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30 मई 2021

देश भर के बीस लाख वकीलों सहित राजस्थान के क़रीब अस्सी लाख वकीलों के समक्ष संकट है ,, वकीलों के कल्याण के नाम पर , राजस्थान सरकार ने दस करोड़ रूपये , और उसमे से पांच करोड़ रूपये दिए है

 देश भर के बीस लाख वकीलों सहित   राजस्थान के क़रीब अस्सी लाख वकीलों  के समक्ष संकट है ,, वकीलों  के कल्याण के नाम पर , राजस्थान सरकार ने दस करोड़ रूपये , और उसमे से पांच करोड़ रूपये दिए है , जबकि बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया , राजस्थान के वकीलों के लिए ,  रविवार को आयोजित बैठक में , एक करोड़ रूपये की आर्थिक पैकेज की घोषणा कर सकती है ,,  बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया के अध्यक्ष श्री मनन मिश्रा ने इस मामले में , मुझे टेलीफोन पर , इस संबंध में चर्चा के दौरान संकेत दिए ,, राजस्थान बार कौंसिल के सदस्य श्रीमाली जी ने इस मामले में प्रस्ताव रखा है ,जबकि बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के युवा संघर्षषील सदस्य डॉक्टर महेश शर्मा ने इस संबंध में बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया को राजस्थान के वकीलों के लिए , पांच करोड़ रुपये की राशि देने का लिखित आग्रह किया है , इसके पूर्व ,, निवर्तमान बार कौंसिल चेयरमेन शाहिद हसन भी , बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया , ,राज्य सरकार से वकील साथियों के लिए , विशिष्ठ पैकेज , आर्थिक मदद देने की मांग कर चुके है ,, शाहिद हसन के कार्यकाल में , जिला स्तर सहित सभी वकीलों में से आवेदक पात्र वकील साथियों को , थोड़ी ही सही , आर्थिक मदद उपलब्ध कराई ञही थी , इस बार ,बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के पास दुविधा है , एक तरफ तो वकील साथियों के वेलफेयर फंड की राशि है ,जिन पर , राशि जमाकर कर ,सदस्य बनने वालों का हक़ है , तो दूसरी तरफ , राजस्थान सरकार की आर्थिक मदद पैकज राशि है , जो उन्हें , वेलफेयर फंड के जो सदस्य नहीं है , उनमे वितरित करना है ,अजीब बात है ,,ना , इस बार , कोरोना लहर में ,सर्वाधिक वकील साथियों की मोत हुई है , जबकि अधिकतम लोग संक्रमित होकर लम्बे इलाज से पीड़ित रहे है ,, इधर , कोरोना , लोकडाउन , लगातार चलते रहने से ,, वकीलों के मुक़दमों के हालात ,बदतर है , और उन्हें आर्थिक तंगी के दौर से गुज़रना पढ़ रहा है , ऐसे में राजस्थान सहित देश भर के वकीलों को एक जुट होकर , केंद्र , राज्य सरकारों के हलक़ से , अब ,  उन्हें मजबूर कर , उनसे कल्याणकारी आर्थिक मदद ,, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट , और हर साल वकीलों के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की आर्थिक मदद के बजट प्रावधान को लागू करवाना हर हाल में ज़रूरी हो गया है ,,देश को आज़ाद कराकर ,, जनता द्वारा , जनता के लिए , जनता के शासन , के अधिकार दिलवाने