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09 जून 2021

उत्तरप्रदेश सरकार ने फ़ज़ीहत से बचने के लिए ,, आगरा में ऑक्सीजन बंद करने की मॉक ड्रिल कर , 22 लोगों की जान लेने के , आरोपित , पारस अस्पताल को सील कर दिया है

 उत्तरप्रदेश सरकार ने फ़ज़ीहत से बचने के लिए ,, आगरा में ऑक्सीजन बंद करने की मॉक ड्रिल कर , 22 लोगों की जान लेने के , आरोपित , पारस अस्पताल को सील कर दिया है ,, लेकिन मुझे तकलीफ है के हमारे राजस्थान में , कोटा दक्षिण के प्रथम नागरिक , महापौर राजीव अग्रवाल ,  प्रदेश कोंग्रेस कमेटी की सचिव राखी गौतम द्वारा , कोटा हार्ट अस्पताल रेमडेसिविर इंजक्शन मामले में पुलिस अधीक्षक को जाकर ज्ञापन देने , और एक बढे अखबार के इस मामले के स्टिंग में शामिल होने के बाद भी , उसका बाल भी बांका नहीं हुआ है , हालात यह है , के , जिला कलेक्टर , मुख्य चिकित्सा अधिकारी की इस मामले की जांच में , उन्होंने अब हाथ खड़े कर दिए है , उनका कहना है , के पुलिस जांच चल रही है,,   इसलिए , अब हम  कुछ रिपोर्ट नहीं देंगे ,, यह लुका छिपी का खेल कोई नया नहीं है , मेने पहले ही कहा था , प्रतिपक्ष खामोश है , फॉलोअप बंद हो चुके है , और अब जांच के नाम पर , अनुसंधान के नाम पर रस्म अदायगी है , ऐसे मामलों के अंदरखाने की आवाज़े अब बाहर आना भी बंद हो जाएंगी क्योंकि किसी भी मामले को लुप्त करना हो तो , उसका फॉलोअप बंद  करवा दो , लेकिन फरियादी से अगर समझौता नहीं होता है , तो राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष चल रही जांच में इन्साफ  की  उम्मीद बची है ,,  खेर माया नाम की महिला , कोटा हार्ट श्री जी अस्पताल में भर्ती  ,दैनिक भास्कर अख़बार , और कोटा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर विजयी सरदाना , के कंट्रोल प्रणाली से जिला कलेक्टर , मुख्य चिकित्सा अधिकारी , और राज्य सरकार की गाइड लाइन से दिए जाने वाले इंजक्शन की ब्लेक मार्केटिंग का स्टिंग ऑपरेशन , दो लोगों का रंगे हाथों , इंजक्शन ब्लेक करते पकड़े जाना , फिर महावीर नगर थाने में , दो लोगों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज होना ,, गिरफ्तार शुदा आरोपियों का जुर्म स्वीकार करना , उनकी स्वीकारोक्ति के , श्री जी कोटा हार्ट अस्पताल में ,भर्ती कोरोना मरीज़ माया , को दिए जाने वाले इंजक्शन की जगह , उन्होंने गुलुकोस का पानी चढ़ा दिया , फिर उक्त इंजक्शनों को ब्लेक में बेचने लगे है ,, महिला की तो मोत हो गयी , कुछ दिनों बाद नाटकीय तरीके से , जवाहर नगर थाने में , कोटा हार्ट अस्पताल के , संचालकों , डॉक्टर्स के खिलाफ मुक़दमा दर्ज होना , अब दो फौजदारी मुक़दमे , दो प्रशासनिक जांचे , एक स्टिंग करने वाले भास्कर अख़बार की जांच , लेकिन , सांसद लोकसभा अध्यक्ष चुप , भाजपा के विधायक चुप ,  सत्ता पक्ष कांग्रेस के महापौर राजीव अग्रवाल , प्रदेश कांग्रेस सचिव श्रीमती राखी गौतम , कांग्रेस के पार्षद गण , पुलिस अधीक्षक कोटा ,डॉक्टर विकास पाठक से , आई एम ऐ प्रतिनिधि मंडल ,,, के अस्पताल के पक्ष में मिलने के बाद , मिलते है ,सख्त कार्यवाही , निष्पक्ष जांच की मांग करते है , अचानक अख़बारों का फॉलोअप बंद , और फिर ,  समर्थन की शुरुआत हो जाती है , कोटा जिला कलेक्टर की जांच और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की जांच में ,  हाथ खड़े करते हुए , जवाब आता है , के पुलिस में मुक़दमा दर्ज है ,  हम  जांच प्रभावित नहीं करेंगे , हमारी रिपोर्ट  नहीं देंगे ,  अख़बारों में रूटीन खबर , और बस चेप्टर  क्लोज़  जैसा हो गया ,,  लेकिन ,  