कोरोना से जंग हम जीत रहे है ,फिर से कोरोना , वेरिएंट ना जाने किस किस पाप , किस किस गुनाहों की सज़ा का एडवांस ऐलान से हम ख़ौफ़ज़दा है, यह सब हमारे गुनाहों की सज़ा है ,नफरत बाज़ी की सज़ा है , तो आओ हम फिर लोट आएं इंसानियत की तरफ , फिर से अपने अपने ,भगवान , अल्लाह , खुदा को ,राज़ी करें , इंसानियत के रास्ते पर चलें , नफरत बाज़ों से डट कर मुक़ाबला करें और इस मुसीबत से , अल्लाह ,भगवान , वाहेगुरु हमे बचाकर रखे , मिलकर दुआएं करें ,,,,,,
अल्लाह का शुक्र , भगवान का अहसान है के , हमारी सड़को , हमारी गलियों में ,हमारे बेहिसाब गुनाहों के बावजूद भी , फिर से रोनक़ लौटने लगी है , रोज़गार फिर से खुले है , फिर से आम जनता के चेहरे पर , महीनों की उदासी ,, खौफ के वातावरण बाद खुशियां लोटी है ,, इस खौफ के माहौल में हमने बहुत कुछ खोया है , अपनों को खोया है , सीखा है , पाया है तो सिर्फ यही के मंदिर , मस्जिद , हिन्दू मुस्लिम के झगड़े सिर्फ फ़सादियों के लिए है , देश के लिए , धर्म मज़हब के लिए सिर्फ , सिर्फ प्यार मोहब्बत , खुलूस , एक दूसरे के लिए मदद का जज़्बा ही मानव धर्म है ,, दोस्तों बाज़ार खुले , एक दूसरे से एक दूसरे की फिर से पहचान हुई , किसी के सरों से उतरे बालों पर सवाल हुए , तो किसी के उदास चेहरों को देखकर , सवालात हुए ,हर शख्स का उदासी भरा जवाब , मेरी पत्नी , मेरे पापा , मेरी मम्मी ,मेरे दादा , मेरे पुत्र , मेरे दामाद , वगेरा वगेरा नहीं रहे , लेकिन सभी ने पड़ोस में ,धर्म की नफरत ताक़ में रखकर , एक दूसरे की , बिना किसी भी धर्म के भेदभाव के खुल कर मदद के जज़्बे की तारीफें की ,, कई लोग मिसिंग रहे , एक सब्ज़ी वाला जब नहीं आया तो खोज खबर की तो पता चला वोह अब नहीं रहे , गार्डन में , रोज़ आने वाली एक बहन , के बारे में खोज खबर हुई , तो पता चला , वोह भी हमे इस कोरोना काल में अचानक छोड़ कर चली गयीं ,यक़ीन ,मानिये एक दूसरे से कोई रिश्ता नहीं , कोई वास्ता नहीं , कोई बातचीत नहीं , सिर्फ एक दूसरे को रोज़ कभी मॉर्निंग वाक् पर गार्डन में देखना ,, कभी दूकान पर , शॉपिंग करते हुए देखना , कभी दूकान पर , सामान बेचने हुए देखना , कभी ठेले पर , सब्ज़ी , फ्रूट , चाट , वगेरा बेचते देखना , बस यही रिश्ता , लेकिन , रोंगटे खड़े कर देने वाला खौफ यह शख्स दिख नहीं रहा , कहाँ चला गया ,, कहीं अनहोनी तो नहीं हो गयी , एक अनजान रिश्ता , और फिर उसके गांव से लौटने , या दिख जाने पर , क़सम से ऐसी ख़ुशी , ऐसा जज़्बा ,जैसे कोई अपना फिर से लोट आया हो , इंसानियत का यही तो जज़्बा है , एक अनजाना शख्स जो सिर्फ गार्डन में , नज़र आते , और फिर अचानक उनके बारे में , उनके छोड़ कर चले जाने की खबर , मन को दुखी करने , आहत