देश भर में कोरोना वेक्सिनेशन मामले में , केंद्र की ट्रिपल बिक्री निति , वेक्सिनेशन खर्च , राज्यों पर डालने की निति , सहित कई मुद्दों पर ,अब केंद्र सरकार , पूरी तरह से संकट में आ गयी है , एक तरफ विपक्ष का खुलकर हमला है , जनता की मुफ्त वेक्सिनेशन की त्वरति मांग है , जबकि सुप्रीमकोर्ट ने भी फीलहाल , यानी फीलहाल तो घेरा बंदी कर ही डाली है ,,,.,. इधर राजस्थान की मंत्रिमंडल बैठक में , केबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल का , राष्ट्रपति महोदय को वेक्सिनेशन मामले में विस्तृत ज्ञापन देने के सुझाव पर अगर अमल होता है , तो फिर केंद्र सरकार की स्थिति के बारे में ,राष्ट्रपति महोदय को भी ज़िम्मेदार बनकर , जवाब देना ही होगा ,,,, सभी जानते है , देश कोरोना संकट में है , जैसे तैसे ,, चिकित्स्कीय अव्यस्था , टेक्स पेड़ दवाओं ,उपकरणों , वेक्सिनेशन के बाद ,, लाशों के इस ढेर से हम उबर से गए है , लेकिन फिर भी , भविष्य में तीसरी लहर का खौफ देश को सोने नहीं दे रहा है , हर शख्स , तनाव में है , वजह साफ़ है , जब देश को वेक्सिनेशन उत्पादन पर , वेक्सिनेशन आयात पर ध्यान देना था ,तब देश के शीर्ष लोग ,जिसमे प्रधानमंत्री महोदय , सहित सभी केबिनेट मंत्री , बजट में , 32000 करोड़ का प्रावधान कर , बंगाल सहित , दूसरे राज्यों में अपनी जीत का डंका बजाने की कोशिशों में , टी एम सी के विधायकों , सांसदों को खरीद रहे थे , बढ़ी बढ़ी रैलियां बिना मास्क के कर रहे थे ,, खेर चुनावी मामला है , लेकिन अब , जब देश में सवाल उठे के हमारे बच्चों के हिस्से की वेक्सीन , बाहर क्यों भेजी तो इन सवालों को उठाने वाले पोस्टर चिकपाने वालों को जेल का रास्ता दिखा दिया गया है ,, कुछ एक अपवादित अख़बारों , एक दो , न्यूज़ चैनल जैसे ऍन डी टी वी ने आवाज़ बुलंद की , दिल्ली हाईकोर्ट , इलाहबाद हाईकोर्ट , कर्नाटक , केरल , महाराष्ट्र , हाईकोर्ट ने अलग अलग सवालात उठाये , तो सुप्रीमकोर्ट ने , कह दिया , सीमाओं में रहे , सरकार पर ऐसा आदेश ना करे , जो सरकार को परेशानी में डाले ,, अब जब गंगा के किनारे लाशें बह रही थी , लाशों से चुनरियाँ हटाया जा रही थीं , शमशानों ,, क़ब्रिस्तानों के बाहर , शवों को लाइन में लगाया गया था ,, वोह मुर्दे अब चीख पढ़े है , उन मुर्दों का आंदोलन अब थोड़ा बहुत कामयाब होता नज़र आ रहा है , क्योंकि सिसकते लोग ,तो सिर्फ सिसकते है , ज़िंदा लोग तो सिर्फ समझौता करते है ,या फिर डर कर बैठे रहते है , वोह ज़िंदा होकर भी , उन मुर्दों से बदतर हालात में है ,,जिन्होंने , क़ब्रिस्तान , शमशानों में , लाइन में लगकर , गंगा किनारे दफन होकर भी , अपनी आवाज़ , देश के हक़ में उठाई है , देश के प्रधानमंत्री को देश के मीडिया को , देश के प्रिंट मीडिया , को खुलकर आयना दिखाया है , मीडिया को बेइज़्ज़त किया है , में मुबारक़बाद देता हूँ , दैनिक भास्कर ,ऍन डी टी वी के रवीश कुमार , उत्तर प्रदेश , गुजरात के