मुंह में तो दही जमा है , वोह तो इस मुद्दे पर , अपने नेताओं से सांसदों से ,आँखों में आँखे डाल कर बात करने की स्थिति में ना जाने क्यों नहीं है ,, वरना देश को आज़ाद कराने वाले वकील ,, नेताओं के चुनाव नामांकन भरने , उनके हर तरह के मुक़दमे लड़ने वाले वकील , वकालत के व्यवसाय के साथ ही , केंद्र में मंत्री बनने वाले वकील , सांसद , राज्य सभा सदस्य बनने वाले वकील , आज खामोश है , वकीलों पर लगातार हमले के बाद , दो दशक से , अधिवक्ता सुरक्षा क़ानून ,,  एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट , को लेकर ,वकील , कुछ वकील आंदोलनरत है , लेकिन ,  जो संस्थाए वकीलों की सुरक्षा  , संरक्षण के नाम पर बनाई गयी है ,  चुन  कर आ रही है ,  उनके  नेता लोग , मंत्रियों की बगल में  बैठते है , ,मुख्यमंत्रियों , प्रधानमंत्री के मुक़दमे लड़ते है , ,उन्हें सलाह देते है , वोह अपनी ज़ुबान से , प्रधानमंत्री महोदय को ,, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट का पिछले बीस सालों से ,, बनाने का सुझावात्मक दबाव बनाने की स्थिति में क्यों नहीं है ,, यह पब्लिक है सब जानती है , चलो , अब तो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश महोदय ने भी इस तरह की घटनाओ पर अफ़सोस जताते हुए , इस मामले में , कुछ कारगर व्यवस्था की बात कही है , वकील साथी इसी मामले में , सुर से सुर मिला लें , केंद्र सरकार पर , दबाव बनाये ,, प्रधानमंत्री जिस संसदीय  क्षेत्र के है , उस क्षेत्र के वकीलों को लामबंध करके , प्रधानमंत्री के निवास का घेराव करवाए , क़ानून मंत्री जिस संसदीय क्षेत्र के है , उस  क्षेत्र के वकीलों  के साथ मिलकर क़ानून मंत्री को उनकी ज़िम्मेदारी के अहसास के लिए ,  घेरा बंदी करें ,, लोकसभा अध्यक्ष एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को , लागु करवाए , मसौदा संसद में पेश करवा कर , पारित करवाएं , इसके लिए , इनके संसदीय क्षेत्र के वकील मिलकर , इनका घेराव कर दबाव बनाये ,,, नेता प्रतिपक्ष जो प्रधानमंत्री ने नहीं बनाया , लेकिन फिर भी संसद में , राज्य सभा में , जो प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका निभाने वाले , बढे दल के नेता है , उनके संसदीय क्षेत्र ,के वकील साथियों के साथ मिलकर , उनका घेराव कर , उन्हें ,निजी  स्तर पर ही , इस प्रोटेक्शन एक्ट के बिल को पेश करने का दबाव बनाये ,,  अगर वकील साथी , अगर वकीलों का नेतृत्व , अगर वकीलों की संस्थाए , वकीलों के संरक्षण के लिए , बीस वर्षों से प्रस्तावित क़ानून की  लागु करवाने , संसद में पारित करवाने में , नाकामयाब है , ,तो फिर यह समझ लेना चाहिये , देश को आज़ाद कराने वाले वकील साथियों की हिम्मत , ताक़त ,  संघर्ष , जज़्बे में ,, और आज के वकील साथियों में गुलाम भारत के वकीलों और आज़ाद लोकतान्त्रिक भारत के वकीलों में , बढ़ा बदलाव आ गया है , समझ  में नहीं वोह वकील साथी जिन्होंने देश को आज़ाद  कराया , वोह ज़्यादा सम्मानित थे , या फिर वोह वकील साथी जो ,देश के लिए संघर्ष करना तो अलग बात है , खुद   की जमात की  सुरक्षा , संरक्षण को लेकर , प्रस्तावित क़ानून को लागु करवाने में भी ,कोई कठोर ,  एकजुट होकर पहल नहीं कर पा रहे है , वोह वकील साथी ज़्यादा , सम्मानजनक  है ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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