करने वाली रही , यही तो जज़्बा है , इंसानियत का , तो फिर हम क्यों इंसानियत को छोड़कर , धर्म मज़हब के ओरिजनल रास्तों को छोड़ कर , ओरिजनल राष्ट्रवाद को छोड़ कर ,अराजकता , नफरत ,, के रास्तों पर चल कर , अपने इस देश को , खोखला कर रहे है , हमे खुद को बदलना होगा , हमारे ऐसे लोग जो हमारे में यह नफरत भड़का रहे है , उन्हें तिरस्कृत करना होगा , उनका बायकॉट करना होगा , उन्हें पॉवरलेस बनाना होगा ,,
नफरत फैलाकर , देश में अराजकता फैलाने वालों , मज़हब , धर्म के नाम पर , क़त्ल करने वालों ,, घरों घरों में , ज़हरीली हवा घोलने वालों ,, देख लिया ना क़ुदरत का क़हर , ना तुम्हारी कुर्सी , ना तुम्हारे ओहदे , ना तुम्हारे डॉक्टर , ना तुम्हारे तांत्रिक ,, मौलवी , मुफ़्ती , बाबा , पंडित , पुजारी , साधु , संत , ,मंदिर , मस्जिद , गिरजा , कुछ भी तो काम ना आये ,, अगर काम आये तो सिर्फ अस्पताल , अस्पताल के कुछ डॉक्टर , अडोसी , पड़ोसी , एक दूसरे के मददगार , इंसानियत , , तुमने खुदा का , ईश्वर का , अल्लाह का कहर खुद देखा है , गंगा में बहती लाशें , शमशानों , क़ब्रिस्तानों में , अंतिम संस्कार की लाइने , अस्पतालों में , एक एक बिस्तरे , दवाओं , ऑक्सीजन के लिए , हाहाकार , तुमने देखा है ,, खुश क़िस्मत हो तुम , जो खुदा ने तुम्हे अभी ज़िंदा रखा है , शायद इसलिए के तुम अपने गुनाहो से तोबा कर लो , शायद इसलिए के तुम , अपनी नफरत , मंदिर , मस्जिद ,, हिन्दू , मुस्लिम , ऊंच , नीच , कांग्रेस ,भाजपा ,सियासी झगड़े छोड़कर , मानवता की तरफ लोट आओ , इंसानियत तुम्हारा धर्म हो ,एक दूसरे की मदद का जज़्बा तुम्हारा कर्म हो , शायद इसीलिए तुम्हे तुम्हारे अल्लाह , तुम्हारे भगवान ने जीवित रखा है ,, वरना हर घर , हर मोहल्ले ,हर गली , हर रिश्तेदार के यहां तुमने , मोत का तांडव देखा है , चंद दिनों में ही , लोगों को जिंदगीयां छोड़कर जाते देखा है , तुम्हारे , हमारे पाप के , गुनाहों के हिसाब इतने बेहिसाब हुए के , तोबा के दरवाज़े बंद हो गए , अल्लाह का घर हो , भगवान का घर हो , जीसस , वाहे गुरु का घर हो , सब घर तुम्हारे लिए , हमारे लिए बंद कर दिए गए ,, तो फिर झगड़ा किस बात का , नफरत किस बात की , क्यों हम गुनाह , दर गुनाह किये जा रहे है , क़ुदरत का सिद्धांत चाहे रामायण का हो ,चाहे भगवत गीता का हो , चाहे महाभारत का हो , चाहे क़ुरान शरीफ का हो , ,चाहे श्री महावीर जी के जेन ग्रंथों का हो , वाहेगुरु की गुरुवाणी हो , जीसस की बाइबिल हो , सभी में तो , जिओ और जीने दो का सिद्धांत है , मानवता ही सबसे बढ़ा धर्म , इंसाफ ही सबसे बढ़ा कर्म ,, है , तो फिर क्यों तुम , ज़रा से वोटों के खातिर , ज़रा से अपने निजी स्वार्थों के खातिर , चंदबाज़ियों के खातिर