दैनिक भास्कर कोटा के डिकोय ऑपरेशन के बाद , कोटा हार्ट श्री जी हॉस्पिटल में , रेमडेसिविर इंजक्शन की जगह , गंभीर महिला मरीज़ ग्लूकोस लगाकर , इंजक्शन ब्लेक करने की घटना की धरपकड़ के बाद , पुलिस , प्रशासन , कथित लोगों के दबाव के बाद , आखिर , भास्कर , पत्रिका , फर्स्ट इण्डिया न्यूज़ चैनल , ऐ वन न्यूज़ चैनल सहित सभी अख़बारों ,, मिडिया एक्टिविस्टों के दबाव में , अस्पताल के डॉक्टर , मालिक संचालक , ज़िम्मेदारों के खिलाफ , आखिर गैर इरादतन हत्या का मुक़दमा दर्ज हो ही गया ,,,,, दैनिक भास्कर के सर्वपर्थम पहल के इस डिकोय ऑपरेशन के बाद , रेमडेसिविर इंजक्शन की ब्लेक मार्केटिंग पर लगाम कसी है , प्रशासन , मेडिकल ज़िम्मेदारों के कान खड़े हुए है , और कई मरीज़ों की जान जो इस तरह से खतरे में पढ़ सकती थी , उनको फायदा मिला है ,, भास्कर का यह डिकोय स्टिंग , निश्चित तोर पर , आरोपियों को सज़ा दिलवाने वाला , कोटा के अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों के इलाज में , घोर लापरवाही ,धोखाधड़ी को सतर्क कर , कई मरीज़ों की जान बचाने वाला साबित हुआ है ,, इसके लिए ,कोटा भास्कर के रिपोर्टर्स , सम्पादक सर्वेश शर्मा , इसमें शामिल डॉक्टर विजय सरदाना , पूरी टीम को बधाई ,, साथ ही , गैर इरादतन हत्या के मुक़दमे का दबाव बनाने में , पत्रिका , फर्स्ट इण्डिया के भवँर एस चारण , , ऐ वन न्यूज़ के प्रणय विजय , सहित सभी मीडिया एक्टिविस्टों , सोशल मीडिया एक्टिविस्टों की आक्रामक भूमिका होने से , बात जाँच शुरू होने , अलग अलग जांच होने , और फौजदारी मुक़दमा दर्ज होने तक पहुंची है ,, इस मामले में , मानवाधिकार एक्टिविस्ट , एडवोकेट अंसार इन्दोरी , एडवोकेट अख्तर खान अकेला की रिपोर्ट पर , राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी प्रसंज्ञान लेकर , जांच की कार्यवाही शुरू की है ,, , कहावत , है गांव बसे नहीं और लुटेरे आ गए , वोह इस मामले में , चरितार्थ हो रहे है , मृतका माया मरीज़ के पुत्र , पुनीत की शिकायत पर , जवाहर नगर थाने में गैर इरादतन हत्या का मुक़दमा तो दर्ज हो गया है , लेकिन भाजपा के विधायकों , सांसद और सभी पार्टी के ज़िम्मेदार नेतृत्व की इस मामले में चुप्पी गंभीर संकेत दे रही है , जबकि , इस मुक़दमे में लीपापोती के लिए कुछ नौसिखिये , क़ानून के कथित जानकार सलाहकार बने है ,, पहले तो , खुद अस्पताल की तरफ से , महावीर नगर पुलिस को ,, नर्सिंग कर्मियों के खिलाफ ,, लिखित रिपोर्ट दर्ज भिजवाई , ,खेर रिपोर्ट दर्ज नहीं ,हुई समानांतर जाँच में रखी गयी है ,, कोटा अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष मनोज गौतम , महासचिव पदम् गौतम के नेतृत्व में , पहले ही , कोटा के वकीलों को निर्देश दिया जा चूका है के वोह , इस संकट काल में लोगों की ज़िंदगियों का सौदा करने वालों , , दवाओं , ऑक्सीजन वगेरा की कालाबाज़ारी करने वालों की पैरवी नहीं करेंगे , इस तरह से कोटा के वकील तो ऐसे लोगों की पैरवी के खिलाफ है , लेकिन कथित नौसिखिये क़ानून विद , कुछ शुभचिंतक सेवानिवृत वगेरा वगेरा अब , अस्पताल के सलाहकार बन गए है , वैसे यह न्यायिक सिद्धांत है , के अनुसंधान हो , विचारण हो , दोषी व्यक्ति को भी सफाई का पूरा मौक़ा मिलना चाहिए , इस मामले में भी पुलिस पूंछताछ के नाम पर , पूर्व में दर्ज अपराध में , गैर इरादतन हत्या और षड्यंत्र की अतिरिक्त धारा नहीं जोड़कर भूल कर चुके है ,, लेकिन अब सीधा , मृतका के पुत्र द्वारा दर्ज मुक़दमा , जिसमे गैर इरादतन हत्या का मुक़दमा है , उसकी मारक क्षमता कैसे खत्म की जाये , कैसे इस मुक़दमे को डिफ्यूज किया जाये , कैसे इस मुक़दमे को कमज़ोर किया जाए , इस पर नौसिखिये क़ानून जानकारों का , चिंतन , मंथन शुरू हो गया है ,, मेडिकल नेग्लिजेंसी के मामले , सुप्रीमकोर्ट ने , एक मार्गदर्शन जारी किया है , जिसमे , किसी भी डॉक्टर के विरुद्ध मेडिकल नेग्लिजेंसी का मुक़दमा ,, पुलिस अधीक्षक की सहमति के बाद ही दर्ज होगा , और उसका उच्च स्तरीय अनुसंधान होगा , लेकिन यह मुक़दमा मेडिकल नेग्लिजेंसी का नहीं है , में उन सलाहकारों को बताना चाहता हूँ , यह मुक़दमा , अब मृतका के पोस्टमार्टम , मृतका की एफ एस एल रिपोर्ट का नहीं रहा है , सीधे सीधे इक़बालिया जुर्म , इक़बालिया बयान के साथ , रिकॉर्ड के तहत स्वीकारित हो गया है , इस मामले में डॉक्टर्स की लापरवाही नहीं है ,बल्कि जानबूझकर ,मेडिकल प्रोटोकॉल के खिलाफ , आपात स्थिति में , दिए गए इंजक्शन खरीद के लाकर देने पर भी , मरीज़ से रुपया वसूल कर , उसे नहीं लगाने ,और इस बेईमानी पूर्वक , धोखाधड़ी भरे कृत्य , के कारण उसकी मोत होने का मामला है ,, इस मामले में , इंजक्शन मंगवाकर , मरीज़ को ज़रूरत होने पर भी जीवन के लिए इंजक्शन की ज़रूरत होने पर भी , जानबूझकर ,नहीं लगाकर , गलत एन्ट्री कर , सिर्फ गुलुकोस लगाना और , उसी इंजक्शन को दूसरे मरीज़ को ब्लेक में बेचने के बाद , यह तथ्य स्वीकार करने का मामला है ,, इसमें वार्ड के डॉक्टर पूरी तरह ज़िम्मेदार है , ,अस्पताल के प्रबंधक पूरी तरह ज़िम्मेदार है ,, उपहार सिनेमा मामले में , सुप्रीमकोर्ट ने साफ कहा है , मालिक मौके पर मौजूद नहीं था , लेकिन लापरवाही से हुई आगजनी और इस आगजनी से हुई मौतों के लिए , उपहार सिनेमा के मालिक पूरी तरह से ज़िम्मेदार है , तो दोस्तों इस मामले , अख़बारों , मीडिया के दबाव में , फौजदारी मुक़दमा तो दर्ज हो गया , है ,, अब मांडोली का खेल शुरू नहीं हो , मान मुनव्वल का खेल शुरू नहीं हो ,, अनुसंधान में क्लीन चिट या ढीलमपोल का खेल शुरू नहीं हो , एफ एस एल जांच , पोस्टमार्टम नहीं होने के मामले में बहाने बाज़ी नहीं हो , हर बिंदु पर , हर पहलु पर , निष्पक्ष , बारीकी से तथ्यात्मक जांच हो ,, यह ज़िम्मेदारी अब ,, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट ,, कोटा के दैनिक अख़बारों , खासकर , दैनिक भास्कर की फॉलोअप रिपोर्ट ,, अन्य दैनिक अख़बारों की फॉलोअप रिपोर्ट ,, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया की फॉलोअप रिपोर्ट से जुड़ गया है , मीडिया सतर्क रहा , इन्वॉल्व रहा , तो भाजपा नेताओं की चुप्पी हो , या फिर कोई भी दबाव हो , निष्पक्ष पुलिस अनुसंधान के साथ निष्पक्ष कार्यवाही को कोई नहीं रोक पायेगा ,, क्योंकि भारत में इस कोरोना गाइड लाइन के चलते , राजस्थान में इस कोरोना गाइड लाइन के चलते , हर निजी अस्पताल की निगरानी के लिए दो दो नोडल ऑफिसर लगाने , रेमडेसिविर इंजक्शन लगाने , उनका रिकॉर्ड संधारित करने , की विशिष्ठ गाइड लाइन , कलेक्टर , मुख्य चिकित्सा अधिकारी की कढ़ी निगरानी , ,के नियमों के बाद भी ,, इस तरह के मामले में , इंजक्शन महंगे इंजक्शन ,, रेमडेसिविर मंगा कर ,भी , इंजक्शन छुपा कर , फ़र्ज़ी एन्ट्री इंजक्शन लगाने की करते हुए , सिर्फ गुलुकोस लगाने का यह मामला है ,, जिसके बाद महिला माया की मृत्यु भी हुई है , यह स्वीकारित रूप से देश भर का , सनसीखेज , मामला हो गया है , ,कोटा के लोगों की ही नहीं ,राजस्थान की जनता की ही नहीं , अब देश के सभी लोगों की निगाहें , इस मुक़दमे की कार्यवाही , अनुसंधान , नतीजे पर रुकी है ,क्योंकि कोटा के लोग , नीलू राणा मामले में , मिडिया कर्मियों के साथ मिलकर , दर्ज पुलिस मामले को ट्विस्ट कर खत्म करने के प्रयास फिर सी बी आई जांच में , मुक़दमे की दिशा बदलकर , गिरफ्तारियां , कुछ मीडिया कर्मियों की नौकरी से हटने का सच , यह कोटा देख चूका है , इसलिए अब निष्पक्ष , निर्भीक , त्वरति समयबध्द ,, कार्यवाही का सभी को इन्तिज़ार है ,, अख्तर खान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 मई 2021
आखिर , भास्कर , पत्रिका , फर्स्ट इण्डिया न्यूज़ चैनल , ऐ वन न्यूज़ चैनल सहित सभी अख़बारों ,, मिडिया एक्टिविस्टों के दबाव में , अस्पताल के डॉक्टर , मालिक संचालक , ज़िम्मेदारों के खिलाफ , आखिर गैर इरादतन हत्या का मुक़दमा दर्ज हो ही गया
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