आपका-अख्तर खान

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13 मई 2021

हर सिम्त सिसकियाँ है , मौतों का तांडव है ,, चीख पुकार है , बेबसी , लाचारी है ,, और इधर , लाशों के ढेर है , कई लाशें अंतिम संस्कार के लिए परिजन नहीं ले गए है , तो कई लाशें , गंगा में यूँ ही विसर्जित कर दी गयी है

 हर सिम्त सिसकियाँ है , मौतों का तांडव है ,, चीख पुकार है , बेबसी , लाचारी है ,, और इधर , लाशों के ढेर है , कई लाशें अंतिम संस्कार के लिए परिजन नहीं ले गए है , तो कई लाशें , गंगा में यूँ ही विसर्जित कर दी गयी है , क़ब्रिस्तानों में लाइने है , तो शमशानों में जगह नहीं है , सामूहिक , अंतिम संस्कार की कहानी शुरू हुई है ,, इन सब के बावजूद भी देश में काम नहीं हो रहा , सिर्फ सियासत , सियासत हो रही है , पार्टियां एक दूसरे को दोष दे रही हैं , हाईकोर्ट , सुप्रीमकोर्ट , केंद्र , और राज्य इस समस्या के समाधान के नाम पर , चिंतन कम , फैसले कम ,  फुटबाल खेल रहे  है , मेरे इस महान भारत के आम लोगों की यह दुर्गति होगी , ख्वाबों में भी नहीं सोचा था , आम लोग , इसलिए के जो उद्योपति है , वोह तो देश छोड़कर , विदेश में अटखेलियां खेल रहे है , नेता अपने सरकारी खर्च के चिकित्सकों से , स्पेशल ट्रीटमेंट से , खुद को महफूज़  किये हुए है ,, विश्व जानता है , जो  क्रूर होते है , उन्हें लाशों के ढेर पर रहम  नहीं आता ,, जो कुर्सी के लालची होते है , उन्हें , आपातकाल के वक़्त भी समस्या के समाधान की जगह , डेमेज कंट्रोल के लिए  किराए के आदमियों से , मुद्दों को भटकाने ,  खुद का सकरात्मक रुख बताने की कोशिशें होती है , बस इस माहौल को ही हम प्रलय , क़यामत कहते है ,, खेर देश तकलीफ में है  , सियासी लोग , तो सियासत कर रहे है , नफरत बाज़ नफरत फैला रहे है , डॉक्टर , केमिस्ट , दवा निर्माता , विक्रेता , उद्योगपति , कमाई कर रहे है ,, और आप   ,,  हम  ,   यानी आम जनता , कोई  कांग्रेस का ,कोई भाजपा का , , कोई प्रधानमंत्री का , कोई तृणमूल का , कोई सपा का , कोई बसपा का , तो की कम्युनिस्ट , कोई केजरी का गुणगान या फिर उनका अपमान कर रहे है ,, , , लेकिन हम एक जुट होकर इस सिस्टम के खिलाफ बगावत नहीं कर रहे हैं  , हम बटे हुए है , अब बिखरे हुए है , हम हिन्दू है , हम मुसलमान है , हम  कोंग्रेसी है , हम भजपाइ है ,,  और मज़े कोन  कर रहा है , गिनती के लोग , इस प्रलय में ,इस महामारी में  न तुम बचे , न में बचा हूँ , ना नफरत फैलाने वाला बचा है , ना ही नफरत के शिकार लोगों में से कोई बचा है , अमीर हो , गरीब  हो , हर जगह , इस महामारी की  आग ने ,  कई  परिवारों के चिरागों को छीन लिया है , लेकिन हमारा इस मेडिकल आपात काल  में भी , सियासत से मन नहीं भरा है ,  गुलामी से हम आज़ाद  नहीं हुए है ,  अपने अपने लोगों के हम पैरोकार बने है ,, देश  में ,  विश्व  स्तर पर कोरोना महामारी से निपटने में नाकाम रहने पर , केंद्र सरकार में मोदी के नेतृत्व की कढ़ी आलोचना हो रही है , ब्रिटेन में आलोचना