सूरए अल मआरिज मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी चैवालीस (44) आयतें हैं 
  ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
  एक माँगने वाले ने काफ़िरों के लिए होकर रहने वाले अज़ाब को माँगा (1) 
  जिसको कोई टाल नहीं सकता (2) 
  जो दर्जे वाले ख़ुदा की तरफ़ से (होने वाला) था (3) 
  जिसकी तरफ फ़रिश्ते और रूहुल अमीन चढ़ते हैं (और ये) एक दिन में इतनी 
मुसाफ़त तय करते हैं जिसका अन्दाज़ा पचास हज़ार बरस का होगा (4) 
  तो तुम अच्छी तरह इन तक़लीफों को बरदाश्त करते रहो (5) 
  वह (क़यामत) उनकी निगाह में बहुत दूर है (6)
  और हमारी नज़र में नज़दीक है (7) 
  जिस दिन आसमान पिघले हुए ताँबे का सा हो जाएगा (8) 
  और पहाड़ धुनके हुए ऊन का सा (9) 
  बावजूद कि एक दूसरे को देखते होंगे (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 जून 2021
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
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