वाले , वकील साथी , इन दिनों , खुद अपने अस्तित्व , अपनी मदद के लिए संघर्ष कर रहे हैं , हालात यह है के , उनकी मदद , उनके कल्याण की योजनाए , उनके सुरक्षा क़ानून , सियासी दांव पेंच में फंसे है , और देश के बीस लाख से भी ज़्यादा वकील एक जुट होने के बाद भी एक जुट नहीं है ,, , राजस्थान , दिल्ली ,कर्नाटक सहित अलग अलग राज्यों की कल्याणकारी घोषणाएं है , जबकि हर  राज्य की बार कौंसिल , केंद्र की बार कौंसिल ऑफ़ इन्डिया ,,  अलग अलग हाईकोर्ट ,, सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन याचिकाएं है , लेकिन नतीजा तो अभी सिफर है ,,,, दोस्तों , भारत विश्व का सबसे बढ़ा लोकतंत्र यहां अंग्रेज़ों के खिलाफ सबसे बढ़ा संघर्ष ,  सबसे ज़्यादा क़ुर्बानियां , वकील साथियों की रही , और आज देश ,विकसित , विकासशील , सुरक्षित ,, स्वाभिमानी स्थिति में है  ,,  लेकिन अब वकीलों की वोह ताक़त ,,  नहीं रही , के वोह खुद , खुद के लिए इंसाफ ले लें , खुद खुद के लिए , बिगड़ते हालातों में ,आर्थिक मदद हांसिल कर लें , बस  एक दूसरे पर आरोप , प्रत्यारोप , सियासत , बार कौंसिल , जिला बार एसोसिएशन के , चुनाव की सियासत से ज़्यादा कुछ ख़ास नहीं रहा , कुछ लोग जो वकील साथियों के कल्याण , उनके हक़ संघर्ष के प्रयासों में लगे भी  है , तो वोह  सभी प्रयासों के बावजूद भी ,,   बहुत ज़्यादा कामयाब नहीं हो पा रहे है ,,,  यह हालात तो तब है ,जब वकील लाठ साहब है ,   वकील सियासत में है , ऊँचे ओहदों में ,है ,सत्तापक्ष , विपक्ष के अधिकतम नेताओं की वकालत करते है ,उन्हें चुनाव लड़ाने के लिए उनके फॉर्म भरते है , चुनाव याचिकाएं लड़ते है ,,,  अफ़सोस नाक बात  यह है ,के बात बात में सो  मोटो संज्ञान लेकर , जनहित याचिकाओं में , निर्देश देने वाले जज ,  प्राथमिक स्तर पर वकील  रहे है ,,  राष्ट्रपति महोदय वकालत से जुड़े रहे है ,,देश  के क़ानून  मंत्री सहित कई ज़िम्मेदार मंत्री ,सांसद  ,विधायक   राजस्थान सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री ,  विधि मंत्री ,  वकील  व्यवसाय से जुड़े रहे है ,,  वोह खुद को  वकील कहते भी  है  ,,  कई तो सुप्रीमकोर्ट में आज भी वकालत करते है ,, लेकिन इन सब के बावजूद भी ,  वकीलों को कल्याण ,, न्याय  ,के नाम पर ,, बाबा जी के ठुल्लू से ज़्यादा कुछ  नहीं  मिल  पा रहा है ,  देश के वकील किस तरह से , अलग  अलग न्यायलय  परिसरों में पेड़ के  नीचे , तपते तीन के नीचे , बारिश के पानी से तालाब बने न्यायलय परिसरों में वकालत करते है ,,  देश जानता है ,, एक बार अलबत्ता , हाईकोर्ट ने , अदालतों के हालात सुधारने के , सरकारों को आदेश दिए , लेकिन वोह सब ठंडे बस्ते में  बंद है , जिला ,क़स्बा ,ताल्लुका स्तर पर अदालतों के क्या हालात है , अभी तक नहीं सुधरे है , कुछ जगह पर , थोड़ा बहुत सुधार हुआ है , तो वहां सियासत है , वकीलों के अदालत परिसर में बैठने की सही  जगह  भी नहीं दी गयी है , चैंबर