अधर्मी बन जाते हो , मज़हब के नाम पर क्यों एक दूसरे को ,एक दूसरे से लड़ाते हो , नफरत क्यों फैलाते हो , क्यों अधर्म , अधर्म फैलाते हो ,, अब दुआ सिर्फ दुआ का वक़्त है , दुआ करो , फिर से यह क़यामत के हालात , फिर से प्रलय के हालात ना बन पाए , तोबा करो , खुदा से , अल्लाह से , ईश्वर से , अपने गुनाहों की माफ़ी मांगो , दुआ करो फिर से सड़को पर ज़िंदगियाँ लोटे , स्कूलों में बच्चों की किलकारियां गूंजे , अस्पतालों में , सिर्फ डिलेवरियाँ हों ,, हर घर में खुशियां लौटें , जो चले गए ,उनके लिए दुआ करे , लेकिन जो बचे है , वोह स्वस्थ रहे , मस्त रहे , एक दूसरे की मदद करते रहे , फिर से हमारे देश में खुशिया लौटें , पर्यटन , शिक्षा ,, कल्याणकारी कार्य , विकास कार्य , फिर से शुरू हों , रोज़गारोन्मुखी योजनाए फिर से आबाद हों ,, देश विकास की गति पकड़े , चौपालों पर ,चौराहों पर , घरों के बाहर चबूतरों पर ,गांवों में , बढ़ के पेड़ के नीचे फिर से ,, गपशप हो ,फिर से खुशियां हों ,, मौज मस्ती हो , ज़िंदगियाँ , सिर्फ ज़िंदगियाँ हो , बच्चों की किलकारियां हों , बुज़ुर्गों के आशीर्वाद का माहौल हो ,, लेकिन यह सब , पाप का जो घड़ा भरा है ना , उसे फिर से तोड़कर , फेंकना ,होगा सिर्फ गुनाहों से तोबा , नफरतबाज़ों की शैतानियों पर उन्हें टारगेट कर , बिना किसी मज़हबी पक्षपात के सज़ा दिलवाने का जज़्बा , विनम्रता , एक दूसरे की बिना किसी मज़हबी भेदभाव के मदद की शुरुआत का जज़्बा ही , फिर से अपने गुनाहों की तोबा के साथ , अल्लाह ,ईश्वर , खुदा को राज़ी कर सकता है ,, कर सकोगे ऐसा , संकल्प ले सकोगे ऐसा , के अब नफरत बाज़ चाहे तुम्हारे में हो ,चाहे हमारे में हो , उसके खिलाफ हम सब मिलकर ,उसे बेनक़ाब कर , कार्यवाही करवाएंगे , चुनावी बागड़बिल्लों के बहकावे में आकर , वोटों को , हिन्दू , मुस्लिम ,सिक्ख , ईसाई के नाम पर , लामबंद करने वालों को , सबक़ सिखाएंगे ,, उन्हें आयना दिखाएँगे , झूंठ बोलकर ,फरेब कर , चंदेबाजी कर ,, लूट खसोट करने वाले , मज़हब की सियासत , नफरत फैलाकर ,सियासत में , देश के लोकतंत्र की लाशों के ढेर पर पाँव रखकर ,शार्ट कट अपनाने वालों को सबक़ सिखाएंगे , देश को , देश के धर्म को , देश के लोकतंत्र को बचाएंगे ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 जून 2021
कोरोना से जंग हम जीत रहे है ,फिर से कोरोना , वेरिएंट ना जाने किस किस पाप , किस किस गुनाहों की सज़ा का एडवांस ऐलान से हम ख़ौफ़ज़दा है, यह सब हमारे गुनाहों की सज़ा है ,नफरत बाज़ी की सज़ा है , तो आओ हम फिर लोट आएं इंसानियत की तरफ , फिर से अपने अपने ,भगवान , अल्लाह , खुदा को ,राज़ी करें
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