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08 मई 2021

कोटा के मशहूर मौलाना , रौनक अली कोटवी नौताड़ा , बालदढा वालों को उनकी योम ऐ पैदाइश , सालगिरह के मौके पर , दिली मुबारकबाद

 कोटा  के मशहूर मौलाना , रौनक अली कोटवी नौताड़ा , बालदढा वालों को उनकी योम ऐ पैदाइश , सालगिरह के मौके पर , दिली मुबारकबाद ,, कामयाबी , खुशहाली , सह्तयाबी , उम्रदराज़ी की बेशुमार दुआये ,, मौलाना रौनक अली यूँ तो कोटा शहर , राजस्थान में जाना पहचाना नाम है ,, मौलाना रौनक अली ने ,, जोधपुर स्थित ,, इस्हाक़िया दारुल उलूम से , आलिम ऐ दीन का कोर्स किया ,, कुछ वक़्त , यहां तक़रीरों के बाद , मोलाना रौनक़ अली , को  मक्के शरीफ में ,  काबे  में ,  खिदमत का अरमान  जागा ,  अल्लाह ने उनकी दुआ क़ुबूल की , मौलाना रौनक कई सालों तक , मक्के शरीफ में ,, खिदमतगार के रूप में , मौजूद रहकर , इबादत में शामिल रहे , साथ ही , काबे की खिदमत का शर्फ भी हांसिल किया , इस दौरान , मौलाना रौनक अरबी  जुबान के भी मास्टर बन गए ,, मौलाना रौनक अली कोटा में वापसी के बाद , यहाँ अलग अलग मस्जिदों में , इमाम रहे , जुमे की तक़रीरों के साथ  ,  इनकी क़यादत में , नमाज़े अदा हुईं ,, मौलाना रौनक माशा अल्लाह , इस्लाम , दीन के हर पहलु को लेकर ,, सभी  बारीकियों के साथ हर तरह का इल्म रखते है , इन्हे , दीन के साथ साथ दुनियावी तालीम की भी पूरी जानकारी है ,,  मौलाना रौनक अली ,, राजस्थान मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमेन ,,  मौलाना फ़ज़्ले हक़ के भी नज़दीकी रहे है , जबकि बाबा जंगलीशाह ,कोटा से भी इनकी निस्बत होने से यह , यहाँ के , मुतव्वली  हाजी अज़ीज़  जावा के नज़दीकी है ,, मौलाना रौनक अली  की ,  इस्लाम के हर पहलु पर , तक़रीर  ,माशा अल्लाह क़ाबिले ऐ तारीफ होती हां ,  इनका इल्म , इनकी क़लम ,   उनकी जुबां और फिर इस्लाम के लिए , इंसानियत के लिए हक़ के लिए  इनकी  जांबाज़ी के सभी लोग क़ायल है ,,  लोगों की मदद का जज़्बा इन्हे लोगों के और   नज़दीक कर देता है ,, हर दिनी  प्रोग्राम ,   उर्स , इफ्तार या किसी भी कार्यक्रम में , माशा अल्लाह  इनकी दुआ ,   इनकी तक़रीर क़ाबिल ऐ  अहतराम होती है ,,  मोलाना रौनक अली  ,,  खुद को खुद में शामिल  कर , खुदा की दुआओं , हिम्मत , उनके बताये हुए रास्ते पर चल कर खुदी  को  बुलंद करने वाले ,  खुसूसी  शख़्सियत्तों में से एक हैं , जुस्तजू , संघर्ष ,,  मुक़ाबला , हक़ की लड़ाई के लिए जांबाज़ी  इनकी पहचान है  ,,  मौलाना रौनक अली , ग्रामीण  परिपेक्ष के है , इसलिए  यह  बहतरीन घुड़सवार भी हैं , घोड़ों की नस्ल ,  उनकी आदत , उनके प्रशिक्षण के बारे में भी इन्हे खास तोर  पर ,, जानकारी होने से ,,  कई वरिष्ठ अधिकारी , कई वरिष्ठ नेता , जिन्हे घुड़सवारी , या घोड़ों का शोक है  ,, जो अपने घोड़ों को ट्रेंड करवाना चाहते है , प्रशिक्षित करवाना चाहते है वोह आज भी , इनकी खिदमत ,  इसरार के साथ , हांन्सिल करने के लिए  बेताब रहते हैं ,, मौलाना रौनक अली को  उनकी सालगिरह पर , बेशुमार दुआओं के साथ , दिली मुबारकबाद , बधाई ,, अख्तर खान अकेला

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