कोटा में , ऑक्सीजन सप्लाई आपूर्ति में लूट खसोट , ,जीवनदायी ,इंजक्शन ,रेमडेसिविर के रूपये वसूल कर , सिर्फ पानी का इंजक्शन लगाना , और फिर इन इंजक्शन को दूसरी जगह ब्लेक में बेचने की कार्यवाहियां , यक़ीनन , गैर इरादतन हत्या का अपराध है , लेकिन कोटा पुलिस , कोटा प्रशासन , इस मामले में ,अभी तक सजग और सतर्क नहीं हुआ है , यह भी यक़ीन नहीं के अलग अलग जांच एजेंसियां , ऐसे मोत बांटने वाले अस्पतालों के मालिकों के खिलाफ कोई कार्यवाही भी कर पाएंगे या नहीं , या फिर यूँ ही , जांच जांच , का खेल चलता रहेगा ,, ,,,, में शुक्रिया अदा करता हूँ , न्यूज़ चैनल , फर्स्ट इन्डिया के जगदीश क़ातिल कोटा के आक्रामक रिपोर्टर , भंवर एस चारण का ,, राजस्थान पत्रिका के पत्रकार का ,, जिन्होंने सच का पोस्टमार्टम कर , अस्पताल के खिलाफ भी , प्रशासन को जांच के लिए मजबूर किया ,वर्ना गंभीरतम , गैर इरादतन हत्या जैसे मामले के अपराध के बावजूद भी , इस मामले को सामान्य खबरों की तरह , प्रकाशित किया जा रहा था , कोई इन्वेस्टिगेशन खबर नहीं बनाया , भास्कर , मृतका माया के पुत्र तक पहुंचा तो उसके पुलिस के पास नंबर ही , गलत बताये जा रहे है , ताज्जुब है , आज कोटा के पुलिस अधीक्षक खुद डॉक्टर , यानी डॉक्टर विकास पाठक है , वोह मरीज़ों की मोत की गंभीरता को समझते है , दवाओं , इलाज व्यवस्स्था का ज्ञान रखते है , उनके नेतृत्व में , जांच अधिकारी को मार्गदर्शित होकर , निष्पक्ष , निर्भीक रूप से , अस्पताल संचालक , मालिक , वार्ड में तैनात डॉक्टर , वहां तैनात नोडल ऑफिसर , कलेक्टर को प्राप्त मार्गदर्शन , उसकी पालना , मुख्य चिकित्सा अधिकारी ,या अधीनस्स्थ नियुक्त अधिकारीयों की , उक्त इंजक्शन के रिकॉर्ड संधारण , में लापरवाही की भूमिका , और अस्पताल के आई सी यू वार्ड में सरकार के मार्गदर्शन के बाद भी , सी सी टी वी कैमरे क्यों नहीं लगाए , इसकी जांच होकर , मुक़दमे में गंभीर धारायें जोड़कर , कार्यवाही तो होना ही चाहिए ,, लेकिन एक बात सुन लोग , बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का
जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला,, कमोबेश ,, इस गंभीर मामले की जांच भी , इसी तर्ज़ पर अब तक आगे बढ़ी है ,,, एक तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता ,, उनके मार्गदर्शन , निर्देश , हर हाल में , मरीज़ों की जान बचाने वाले है , पारदर्शिता के मार्गदर्शन है ,, अस्पतालों में सी सी टी वी कैमरे आई सी यु कोविड पेशेंट के लिए ज़रूरी है ,, रेमडेसिविर जैसे जीवन रक्षक इंजक्शन की सप्लाई , आपूर्ति , का रिकॉर्ड संधारण की ज़िम्मेदारी ज़िलों के कलेक्टर्स को विशेष मार्गदर्शन के साथ , ,दी गयी ,, इंजक्शन की आपूर्ति डिमांड पर हुई , लेकिन निर्देश थे , एन्ट्री के , कैसे लगाए जायेंगे , इंजक्शन की शीशी रिकॉर्ड में रखी जायेगी ,, एन्ट्री डॉक्टर के ज़रिये होगी , डॉक्टर की उपस्थिति में ही इंजक्शन लगेंगे , और अस्पताल संचालक ,प्रबंधन इस मामले में ,विशेष निगरानी रखेंगे , अन्यथा वोह ज़िम्मेदार होंगे , इन मामलों में , चिकित्सा बेईमानी ,, लापरवाही , मनमानी ,के लिए भारतीय दंड संहिता के तो क़ानून है , लेकिन महामारी अधिनियम में भी विशिष्ठ प्रावधान है ,, , खेर कोटा हार्ट हॉस्पिटल में दो लोगों की मोत , इंजक्शन की जगह पानी लगाने से हुई , डॉक्टर , मालिक , प्रबंन्धन जिनकी ज़िम्मेदारी , मरीज़ों के इलाज की थी , ,वोह अभी तक अभियुक्त नहीं बनाये गये है , उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है , इस पर , कलेक्टर की जांच , फिर मुख्य चिकित्सा अधिकारी की जांच , और फिर , अख़बारों में बयान बाज़ी जांच करवाएंगे , रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजेंगे , अरे यह सब राज्य सरकार को बदनाम करने की अधिकारीयों की साज़िश से कम कुछ नहीं , जब कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक , मुख्य