आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

21 मई 2021

आखिर , भास्कर , पत्रिका , फर्स्ट इण्डिया न्यूज़ चैनल , ऐ वन न्यूज़ चैनल सहित सभी अख़बारों ,, मिडिया एक्टिविस्टों के दबाव में , अस्पताल के डॉक्टर , मालिक संचालक , ज़िम्मेदारों के खिलाफ , आखिर गैर इरादतन हत्या का मुक़दमा दर्ज हो ही गया

 दैनिक  भास्कर कोटा के डिकोय ऑपरेशन  के बाद , कोटा हार्ट श्री जी हॉस्पिटल में ,  रेमडेसिविर इंजक्शन की जगह , गंभीर महिला मरीज़   ग्लूकोस लगाकर , इंजक्शन ब्लेक करने की घटना की  धरपकड़ के बाद , पुलिस , प्रशासन  , कथित लोगों  के दबाव के बाद , आखिर  , भास्कर , पत्रिका , फर्स्ट इण्डिया न्यूज़ चैनल , ऐ वन न्यूज़   चैनल सहित सभी अख़बारों ,, मिडिया एक्टिविस्टों के दबाव में , अस्पताल  के डॉक्टर , मालिक  संचालक , ज़िम्मेदारों के खिलाफ , आखिर गैर इरादतन हत्या का मुक़दमा दर्ज हो  ही गया  ,,,,,  दैनिक भास्कर  के सर्वपर्थम पहल के इस डिकोय   ऑपरेशन के बाद ,  रेमडेसिविर इंजक्शन की ब्लेक मार्केटिंग पर लगाम कसी है , प्रशासन , मेडिकल ज़िम्मेदारों के कान खड़े हुए  है , और कई मरीज़ों की जान  जो इस तरह से खतरे में पढ़ सकती थी ,  उनको  फायदा मिला  है ,, भास्कर का यह डिकोय स्टिंग  , निश्चित तोर पर , आरोपियों  को  सज़ा  दिलवाने वाला ,  कोटा के अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों के इलाज में , घोर लापरवाही ,धोखाधड़ी को सतर्क कर , कई मरीज़ों की  जान बचाने वाला साबित हुआ है  ,, इसके लिए  ,कोटा भास्कर के रिपोर्टर्स ,  सम्पादक सर्वेश शर्मा ,  इसमें शामिल डॉक्टर विजय  सरदाना   , पूरी टीम  को बधाई  ,,  साथ ही  ,  गैर इरादतन हत्या के मुक़दमे का दबाव बनाने में , पत्रिका , फर्स्ट  इण्डिया  के भवँर एस चारण , , ऐ वन न्यूज़ के प्रणय विजय , सहित सभी  मीडिया एक्टिविस्टों , सोशल मीडिया एक्टिविस्टों की आक्रामक भूमिका होने से , बात जाँच शुरू होने , अलग अलग जांच होने , और फौजदारी मुक़दमा दर्ज होने तक पहुंची है  ,,  इस मामले में ,  मानवाधिकार एक्टिविस्ट , एडवोकेट अंसार इन्दोरी ,  एडवोकेट अख्तर खान अकेला  की रिपोर्ट पर , राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी प्रसंज्ञान लेकर , जांच की कार्यवाही शुरू की  है ,, , कहावत , है गांव बसे  नहीं और लुटेरे आ गए , वोह इस मामले में , चरितार्थ हो रहे  है , मृतका माया मरीज़ के पुत्र ,  पुनीत की शिकायत पर ,  जवाहर नगर थाने में गैर इरादतन हत्या  का मुक़दमा तो दर्ज हो गया है , लेकिन भाजपा के विधायकों , सांसद और सभी पार्टी के ज़िम्मेदार नेतृत्व की इस मामले में चुप्पी  गंभीर संकेत दे रही है , जबकि ,  इस मुक़दमे में लीपापोती के लिए कुछ नौसिखिये ,  क़ानून  के कथित जानकार सलाहकार बने है ,, पहले तो , खुद अस्पताल की तरफ से , महावीर नगर पुलिस को  ,, नर्सिंग कर्मियों के खिलाफ  ,,  लिखित रिपोर्ट दर्ज भिजवाई , ,खेर रिपोर्ट दर्ज नहीं ,हुई  समानांतर जाँच में रखी गयी है ,,  कोटा अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष मनोज गौतम ,  महासचिव पदम् गौतम के नेतृत्व में , पहले ही  ,  कोटा के वकीलों   को निर्देश दिया जा चूका   है  के वोह , इस संकट काल  में लोगों की  ज़िंदगियों का सौदा करने वालों ,  , दवाओं , ऑक्सीजन वगेरा की कालाबाज़ारी करने वालों की पैरवी नहीं करेंगे , इस तरह से कोटा के वकील तो ऐसे लोगों की पैरवी के खिलाफ है ,  लेकिन कथित नौसिखिये क़ानून विद , कुछ शुभचिंतक सेवानिवृत वगेरा वगेरा अब ,  अस्पताल के सलाहकार बन गए  है , वैसे यह न्यायिक सिद्धांत  है , के अनुसंधान हो , विचारण हो ,  दोषी  व्यक्ति को भी सफाई का पूरा मौक़ा मिलना चाहिए ,  इस मामले में भी पुलिस पूंछताछ के नाम पर , पूर्व में दर्ज अपराध में , गैर इरादतन हत्या और षड्यंत्र की अतिरिक्त धारा नहीं जोड़कर  भूल कर चुके  है ,, लेकिन अब सीधा , मृतका के पुत्र द्वारा दर्ज मुक़दमा , जिसमे गैर इरादतन हत्या का मुक़दमा है , उसकी मारक क्षमता कैसे खत्म की जाये , कैसे इस मुक़दमे को डिफ्यूज किया  जाये , कैसे इस मुक़दमे को कमज़ोर किया जाए , इस पर नौसिखिये क़ानून जानकारों का , चिंतन , मंथन शुरू हो गया है ,, मेडिकल नेग्लिजेंसी के मामले , सुप्रीमकोर्ट ने , एक मार्गदर्शन जारी किया है , जिसमे ,  किसी भी डॉक्टर के विरुद्ध मेडिकल नेग्लिजेंसी का मुक़दमा ,,  पुलिस अधीक्षक की सहमति के बाद ही दर्ज होगा , और उसका उच्च स्तरीय अनुसंधान होगा ,  लेकिन यह मुक़दमा मेडिकल नेग्लिजेंसी का नहीं है , में उन सलाहकारों को बताना चाहता हूँ , यह मुक़दमा ,  अब मृतका के पोस्टमार्टम , मृतका की एफ एस एल रिपोर्ट का नहीं रहा है ,  सीधे सीधे इक़बालिया जुर्म , इक़बालिया बयान के साथ ,  रिकॉर्ड के तहत स्वीकारित हो गया है  , इस मामले में डॉक्टर्स की लापरवाही नहीं है ,बल्कि जानबूझकर ,मेडिकल प्रोटोकॉल  के खिलाफ ,  आपात स्थिति में , दिए गए इंजक्शन खरीद के लाकर देने पर भी , मरीज़ से रुपया वसूल कर , उसे नहीं लगाने ,और इस बेईमानी पूर्वक , धोखाधड़ी भरे कृत्य , के कारण उसकी मोत होने का मामला है ,, इस  मामले में ,  इंजक्शन मंगवाकर , मरीज़ को ज़रूरत होने पर भी जीवन के लिए इंजक्शन की ज़रूरत होने पर भी , जानबूझकर ,नहीं लगाकर , गलत एन्ट्री कर , सिर्फ गुलुकोस लगाना और , उसी इंजक्शन को दूसरे मरीज़ को  ब्लेक में बेचने के बाद , यह तथ्य स्वीकार करने का मामला है ,, इसमें वार्ड के डॉक्टर पूरी तरह ज़िम्मेदार है , ,अस्पताल के प्रबंधक पूरी तरह ज़िम्मेदार है ,, उपहार सिनेमा मामले में , सुप्रीमकोर्ट ने साफ कहा है , मालिक मौके पर मौजूद नहीं था  , लेकिन लापरवाही से हुई आगजनी और इस आगजनी से हुई मौतों के लिए , उपहार सिनेमा के मालिक पूरी तरह से ज़िम्मेदार है ,  तो दोस्तों इस मामले , अख़बारों , मीडिया के दबाव में ,  फौजदारी मुक़दमा तो दर्ज हो गया , है ,, अब मांडोली का खेल शुरू नहीं हो , मान मुनव्वल का खेल शुरू नहीं हो ,, अनुसंधान में क्लीन चिट या  ढीलमपोल का खेल शुरू नहीं हो ,  एफ  एस  एल  जांच , पोस्टमार्टम नहीं होने के मामले में बहाने बाज़ी नहीं हो  ,  हर बिंदु पर , हर पहलु पर , निष्पक्ष , बारीकी से तथ्यात्मक जांच हो ,, यह ज़िम्मेदारी अब ,, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट ,, कोटा के दैनिक अख़बारों , खासकर , दैनिक भास्कर की फॉलोअप रिपोर्ट ,, अन्य दैनिक अख़बारों की फॉलोअप रिपोर्ट ,, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया की फॉलोअप रिपोर्ट से जुड़ गया है , मीडिया सतर्क रहा , इन्वॉल्व रहा , तो भाजपा नेताओं की चुप्पी हो , या फिर कोई भी दबाव हो , निष्पक्ष पुलिस अनुसंधान के साथ निष्पक्ष कार्यवाही को कोई नहीं रोक पायेगा ,, क्योंकि भारत में इस कोरोना गाइड लाइन के चलते , राजस्थान में इस कोरोना गाइड लाइन के चलते , हर निजी अस्पताल की निगरानी के लिए दो दो नोडल ऑफिसर लगाने , रेमडेसिविर इंजक्शन लगाने , उनका रिकॉर्ड संधारित करने , की विशिष्ठ गाइड लाइन , कलेक्टर , मुख्य चिकित्सा अधिकारी की कढ़ी निगरानी , ,के नियमों के बाद भी ,, इस तरह के मामले में , इंजक्शन महंगे इंजक्शन ,,  रेमडेसिविर मंगा कर ,भी , इंजक्शन छुपा कर , फ़र्ज़ी एन्ट्री इंजक्शन लगाने की करते हुए , सिर्फ गुलुकोस लगाने का यह मामला है ,, जिसके बाद महिला माया की मृत्यु भी हुई है , यह स्वीकारित रूप से देश भर का ,  सनसीखेज , मामला हो गया है , ,कोटा के लोगों की ही नहीं ,राजस्थान की जनता की ही नहीं , अब देश के सभी लोगों की निगाहें , इस मुक़दमे की  कार्यवाही , अनुसंधान , नतीजे पर रुकी है ,क्योंकि कोटा  के लोग , नीलू राणा मामले में , मिडिया कर्मियों के साथ मिलकर , दर्ज पुलिस मामले को ट्विस्ट कर खत्म करने के प्रयास फिर सी बी आई जांच में , मुक़दमे की दिशा बदलकर , गिरफ्तारियां , कुछ मीडिया कर्मियों की नौकरी से हटने का सच , यह कोटा देख चूका है , इसलिए अब  निष्पक्ष , निर्भीक , त्वरति समयबध्द ,, कार्यवाही का  सभी को इन्तिज़ार है ,, अख्तर खान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...