कुछ अख़बारों को , जिन्होंने ने , इन मुर्दों की आवाज़ को , खुलकर उठाया , और मजबूर होकर , आदरणीय प्र्धानमंत्री महोदय को , टी वी पर आकर रोना पढ़ा , भावुक होना पढ़ा ,, लेकिन अब सुप्रीमकोर्ट भी उन मुर्दों की आवाज़ों से , देश के कल्याणकारी क़ानून , केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारियाँ , देश के प्रति सरकार के दायित्व , संकट काल में देश को , कोरोना संकट की तीसरी लहर से बचाने के लिए वेक्सिनेशन ही एक मात्र उपाय , पर चिंतन मंथन कर रही है , सुप्रीमकोर्ट अब सूक्ष्म सवालात उठा रही है , सुप्रीमकोर्ट अब ,, कोरोना को रोकने का एक मात्र उपाय ,, वेक्सिनेशन पर फोकस कर रही है , यूँ तो आदरणीय प्रधानमंत्री साहिब , बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवानों की तरह से , पूना , वेक्सिनेशन उत्पादकों के पास ऐसे गए जैसे सारा काम इन्होने ही केंद्र के खर्चे पर करवाया हो , फिर वेक्सिनेशन पर ,टेक्स वगैरा अलग से , फिर वेक्सिनेशन खरीद कर ,विदेशों में भेजने की प्रक्रिया अलग से , फिर देश में वेक्सिनेशन की ज़रूरत पर , वेक्सिनेशन उत्पादक का देश छोड़ कर जाना ,, वेक्सिनेशन विक्रय निति में , वेक्सिनेशन की एक क़ीमत , भारत सरकार के लिए ,, दूसरी महंगी क़ीमत , राज्य सरकारों के लिए , तीसरी अधिक महंगी क़ीमत , निजी चिकित्सालयों के लिए ,, अजीब फैसला था , लेकिन फिर भी वेक्सिनेशन का उत्पादन , सो दिन चले ढाई कोस की तरह , धीमी गति से , ऐसे में जब देश ने अस्पतालों में सिसकियाँ देखी है , देश में बेहिसाब से भी बेहिसाब लोगों की मौतें देखी है , तब सोनिया गांधी , राहुल गांधी , प्रियंका गाँधी ,, अशोक गहलोत , ममता बनर्जी सहित उद्धव ठाकरे , केजरीवाल , सभी ने , वेक्सिनेशन को त्वरित गति से , पूरे भारत में भेजने का दबाव बनाए ,, देश की जनता को अलग अलग बयानों के ज़रिये भर्मित करने की कोशिश की गयी , लाशो के मुद्दे , और वेक्सिनेशन में ट्रिपल क़ीमत स्टेंडर्ड , वेक्सिनेशन की मांग पूरी नहीं होने के मुद्दों को ,, भटकाया गया , लेकिन अब कमान सुप्रीमकोर्ट के हाथों में ,,है ,, नतीजा क्या होगा ,यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा है , लेकिन कुछ तो नतीजा निकलेगा ही , केंद्र की जो पर्दादारी वेक्सिनेशन , बजट , और व्यवस्थाओं को लेकर है , उनका कुछ तो पोस्टमार्टम होगा ही ,, राज्य सरकारों में , महाराष्ट्र और खासकर , राजस्थान सरकार के मुख्ययमंत्री अशोक गहलोत ने , अपने राज्य की जनता के प्रति चिंता जताते हुए , सम्पूर्ण वेकिनेशन की कोशिशें तेज़ की है , लेकिन वेक्सीन की उत्पादन प्रणाली , टेक्स पेड़ वेक्सीन वगेरा वगेरा के कारण , वेक्सिनेशन की केंद्र अभी तक पर्याप्त आपूर्ति करने में नाकाम रहा है ,, ऐसे में सुप्रीमकोर्ट में केंद्र सरकार ने पहले तो हर मामले में भाजपा की पैरवी करने वाले वकील हरीश सालवे को न्यायमित्र बनाने के आदेश के बाद , उनका न्यायमित्र न्यायमित्र यानी