हुई , भारत के डॉक्टर्स के आई  एम ऐ ने खुद इसकी आलोचना की ,  अनुपम  खेर सहित कुछ भाजपा के ही , विधायक ,सांसदों   सांसदों ने आलोचना की ,,  आम लोग , जिनमे गरीब ,  मध्यम वर्गीय लोग है , वोह भी आहत हुए और  उनका ,मोह भंग हुआ है  , कई लोग तो ऐसे भी है , जो  ,  खुद को अंधभक्त के रूप में प्रदर्शित कर , मरने मारने पर उतारू थे , आज वोह भी  विमुख  हो गए है ,, ऐसे में , जब देश को , पैकेज की मदद की ज़रूरत थी तब ,  कोविड वेक्सीन की बिक्री शुरू हुई ,, चंदाखोरी शुरू हुई , वेक्सीन के नाम पर सियासत , वेक्सीन के नाम पर मुनाफाखोरी , टेक्स वसूली शर्म की बात है  , ,ताज्जुब है ,के वेक्सीन जी एस टी टेक्स पर ,  निर्मला सीतारमण ,  वित्त मंत्री ,  सफाई देती है , के  जी एसटी हटाने से , क़ीमत और बढ़ेगी  क्योंकि रो मेटेरियल पर टेक्स अलग  है , अरे ज़िंदगियाँ बचाने की बात है ,, और केंद्र सरकार को टेक्स की पढ़ी है , फिर कुतर्क  किये जा रहे है , रो मेटेरियल पर भी टेक्स ,, ,यह टेक्स कोन  ले रहा है  , अमेरिका , पाकिस्तान में तो यह तो यह  टेक्स नहीं जा रहा , तो फिर माफ़ क्यों नहीं करते ,, फिर कुतर्क राज्यों को भी हिस्सा देंगे , अजीब कफनचोर है यह लोग , सरकारें कफ़न चोरी कर  रही  है , सेंट्रल विस्टा पर , करोड़ों करोड़ खर्च हो रहे है , वहां फोटोग्राफी , विडियोग्राफी पर पाबंदी है , पत्रकार इस बेवजह खर्च के मामले में कोई रिपोर्टिंग नहीं करते , सार्वजनिक  बहस नहीं करते , पार्टी प्रवक्ताओं काऊं काऊं नन्हीं  करते ,,  , दवाओं में , मशीनों में , जीवनदायी  मेडिकल प्रबंधन में पूरी तरह से सिस्टम फेल्योर है  ,  ,राज्य  भी अस्पतालों में लूट को नियंत्रित करने में विफल साबित हुए है , लेकिन अफ़सोस ऐसे माहौल में भी , आई टी सेल के ज़र खरीद गुलाम ,,  डेमेज कंट्रोल करने की कोशिशों में जुटे है  ,,  खुदा  का शुक्र है , इस बार , जमाती के नाम पर , कोरोना को   ,, हिन्दू  मुस्लिम के नाम से प्रसिद्ध नहीं किया जा सका , इस  बार  साम्प्रदायिकता , हिंन्दू मुस्लिम के नाम पर , केंद्र की विफलता को छुपाने की कोशिशें मीडिया और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट आई टी सेल के लिए  मुश्किल हो गयी , की मंदिर ,  मस्जिद  , हिन्दू , मुस्लिम के झगड़े में नहीं आया ,, तो फिर ये लोग शर्मी से , धर्मांतरण पर आ गए , तब भी  इनकी चली  तो फिर यह लोग ,  नफरतों की कोशिशों में जुटे , फिर भी  इनकी नहीं चली तो अब यह लोग , मिडिया की  , सोशल  मीडिया की ताक़त का फोकस  ,,  चीन  पर,,   इज़राइल  पर ,,बांग्लादेश पर ,  करने लगे है , ताज्जुब तो इस बात पर है , के राजस्थान में एक वर्ग , एक तब्क़ा वही सोची समझी   साज़िश के तहत ,  मदद के नाम पर , सवाल उठाने में , सरकार पर , वक़्फ़ बोर्ड की ग्रांट , मदरसा पैराटीचर्स के मानदेय  के मुद्दे उठाकर , भटकाने की कोशिशों में है , उन्हें पता नहीं , मदरसा बोर्ड का मानदेय बजट में पारित हुआ है , उन्हें पता नहीं वक़्फ़ बोर्ड की सम्पत्तियाँ सरकार के क़ब्ज़े में है ,,  कुछ किराए पर है , जिनका , करोड़ों करोड़ नहीं ,अरबों अरब रूपये की वसूली वक़्फ़ बोर्ड को सरकार से करना है  ,,   लेकिन वक़्फ़ बोर्ड आज़ाद नहीं  है ,  सरकारी गुलाम है  ,,  और इसलिए ,  कुछ  ग्रांट के नाम पर ,  वाहवाही  , जी हुज़ूरी से , घोषणाएं होती है , लेकिन ,  बुद्धिजीवी वर्ग की ऐसी बेवकूफियां ,,  ताज्जुब  ही  है ,,  आज हमे न   हिन्दू चाहिए , न मुसलमान चाहिए , न  मस्जिद , चाहिए न मंदिर चाहिए , हमे तो सिर्फ ज़िदंगी चाहिए , दवाएं चाहिए ,,  अच्छे डॉक्टर , नरसिंह  स्टाफ चाहिए , अस्पताल में बिस्तरे चाहिए , मुफ्त  नहीं तो सस्ता इलाज चाहिए ,,  निजी  अस्पतालों में ,,  लाखों  का बिल और लाशें सम्भलवाने  का सिलसिला  है  ,,  दवा नहीं  ,,  इंजक्शन नहीं  ,  वेक्सीन नहीं  ,,  बिस्तरे  नहीं  ,, ,वेंटिलेटर नहीं ,      ऑक्सीजन  नहीं  ,,,  एम्बुलेंस नहीं  ,,  डॉक्टर्स प्रॉपर नहीं  , जो  नंबर है ,  जो कंट्रोल रूम है  ,  उनके नंबर उठाते नहीं ,  बस बैठकें , बैठके , प्रधानमंत्री कार्यालय  के चिकित्सा एडवाइज़र कहते है , के तीसरी लहर आयेगी , खतरनाक  होगी , आना तय है  ,, फिर दूसरे दिन खंडन करते है  ,  आ भी सकती है  ,  कब  आएगी पता नहीं  , कैसे जायेगी पता नहीं  ,  अरे जब तुम्हे सब पता है , तो फिर इन  समस्याओं से  निपटने के लिए ,, कार्ययोजना तय्यार क्यों नहीं करते ,, जब तुम टेक्स ले रहे हो , जब तुम चंदा ले रहे हो , बजट में प्रावधान कर रहे हो , तुम्हारे पास प्रधानमंत्री ,  मुख्यमंत्री कॉरोन  फंड  है , वोह  जनता का ही तो रुपया हां ,क्या देश  को  ,  जनता  को यह जान्ने का हक़ नहीं के वोह रुपया  कहाँ किस किस मद में , कितना कितना खर्च हुआ , अगर इसको   छुपाया जाता है , तो वोह देश के साथ धोखा है , लेकिन यह सब क्या  जा रहा है , , लाशो का  नदी  में बहते आना , सियासत का विषय  नहीं , हिन्दू मुस्लिम या कांग्रेस , भाजपा का प्रश्न  नहीं ,  यह एक अफसोसनाक बात है , चिंतन का विषय है , के ऐसे हालात क्यों बन रहे है  , ऐसे हालातों से निपटने में सिस्टम ,   कहो  ,  केंद्र सरकार कहो  , राज्य सरकारें कहो  , विफल क्यों है   ,,  घरों में क़ैद करना ,  जुर्माने  लगाना , लाठियां चलाना ,  मुर्गा बनाना ,,  बेइज़्ज़त , करना , वाहनों को ज़ब्त करना , अगर इसका हल होता , तो जहाँ कफ्र्यू जैसे हालात होते है , वहां कोरोना नहीं  जाता ,,  एहतियात ज़रूरी है , लेकिन , रोटी रोज़ी भी ज़रूरी है  ,,सरकार की ज़िम्मेदारी का कर्तव्य निर्वहन भी ज़रूरी  है ,,  लूट ,  खसोट , लाशें ,  हाहाकार ,  क्या यह सरकारें है  ,  क्या  यह केंद्र सरकार  है ,,  क्या  यह प्रधानमंत्री , हैं ,क्या यह राष्ट्रपति है , , चिकित्सा मंत्री है  ,.,,  हमे खुद   को अपने  गिरेहबान में झांकना  है  ,  इस   विफलता ,  इस  नाकारापन के खिलाफ , मुखर होकर ,रचनात्मक विरोध की जगह हम  ,   अपनों  ,  अपनों  की वाहवाही  , अपनों  अपनों   की नाकामयाबी  विफलता ,  छुपाने के लिए आरोप प्रत्यारोप