तो दूर की बात है ,,, खेर वकील तो वकील है , पेड़ के नीचे भी खड़ा होकर वकालत कर लेगा , लेकिन अब यह जो महामारी है , यह जो कोरोना संक्रमण है ,, इससे तो वकील , उनके परिवारजन बिलकुल ही ,आर्थिक स्थिति के तंगी दौर में आ गए है , कोरोना के दोनों संक्रमण दौर में  हज़ारों वकील साथी ,  अस्पतालों  रहे , हज़ारों वकील साथियों को कोरोना ने लीर लिया , वर्तमान लहर में तो हर ज़िले में ,  वकील साथियों की रोज़  कोरोना से शहीद होने की खबरों ने ,  खून के आंसू रुलाये है , इन सब हालातों के बाद भी ,जिला बार एसोसिएशन ,राज्यों की  बार कौंसिल , बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया कोई  पुख्ता  कार्यवाही नहीं कर पाई है  ,, सिर्फ लेटर ,, लेटर , ई मेल , लेटर पी डी एफ ,वायरल और ,  वाट्सएप्प ग्रुप वीरों के खेल चल रहे है ,,  वकील साथियों को आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है ,, जब  आप सरकारी सिस्टम के वकील हो , सुप्रीमकोर्ट के जज , हाईकोर्ट के जज , विधि आयोग के चेयरमेन ,, सदस्य गण , राष्ट्रपति , विधि मंत्री , जो भी है , वोह पहले तो वकील है , उन्हें झकझोरने की ज़रूरत है , उनका घेराव करने की ज़रूरत है , कई मुख्यमंत्री खुद वकील है , उनका घेराव करने की ज़रूरत है , ,, प्रधानमंत्री हो , मुख्यमंत्री हो , सभी के कई मामलों की वकालत ,, वकील ही करते है , लेकिन कुछ वकील तो खुद कुछ बन जाते है ,कुछ कहते है ,, मुझे कहीं सेट कर दो , गवर्नर या किसी आयोग वगेरा में सेट कर  ,दो , जहाँ चाहो बनो , लेकिन संकट में फंसे तुम्हारे वकील साथियों के बारे में तो सोचो ,, संकट में फंसे तुम्हारे वकील साथियों के संरक्षण के बारे में तो सोचो ,, लेकिन  ऐसा नहीं हो पा रहा है ,क्यौंकि ,एक तरफ तो ,  सरकारों ने , कुछ चम्मचगिरि वकीलों को भूंगड़े बांटकर , उनकी ज़ुबानों पर ताले लगा दिए है , और वकीलों को कमज़ोर  करने के लिए , बार एसोसिएशन , राज्यों की बार कॉंसिलें , बार कौंसिल ऑफ़ इन्डिया के वकील साथियों के सदस्य होने , पदाधिकारी होने , और इन संस्थाओं के अलावा ,, कोई वकीलों की संस्था  नई नहीं बनेगी ,  इसका क़ानून , विधि नियम होने के बावजूद भी ,, राजनितिक संगठनों ने , वकीलों को बांटने के लिए , अलग , अलग राजनितिक दलों के ,, विधि प्रकोष्ठ बना दिए है , भाजपा का ,  कांग्रेस का , दूसरी राजनितिक पार्टियों का , ताल्लुका ,क़स्बा ,  जिला ,  राज्य , राष्ट्रिय स्तर पर ,  अलग संगठन बना है , जिसमे वकील साथी ही पदाधिकारी बने है ,, इतना तक तो चलो मान लिया , लेकिन अब तो हदें हो गयीं , सियासी पार्टियों के अग्रिम संगठनों , उनकी बैकबोन के रूप में काम करने वाले रिमोट कंट्रोलर के भी , वकीलों के ग्रुप बन गए है , इतना होता तब भी ठीक ,था  अब तो , जाति ,,  समाज , उपजातियों , वर्ग ,,विशिष्ठ जातियों के भी संगठन अलग अलग बन गए है ,और वकील साथी खुलकर , पदाधिकारी के  रूप में व्यवस्थाओं से जुड़े है ,  इस