केंद्र का अपना राजधर्म होता है ,, ईमानदारी होती है , राज्यों के प्रति ईमानदार दायित्व होता है , लेकिन जब केंद्र , राजधर्म से विमुख होकर , निजी दुश्मनी निकालने के लिए , राज्यों से उनका हक़ छीने , उनके अधिकारों का हनन करे , विधि विरुद्ध उनके अधिकारीयों पर अंकुश बढाए , तो फिर केंद्र में प्रधानमंत्री कोई भी हो , उन्हें नीचा तो देखना ही पढ़ता है , लोकतंत्र के लिए यह दुखद बात है , के एक प्रधानमंत्री राज्य में पूरी ताक़त झोंक कर भी , चुनाव हार जाए ,, इससे भी बढ़ी दुखःद स्थिति जब होती है , जब एक प्रधानमंत्री , राज्य को हराने के लिए उनके अधिकारीयों को हटाने , लगाने , ट्रांसफर करने , सजा दने , जैसी साज़िशों में शामिल हो जाए ,और वोह हर साज़िश , राज्य नाकामयाब कर ,जीतता रहे , बंगला में , बंदोपाध्याय मुख्य सचिव का ट्रांसफर , फिर रिलीव नहीं करना , फिर निलंबन की धमकी , फिर मुख्य सचिव की सेवानिवृत्ति , फिर बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से , नियुक्त कर ,मुख्य सलाहकार बनाना , यह सब शतरंज में हार जीत की बाज़ी है , लेकिन ऐसे खेलों में , देश कंमज़ोर हो रहा है ,अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की साख गिर रही है , चुनाव होते है , हर जीत होती है ,, उसे यूँ दिल पर लेकर ,, दर्द लेना , दर्द देना , अच्छी बात नहीं है , राज्यों को अपना राजधर्म निभाने दो , और प्रधानमंत्री जी प्लीज़ आप अपना धर्म निभाओ, यह हालात बाढ़ के है ,तूफ़ान के है , कोरोना संक्रमण के है ,, यहाँ लोगों की ज़िंदगियाँ बचाना ही , पहला राजधर्म होना चाहिए , नुकसान की भरपाई , नुकसान देखकर होना चाहिए , ना की ,, अपना अपना समर्थन , अपने अपने लोग देखकर ,, ,
कहते है , बंगाल के शेर मशहूर है , लेकिन बंगाल की शेरनी की शोहरत कहीं सुनने को नहीं मिली , फिर भी यह केंद्र से टकराव , केंद्र की हर चालबाज़ी को पटकनी देने वाली , ममता बनर्जी ,खुद को , बंगाल की शेरनी कैसे साबित करती नज़र आ रही है ,,, देश ने बंगाल के चुनाव में , भाजपा , और केंद्र के सभी सरकारी सिस्टम को झोंकने , सरकारी सिस्टम के दुरूपयोग के क़िस्सों , आरोपों के बाद भी , भाजपा की करारी , से भी करारी हार को देखा है , ममता बनर्जी , हारी , हार कर जीतीं , और जीतते ही , फिर उन्हें , राज्यपाल की टीका टिपण्णी , जो लोग उनके साथी थे , भाजपा में चले गये , उनको क्लीन चिट देकर , उनकी गिरफ्तारी छोड़ , जो लोग ममता बनर्जी के साथी थे , उन मंत्रियों की गिरफ्तारी अचानक गिरफ्तारी , फिर सी बी आई कार्यालय पर धरना , फिर अदालत से , हाउस अरेस्ट का आदेश , फिर अंतरिम ज़मानत के आदेश , यह सब छोटी सी बात रही ,, ममता बनर्जी ने ,साम्प्रदायिक फसाद फैलाने ,, फ़र्ज़ी ,, झूंठ भड़काने सहित कई , अफवाबाज़ सोशल मीडिया एकाउंट को डिलीट करवाने में कामयाबी हांसिल की , अब बंगाल सहित कुछ राज्यों में ,यास तूफ़ान की तबाही का मामला था , केंद्र सरकार का राजधर्म होता है , ज़िम्मेदारी होती है , निष्पक्षता होती है , और ऐसी तबाही के मंज़र का अगर कोई प्रधानमंत्री हवाई सर्वेक्षण करना भी चाहता है , तो फिर उन्हें ,, जिस राज्य की तबाही का हवाई सर्वेक्षण है , उस राज्य की मुख्यमंत्री को तो साथ रखना ही चाहिए था , लेकिन ऐसा नहीं हुआ , मुख्यमंत्री को नेग्लेट कर , प्रधानमंत्री जी , दूसरों को साथ लेते है , मुख्यमंत्री से बैठक में , दूसरे लोग , जो ऐसी बैठकों में ,कभी आज तक रहे ही नहीं , उन्हें बुलाया जाता है , और जब मुख्यमंत्री अपने राज्य की तबाही की दस्तान ,, केंद्र से क्षतिपूर्ति सहयोग राशि की अपील , लेकर पहुँचती है , तो वोह अपनी सारी लिखित रिपोर्ट देकर , प्रधानमंत्री महोदय से ,उनकी यह राजधर्म के खिलाफ व्यवस्था को देखकर ,भड़कती नहीं , अदब से , , दूसरी आवश्यक बैठक में , जाने की इजाज़त लेती है,,और चली जाती है ,, बकिंघम चटर्जी , के , वन्दे मातरम के नारे को बुलंद करने वाले इस बंगाल में , रविंद्र नाथ टैगोर , के जन गण मन , राष्ट्रिय गान को बुलंद करने वाले इस बंगाल में , एक प्रधानमंत्री महोदय को यह क़तई अच्छा नहीं लगा , उनका गुस्सा , उनकी खीज , की पराकाष्ठा थी ,के वोह , ममता बनर्जी को तो कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके , उन्हें बर्खास्त नहीं करवा सके , लेकिन बदले की कार्यवाही में , उनके अधिकारी मुख्य सचिव बंधोपाध्याय पर हमला बोला ,गुस्से की हद देखिये ,, सभी विधि नियम ताक में रखे , और बंगाल के मुख्य सचिव को , रातों रात , दिल्ली स्थांनतरित कर दिया गया ,, यह पराकाष्ठा है ,इसे देश ने देखा है , ,देश के राष्ट्रंपति महोदय ने देखा है , देश की हाईकोर्ट ,देश की सुप्रीमकोर्ट ने इस गुस्से की कार्यवाही को देखा , कोई इलज़ाम नहीं ,, कोई साबित आरोप नहीं ,, बस कर दिया सो कर दिया ,, ममता भी ममता थी , एक अधिकारी तो फूटबाल बन गए , ममता ने बंगाल से , बंदोपाध्याय को रिलीव नहीं किया , पत्र लिखकर ,विरोध जताया , हालातों की नज़ाकत को बयान किया ,, लेकिन बात तो ज़िद की थी , बात तो हर की खीज की , सबक़ सिखाने वाली थी ,, केंद्र सरकार ,जो भाजपा के नेतृत्त्व की सरकार है , जहां राजधर्म को कई बार , कई ,बार अलग थलग रखा गया है , वहां से सुगुबुगाहट के , बंदोपाध्याय मुख्यसचिव को केंद्र ,निलंबित करेगा , दंडित करेगा , यद्धपि , केंद्र सरकार के इस दुस्साहसी क़दम के खिलाफ ,देश के सभी ब्यूरोक्रेट्स को एक जुट होकर संघर्ष करना था , लेकिन ,जब बंगला के डी जी सहित दूसरे अधिकारीयों को प्रताड़ित किया गया ,तब भी ब्यूरोक्रेट्स की यह जमात ,, अपने साथियों के खिलाफ , षड्यंत्रकारी कार्यवाहियों को रोकने के लिए , नहीं बोली , कोई संघर्ष नहीं किया ,, तो उन पॉकेट संगठनों से , बिहार के ब्यूरोक्रेट्स , बन्दोपाध्याय क्या उम्मीद करते , हायकोर्ट , और सुप्रीमकोर्ट में , अपने हक़ की लड़ाई के लिए जाकर भी वोह क्यों , हायकोर्ट ,सुप्रीमकोर्ट का वक़्त खराब करते , उन्होंने , नौकरी से ही सेवानिवृत्ति ले ली , वोह सेवानिवृत , हो गए , और फिर से मुख्यमंत्री कार्यालय में , मुख्य सलाहकार के रूप में , विधि नियमों के तहत , भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरते हुए ,, केंद्र के राजधर्म की परम्परा तोड़कर , भी उन्हें नीचा दिखाने की कोशिशों के बावजूद भी वोह , पद पर बैठ गए , अब तीन साल तक , भाजपा , उनके खिलाफ ज़्यादा से ज़्यादा , सी बी आई , ई डी वगेरा वगेरा के ज़रिये के अलावा , वही , सोचा समझा जुमला , हिन्दू , मुस्लिम , साम्पर्दयिकता , नफरत , जैसे हथियारों का इस्तेमाल कर , उन्हें जाल में फंसाने के षड्यंत्र रच सकती है ,, लेकिन कहावत है , धर्म में भी लिखा है , जिसे अललाह रखे , उसे कोन चखे , जो केंद्र में , मोदी जी के लिए ,, और बिहार में ममता जी के लिए अभी तक तो लागू है ,, वैसे राजस्थान में भी भाजपा की सभी तरह के हथकंडों के दुरूपयोग के बावजूद भी , सरकार को गिराने में नाकामयाब रहने के कारण , राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए भी यही कहावत चरितार्थ है ,, तो देखते है ,अब सोशल मीडिया , पर भाजपा के आई टी सेल के खेल खिलोने , जिसमे , नफरत , अफवाहें , झूंठ , फरेब , सत्तर साल में क्या ,हुआ , डी ऍन ऐ टेस्ट , और फिर सी बी आई , इंटकम टेक्स , वगेरा वगेरा के हथकंडे आगे क्या गुल खिलाते है ,, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
01 जून 2021
केंद्र का अपना राजधर्म होता है ,, ईमानदारी होती है , राज्यों के प्रति ईमानदार दायित्व होता है , लेकिन जब केंद्र , राजधर्म से विमुख होकर , निजी दुश्मनी निकालने के लिए , राज्यों से उनका हक़ छीने
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