मुख्य  चिकित्सा अधिकारी , जिला कलेक्टर द्वारा जांच में शामिल चिकित्सक ,अधिकारी , अपने विधिक दायित्व , विधिक कर्तव्यों से जुड़े है ,, उनका यह कथन , ,उनके कर्तव्यों से विमुख होना है , कर्तव्य विहीनता है , अगर कोई दबंग ईमानदार पुलिस अधिकारी हो , तो ऐसे सभी डॉक्टर्स , टीम के सदस्य और ऐसा बयान देने वाले ,, लोगों के खिलाफ , विधि की अवज्ञा ,  166 आई पी सी में मुक़दमा  दर्ज कर कार्यवाही करता , , पुलिस  ने , स्टिंग के ऑडियो का क्या करा , अस्पताल के कोन , कौन से रिकोर्ट प्राप्त किये , इंजक्शन की शीशी , उसका रेपर , इंजक्शन का बेच , इंजक्शन कंट्रोल ओषधि व्वयस्था के तहत  ,कब  स्वीकृत हुआ , कब खरीदा , उसका डिस्पोज़ल विधि अनुसार हुआ या नहीं  , आई सी यू  में , सी सी टी वी कैमरों का , राजस्थान सरकार के निर्देश के बाद , क्या स्टेटस रहा ,, जो इंजक्शन डॉक्टर की उपस्थिति में  लगने थे वोह कैसे , बिना डॉक्टर के लगाने का रिकॉर्ड फ़र्ज़ी तरीके से तय्यार हुआ , दो अलग अलग फौजदारी मुक़दमों में ,अगर ईमानदारी से जांच  हो ,तो फरियादी माया के पुत्र अगर सरेंडर भी हो जाए , तो भी ,  स्टिंग ऑडियो , स्टिंग में शामिल भास्कर संवाददाता , डॉक्टर सरदाना के बयान , और इंजक्शन की जगह गुलुकोस लगाकर , फ़र्ज़ी एन्ट्री करना , इंजक्शन को बिना डॉक्टर की उपस्थिति में लगाना , कंट्रोल इंजक्शन को  इंजक्शन इश्यू  करने ,  इंजक्शन का रिकॉर्ड रखने , इंजक्शन को  लगाने के बाद डिस्पोज़ल के तरीके में जो कोताही बरती गयी है , वोह अपने आप में , दोषियों  को सज़ा दिलवाने के लिए काफी है , ,लेकिन ,,यहाँ तो ,  तैनात पुलिस  ,,  चिकित्सा से संबंधित जांच अधिकारी , राजस्थान के गाँधीवादी मुख्यमंत्री अशोक  गहलोत ,  की गरीबों के हतैषी होने , इन्साफपरस्त होने की छवि को पलीता लगाने की क़सम खाकर बैठे है ,  भाजपा के नेता इस मामले में चुप तो , अधिकारीयों ने भी ,  इस मामले में जांच के नाम पर हाथ खड़े कर दिए है ,  इसीलिए ,   कोटा दक्षिण के महापौर  जो प्रथम नागरिक है , उन्हें खुद चलकर , राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सचिव  श्रीमती राखी गौतम के साथ , , ऐसे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए कोटा  पुलिस अधीक्षक के पास जाकर ,  निष्पक्ष अनुसंधान का जाकर ज्ञापन देना पढ़ा , लेकिन उसके बाद भी अभी तक , पुलिस   की  कार्यवाही का कोई फॉलोअप ,  सामने नहीं आया  है   ,,  उलटे ,  जांच  समितियों के हाथ खड़े करने का हास्यास्पद  , विधि की  अवज्ञा के अपराध का फॉलोअप  ज़रूर आया  है , शायद चेप्टर क्लोज़ ,  शायद शिकायत झूंठी है ,शायद शिकायत में कोई दम नहीं , शायद स्टिंग में कुछ गलतियां थी , शायद  ,अस्पताल ने कोई गलती ही नहीं  की हो , लेकिन अगर स्टिंग गलत है , तो कार्यवाही हो , अगर माया के पुत्र की एफ आई आर झूंठी है ,, तो एक प्रतिष्ठित अस्पताल के खिआफ़ रिपोर्ट लिखाने के मामले में , एफ आर लगाकर , 182 , 211 आई पी सी   की फौजदारी कार्यवाही के तहत , फरियादी के खिलाफ इस्तिगासा भी होना  चाहिए , और ऐसे ईमानदार अस्पताल मालिक , चिकित्सकों ,  जाँच  अधिकारीयों , जांच में शामिल चिकित्सकों को ,   उनकी ईमानदारी  , निष्पक्ष  जांच कार्यवाही के लिए , सार्वजनिक रूप से सम्मानित भी  करना चाहिए , देखते है ,अब राज्य मानवाधिकार आयोग में , इस मामले में , जिला प्रशासन  , पुलिस प्रशासन का ,  मुख्य चिकित्सा सचिव  के ज़रिये क्या स्टेटस भेजा जाता है , एक ब्रेक के बाद ,,,  अख्तर खान  अकेला कोटा राजस्थान

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