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30 जून 2021

आज सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को आदेश दिया है कि कोरोना से मरने वाले परिवारों को मुआवजा तो देना पड़ेगा, सरकार 6 सप्ताह में राशि तय करे

 

*आज सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को आदेश दिया है कि कोरोना से मरने वाले परिवारों को मुआवजा तो देना पड़ेगा, सरकार 6 सप्ताह में राशि तय करे।*
मैंने 22 जून को मैसेज डाला था उसके अंतिम पैराग्राफ में कहा था कि *सुप्रीम कोर्ट का तमाचा पड़ने के बाद मोदी सरकार झुकेगी।*
मेरा 22 जून का मैसेज पढ़िए-
*कोरोना से मरने वाले परिवारों को चार लाख रुपए की आर्थिक मदद से मोदी सरकार ने मना किया- धिक्कार है।*
सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने करीब 190 पेज का शपथ पत्र पेश करके कहा कि सरकार कोरोना से मरने वाले लोगों के परिवार को कोई आर्थिक सहायता नहीं दे सकती है सुप्रीम कोर्ट ने बहस सुनकर फैसला रिजर्व कर लिया है और दोनों पक्षों को 3 दिन में लिखित में कथन प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
*बड़े अफसोस की बात है कि मोदी सरकार कोरोना से मरे परिवारों को एक मामूली रकम ₹400000 देने से इंकार कर रही* है करीबन चार लाख के आसपास कोरोना से लोग मरे हैं यह सरकारी आंकड़ा है अगर प्रत्येक परिवार को ₹400000 दे दिया जाएगा तो करीबन 16000 करोड़ का खर्च आएगा जो एक बहुत मामूली रकम है लेकिन मोदी सरकार कोई मदद नहीं करना चाहती है आज हर व्यक्ति इस बात को जानता है कि किसी भी प्राइवेट अस्पताल में मरीज को भर्ती कर आते ही ₹50000 जमा कराने पड़ते हैं और जिन लोगों ने कोरोना से पीड़ित मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया उनका कम से कम ₹400000 खर्चा तो हुआ ही है सोचने वाली बात यह है कि जो परिवार आर्थिक दृष्टि से बहुत कमजोर थे और अपने परिवार के सदस्य को बचाने के लिए कर्जा लेकर खर्च कर दिए हैं और व्यापार खत्म हो गए हैं नौकरियां है नहीं है लोग बेरोजगार हो गए हैं ऐसी परिस्थिति में यह सरकार आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों को ₹400000 देने के लिए मना कर रही है।
मोदी सरकार के पास चुनाव में खर्च करने के लिए पैसा है हम सब ने देखा है कि बंगाल के चुनाव में जिस तरह से पानी की तरह पैसे को बहाया गया है क्या इस देश के लोगों की मदद नहीं की जा सकती है मोदी जी अपने ऊपर तो लाखों रुपए रोजाना नए नए कपड़े पहन कर खर्च करते हैं और जिन लोगों ने ऐसी विषम परिस्थिति में अपने परिवार के सदस्य को कोरोना से खोया है उनके परिवार को ₹400000 देने में दिक्कत आ रही है जबकि सरासर यह गलती मोदी सरकार की है जिन्होंने समय पर व्यक्तियों के वैक्सीन नहीं लगाई और दूसरी लहर को रोकने का कोई इंतजाम नहीं किया मैं यह कहना चाहता हूं कि *प्रजातंत्र में जनता मालिक होती है और यह नौकर लोग अपने मालिक के पैसे मालिक* को नहीं देना चाहते हैं बड़े शर्म की बात है मैं उम्मीद करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में मोदी सरकार को जरूर आदेश देगा कोरोना से पीड़ित परिवारों की आर्थिक मदद की जाए तब मोदी जी को झक मारकर आर्थिक सहायता करनी पड़ेगी जैसे वैक्सीन वाले मामले में जब सुप्रीम कोर्ट ने जबरदस्त फटकार लगाई तब जाकर मोदी जी ने घोषणा की कि हम वैक्सीन मुफ्त में लगाएंगे मुफ्त में क्या लगाओगे यह पैसा जनता का ही तो है भारत देश का हर नागरिक यहां तक कि भिखारी भी टैक्स अदा करता है वह बिस्कुट खरीदता है तो टैक्स देता है दूध खरीदता है तो टैक्स देता है बाजार से आटा चावल खरीदता पेट्रोल डीजल खरीदता है बस रेल से सफ़र करता है मोबाइल का उपयोग करता है सब में टैक्स देता है और अब जब उसको जरूरत पड़ रही है तो सरकार उसी को उसी का पैसा नहीं लौटाना चाहती है।
आप देखेंगे सुप्रीम कोर्ट का तमाचा पड़ने के बाद मोदी सरकार झुकेगी।- *पूनमचंद भंडारी एडवोकेट*

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