व्वयस्था से वकीलों की ताक़त , एक जुटता कहीं ना कहीं बिखर गयी ,,  सभी के अलग अलग स्वार्थ ,, विधारधारा , भाईसाहब होने से , वोह वकीलों के हक़ में आवाज़ उठाने की जगह ,, पतली गली से निकलने में ही अपनी भलाई समझ रहे है ,,  यह सब  बार कौंसिल व्यवस्थाओं की  खामियां है ,  वकीलों को तो कम से कम वकील रहने दें ,, कांग्रेस , ,भाजपा ,, , जातियां ,, समाज , उप जातियों में तो मत बंटने  दो , ऐसे सभी कुकुरमुत्ते संगठनों के खिलाफ कार्यवाही की जाकर , फिर से वकीलों के बारकोंसिल की डोर के साथ , बांधा जाए ,, फिर अगर  कांग्रेस , भाजपा , या दूसरे सियासी संगठनों के प्रकोष्ठ बने भी ,है तो अपनी  विचारधारा के मुख्यमंत्रियों , मंत्रियों , प्रधानमंत्री , ज़िम्मेदार केंद्रीय मंत्रियों की  आँखों  में आँखे डाल  कर   ,एक विशेष आर्थिक पैकेज की बात क्यों नहीं  करता , वकीलों के हक़ के लिए अपने ही नेताओं के खिलाफ बगावत क्यों नहीं करते ,  क्यों सभी सियासी पार्टियों के चुनावी एजेंडे में , लिखित वायदा , एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को , राज्य स्तर , और केंद्र स्तर पर लागु क्यों नहीं करते , एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागु करने में तो , राज्य सरकार हो ,,, केंद्र सरकार हो ,उसके ऊपर कोई वित्तीय भार भी नहीं पढ़ रहा , सिर्फ क़ानून गवर्मेंट प्रेस में छपवाने का खर्च , जो दो पांच हज़ार रूपये से ज़्यादा नहीं होगा , वोह में दे दूंगा ,, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट , लागू करवा दो , चलो , वकील तो दूसरे को मुक़दमे  लड़ते है , भ्रष्ट मंत्री हो ,  अधिकारी हो ,  चुनाव याचिकाएं हों , ,सियासी विधिक परार्मश हो , सब वकील ही करते है , ,लेकिन वोह  खुद कितने बेबस , लाचार है , के वकील साथियों का , खुद का अपना वेलफेयर फंड , खुद की व्यवस्था ,  लेकिन उस वेलफेयर फंड को लागु करने के लिए भी , वकील संगठन सरकारों के आगे गिड़गिड़ाते है , अगर वकील साथियों का संगठन एक सोसायटी है , तो उसे खुद का वेलफेयर फंड जो खुद वकील साथियों का रुपया है , उसमे सरकार से अनुमोदन की ज़रूरत कहाँ है ,, क्यों है , किस विधान में है , समझ नहीं आता ,, हाँ सरकार ,केंद्र सरकार , राज्य सरकारें , वकीलों के कल्याण संबंधित व्यवस्थाओं के लिए बजट में प्रावधान रखे , कुछ ने रखे भी है , राजस्थान सरकार में गहलोत सरकार ने पहले , वकीलों को जिला बार एसोसिएशन , बार कौंसिल के माध्यम से , किताबें दिलवाई थीं , जो व्यवस्था ,,  आरोपों का शिकार हो गयी , इस बार फिर राजस्थान सरकार ने वकीलों का वेलफेयर फंड का बिल तो अटका दिया , लेकिन बजट में ,  एडवोकेट संरक्षण क़ानून पर भविष्य में लागु करने की प्रक्रिया अपनाई , और वकीलों के कल्याण के लिए ,दस करोड़ रूपये दने  की स्वीकृति की , अब कोरोना हाहाकर में ,वकील साथियों का एक तरफ तो रोज़गार बंद , दूसरी तरफ , वकीलों की बिमारी का खर्च , तीसरे , कई वकील  