का नंगा खेल रहे   है ,,  ज़रा अपने धड़कते दिलों पर हाथ रख कर खुद  से पूंछो , ईश्वर , अल्लाह के इस अज़ाब के बाद भी अगर हम नहीं सुधर रहे , हर घर , हर परिवार में से कई ख़ास लोगों को खोने के बाद , या हो  क्वारेंटाइन , या फिर अस्तपाल  की तकलीफें ,, चिकित्सा सुविधा के अभाव में बिलखते ,तपते , मरते हुए लोगों को देखकर भी अगर  हम सबक़ नहीं लेते तो , फिर  इस देश  को , इस संस्कृति को ,हम और आप कभी नहीं बचा पाएंगे ,,  जो बचेंगे , वोह गुलाम सिर्फ गुलाम ही रहेंगे , ,,क्योंकि इस वक़्त , सिर्फ ईमानदारी से , सिस्टम के खिलाफ बगावत ही ,  जो  गलत है उसे ईमानदारी से गलत कहकर  टारगेट करके , सही  कहना  , लोगों के दबाव से , व्यवस्थाएं सुधरवाना , ,  दवाओं पर , मेडिकल उपकरणों पर , वेक्सीन पर , ऑक्सीजन  ,, अस्पताल सहित हर जगह ,  कैशलेस स्कीम  के तहत सरकारी बजट से   ,यह सब व्यवस्थाएं अगर हम  नहीं करवा पाये तो लानत है , ऐसी सरकार पर , लानत है , ऐसे हम वोटर्स पर , लानत है  ,ऐसे हमारे कथित सबसे बढे लोकतंत्र के रक्षकों  पर , लानत है  , हमारी लेखनी पर , लानत है  ,  हमारी टेक्स प्रणाली  पर , ,कल्याणकारी योजनाओं  के क्रियान्वयन  पर लानत है , शासक  तो क्रूर होते है , शासक तो हमे लढा कर , भड़का ,कर  , उकसा कर ,,  झूंठ और जुमले फैलाकर , प्रलोभन देकर , किराए के अफवाहबाज , नफरतबाज़ रखकर , खुद की कुर्सी बचाना चाहते है , लेकिन हम तो आम आदमी है ,, हमे तो देश बचाना , देश वासियों को बचाना है , इसलिए कहता हूँ ,, अपने ज़मीर को जगाओ ,, छोडो , कांग्रेस की बात ,छोडो भाजपा की बात , छोडो हिन्दू की बात ,छोडो मुस्लिम की बात , छोडो आई टी सेल; के किराये के लोगों की बात ,छोडो सत्ता का  डेमेज कंट्रोल सिस्टम के वेतनभोगियों की बात , आओ हम तुम मिलकर , देश की बात करे , देशवासियों की बात करें , एक होकर , फिर से इस देश को , टेक्स सिस्टम , खासकर ,मेडिकल एमरजेंसीं के मौके पर भी चिकित्सा की लूट ,, अव्यवस्था , हाहाकार के खिलाफ एक जुट हों , जब हमारे देश के संविधान में , हर शख्स को मुफ्त , चिकित्सा का अधिकार , संवैधानिक अधिकार है , तो फिर कहा गया वोह संवैधानिक अधिकार , अम्बेडकर वादी , हों , वकील हों , बुद्धिजीवी हों ,ओरिजनल पत्रकार हों , आम हिंदुस्तानी हो , क्यों मिलकर संघर्ष नहीं करते ,  ऐसे अधिकार के लिए ,, क्यों ऐसी सरकारों को  कुर्सी से नीचे नहीं गिराते , जो आम आदमी की हमदर्द कम , मुनाफाखोरों  ,जमाखोरों , अधिकतम मूल्यों के लुटेरों , उद्योगपतियों की हमदर्द है ,, आओ  हम सब एक बार फिर , एक आज़ाद हिंदुस्तान ,  एक सच्चे लोगों का हिंदुस्तान ,,  संविधान में लिखित अधिकारों के क्रियान्वयन का हिंदुस्तान बनाते है , ,, जो भी इस संघर्ष में विलेन बनकर  ,,  आये , उसे अहिंसा से , अपने अल्फ़ाज़ों से , लेखनी से , वोटिंग से ,,  सबक़ सिखाते है  ,, आओ ,, आओ ना ,,,,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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