भारत की जनता के पक्ष में , पैरवी करने का सम्मानित काम जो उन्हें दिया था , उससे उन्होंने असमर्थता जताते हुए इंकार दिया , फिर नए न्यायमित्र नियुक्त हुए , अब सुप्रीम कोर्ट , इस वेक्सिनेशन सुनवाई मामले में , केंद्र सरकार की व्यवस्थाओं , केंद्र सरकार के प्रयासों ,बैठकों के निर्णयों , बजट का सदुपयोग , सहित कई मुद्दों पर , खंगालना चाहती है , पोस्टमार्टम करना चाहती है , सुप्रीमकोर्ट , ने साफ़ कर दिया है के जब देश में संकट हो , संवैधानिक व्यवस्थाओं के तहत , केंद्र सरकार अपनी आवश्यक ज़िम्मेदारी नहीं निभा पाए , तो सुप्रीमकोर्ट का दखल , संवैधानिक अधिकार देता है , ऐसे में , केंद्र अब , वेक्सिनेशन , के नाम पर जो भी लापरवाही हुई है , या ज़िम्मेदारी से कार्यवाही हुई है , उसको सुप्रीम कोर्ट के समक्ष , अगर , मगर ,, किन्तु , लेकिन , परंन्तु के साथ पेश करता है , कुछ छुपाता है , कुछ दिखाता है ,, क्या करता है , यह आगामी पेशी पर तय होगा , लेकिन अब सुप्रीमकोर्ट के निशाने पर , केंद्र की वेक्सिनेशन की सफलता , विफलता पूरी तरह से सामने है , राजस्थान में , इस मामले में , केंद्र सरकार से , प्रत्येक नागरिक को मुफ्त वेक्सीन त्वरति उपलब्ध कराने के लिए , कांग्रेस ने हल्ला बोल कार्यक्रम चलाया था , राजस्थान मंत्रिमडल की बैठक में , केबिनेट मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल ने इस मामले में , बोल्ड और गोल्ड ,, सुझाव देते हुए , राष्ट्रपति महोदय से मिलकर स्थिति पर बात करने के विचार रखा है , शांति कुमार धारीवाल के जनहित के इस विचार से , कोई सहमत हो या ना हो , लेकिन राजस्थान की जनता , देश की ,जनता निश्चित तोर पर सहमत है ,क्योंकि जब प्रधानमंत्री , केंद्र सरकार का सिस्टम , हर तरह से वेक्सिनेशन उपलब्ध कराने में ,विफल है , तीसरी कोरोना लहर ,, लोगों की ज़िंदगियों से एक बार फिर खेलने के लिए हमलावर होने की स्थिति में है , ऐसे , में वेक्सिनेशन ही एक बचाव , एक उपाय ,एक सुझाव है , और राष्ट्रपति महोदय ऐसे वक़्त पर मूकदर्शक बन कर नहीं रह सकते , ऐसा न हो कल को अपने रिटायरमेंट के वक़्त , राष्ट्रपति महोदय कहे के मुझे पता नहीं , वेक्सिनेशन की कमी भी थी ,वेक्सिनेशन प्रबंधन विफल था , क्योंकि मुझ से तो किसी ने कहा ही नहीं , इसलिए राष्ट्रपति महोदय तक , केबिनेट मंत्री ,, शांति शांति कुमार धारीवाल का उनसे मिलकर ,विस्तृत ज्ञापन के माध्यम से , उन्हें स्थिति से अवगत कराने का सुझाव , अनुकरणीय है , जो जल्द ही , व्यवय्थित तरीके से , आंकड़ों के साथ , राष्ट्रपति महोदय तक पहुंचना चाहिए ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 जून 2021
देश भर में कोरोना वेक्सिनेशन मामले में , केंद्र की ट्रिपल बिक्री निति , वेक्सिनेशन खर्च , राज्यों पर डालने की निति , सहित कई मुद्दों पर ,अब केंद्र सरकार , पूरी तरह से संकट में आ गयी है
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