साथियो का आकस्मिक निधन ,  ऐसे में उनके कल्याण के लिए , दस करोड़ , फिर पहली क़िस्त पांच करोड़ , फिर सशर्त , के जो वकील वेलफेयर फंड के सदस्य नहीं है , उन्हें इस अनुदान का लाभ  मिलेगा , कुछ अजीब सा लगता है , ,ऊंट के मुंह में जीरा लगता है ,, राजस्थान हो , दूसरे राज्य हों , केंद्र हो ,,  वकीलों को , नेताओं की आँखों में आँखे डालकर बात करना होंगी ,, यह कुकुरमुत्ते पार्टी प्रकोष्ठ , समाज ,जाति , उपजाति प्रकोष्ठ , को रुकवाना होगा ,, प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति , राज्यपाल  मुख्यमंत्रियों का घेराव् करना चाहिए ,, अपना  हक़ लेना चाहिए ,,   जबकि जिला स्तर की  बार एसोसिएशन , अपने अपने क्षेत्र के सांसद , विधायक ,  सियासी पार्टियों के जिला अध्यक्षों से ,  देश भर में , एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागु करने , और देश के हर वकील साथियों  को ,  कोरोना महामारी संकट में , अतिरिक्त मदद के रूप में ,, दो  लाख रूपये की एक्स ग्रेसिया मदद , जो  बीमार कोरोना ग्रस्त रहे है , इलाज के खर्चे सहित , पांच लाख रूपये , और जो ,  वकील साथी , कोरोना महामारी  से ग्रस्त होकर , हमे छोड़ कर चले गए है , उनके परिजनों को ,,  पचास लाख रूपये  प्रत्येक को ,  आर्थिक मदद दिलवाने के लिए ,  पत्र लिखवाये , प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति ,  केंद्रीय मंत्री , लोकसभा अध्यक्ष , , मुख्यमंत्रियों पर दबाव बनाये ,,  सुप्रीमकोर्ट में , एक जुट होकर  ,बिना किसी सियासत के , अनुशासित सिपाही की तरह से सिर्फ एक संयुक्त याचिका लगाएं , वहां से , मेंडेट लेकर , वकीलों के कल्याण , सुरक्षा , संरक्षण की व्यस्थाएं लागु करवाए , फिर भी अगर ऐसा न हो तो बीस लाख वकील सड़को  पर आये , सरकारों का तख्ता पलट करने के लिए आन्दोलन करे ,, लेकिन क्या ,  ,इधर , उधर बैचारिक , समाजिक रूप से बाँट दिए वकील , क्या फिर एक जुट हो पाएंगे , क्या फिर निस्वार्थ भाव से , भाईसाहबों  के रिमोट से आज़ाद होकर सिर्फ वकील हित में आगे आएंगे , यह वक़्त बताएगा , लेकिन वक़्त क्या करे , इससे बुरा वक़्त तो ,   कभी  वकील साथियों के लिए ,उनके परिवारों के लिए आर्थिक तंगी , बिमारी के हालातों की प्रताड़ना , और रोज़ , अलग अलग जगह कोरोना से मौतों का काल ,अल्लाह ,,ईश्वर करे ,अब कभी ना आये ,और अभी जो यह वक़्त आया है , यह वकील साथियों की पुरानी गलतियों ,,  पुराने विभाजन , को सुधारने के लिए , अलार्म है ,, एक जुट होकर फिर से , वकीलों के साथ , वकीलों के लिए संघर्ष कर , सरकारों को नाकों चने चबवाकर , इंसाफ दिलाने का  वक़्त है , तो आओ हम सब अपने ज़मीरों को टटोले और , मुक़ाबले पर आकर , वकील साथियों को , उनके कल्याण , उनके संरक्षण , उनकी आजीविका सहित सभी मामलों में , संघर्ष का बिगुल बजाये ,, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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