चिकित्सा अधिकारी , दूसरे अधिकारी ,, इस मामले में कार्यवाही के लिए अधिकृत है , तो फिर राज्य सरकार को बदनाम करने की साज़िश क्यों ,, अस्पतालों में , सरकार ने तो व्यवस्था बनाने के लिए , दो नोडल ऑफिसर कलेक्टर से कहकर लगवाए थे , वोह क्यों सोते रहे , उनके खिलाफ भी कार्यवाही होना चाहिए ,, कोटा में , इंजक्शन , चिकित्सा लापरवाही , मनमानी के कारण , बेहिसाब मौतें हुई है , सुधा हॉस्पिटल में भी ,, बेड , आई सी यू देने , नहीं देने , वायदा करने , और खुद रिश्तेदार का बेड अपने दूसरे रिश्तेदार के लिए खाली करवाकर , रिश्तेदार को भर्ती करवाने की कोशिशों के बावजूद भी , यह खाली बेड दूसरे मरीज़ को बेच देना ,, और ज़रूरत मंद मरीज़ की मोत हो जाना , हत्या से कम अपराध नहीं है ,, कोटा में , एस फ़ारूक़ी पत्रकार , को जीवन रक्षक ,रेमडेसिवीर इंजक्शन लगना थे , बढे जतन से , छः इंजक्शन लगवाए , , लाखों का बिल भुगतान किया , फिर भी बेहतर स्थिति होने के बाद भी , उनकी अकाल मोत हो गयी , ऐसे सैकड़ों लोग है , जिनकी उनके परिजन , लाखों रूपये खर्च के बाद भी , अकाल मोत के इलज़ाम लगाते है ,, सभी चिकित्सक लुटेरे नहीं होते , लेकिन कुछ तो लुटेरे होते है , यह प्रशासन भी जानता है , सरकार भी जानती है , लेकिन उनके सम्पर्क , इतने बढे , इतने मज़बुत होते है , के वोह रिश्तेदारों के इलाज के नाम पर , विशेष ध्यान के नाम पर , बिलिंग में कमी के नाम पर , प्रभावशाली लोगों से अपने आप छुपवाने की कोशशों में अक्सर कामयाब रहते है ,,, अभी कोटा हार्ट , सिर्फ कोटा हार्ट नहीं , दिल्ली से , आकर कोटा कोटा में रहकर , इतना बढ़ा साम्राज्य स्थापित करना , पार्टनरी फिर , विवाद के बाद , अलग होना , फिर , कोटा की अधिकतम , जांचों के लिए मशीने लगाकर ,, एक छत्र राज स्थापित करना , मामूली बात नहीं , खेर कामयाबी मेहनत से भी होती है,, ,लेकिन अभी , कोरोना काल में ,, इंजक्शन के नाम पर पानी के इंजक्शन लगाना तो स्वीकृत सबूत है ,, सरकार को , कलेक्टर को , पुलिस अधीक्षक को , कोटा के सांसद , लोकसभा अध्यक्ष को , कोटा में मंत्री , विधायकों को , नेताओं को , पत्रकारों , दैनिक अख़बारों के स्थानीय सम्पादकों को ,, प्रभावशाली बुद्धिजीवियों को , इस मामले में नैतिकता दिखाना होगी , लोकसभा अध्यक्ष के ग्रह ज़िले में , भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले , कोटा ज़िले में , निजी अस्पतालों में , महंगे बिल वसूल कर भी , इंजक्शन के नाम , पर पानी लगा देना , और फिर ऐसे अपराधियों का लीपापोती कर , जांच के नाम पर , ,खामोश रहना , मदन दिलावर तो हर मामले में बोलते है , धरना देते है , उनकी चुप्पी क्यों है , यह भी एक प्रश्न है ,, कहने को तो जांच हो रही है , लेकिन जिस धीमी गति से , जिस मार्गदर्शन से यह जांच हो रही है , पूत के पाँव पालने में नज़र आ रहे है ,, ईश्वर करे , अल्ल्ह करे , जांच के नाम पर ,, मेरा यह लीपापोती का अंदेशा ग़लत साबित हो , दोषी ज़िम्मेदार चिकित्सको ,, मालिकों के खिलाफ भी गिरफ्तारी , उनके अस्पताल को सीज़ क्ररने , लाइसेंस केंसिल करने ,, और उनका नेशनल मेडिकल कौंसिल में डॉक्टर का लाइसेसं भी निरस्त करवाने की कार्यवाही होना ही चाहिये , कोटा में सुधा हॉस्पिटल , कोटा हार्ट , सहित सभी दूसरे हॉस्पिटल , जो कोविड के लिए अधिकृत थे ,वहां मरने वाले , सभी मरीज़ों के इंजक्शन ,, इलाज की ऑडिट जांच हो , मरने वाले जो मरीज़ है , उन्हें जो इंजक्शन लगाने के रिकॉर्ड संधारित किये गए है , उनका प्रोटोकॉल के हिसाब से , एलॉटमेंट , इंजक्शन लगाना , उसकी वीडोग्राफी या सी सी टी वी कैमरे में आना ,, इंजक्शन लगाने की एन्ट्री में नरसिंह स्टाफ की मौजूदगी के साथ डॉक्टर की उपस्थिति , डॉक्टर का वेरिफिकेशन , ज़िम्मेदारी , मालिक की ज़िम्मेदारी ,सभी मुख्य बिंदुओं पर जांच होना चाहिए , , ऐसे दोषी लोगों के अस्पतालों के लाइसेसं भी निरस्त हो , इन्हे गैर इरादतन हत्या के इलज़ाम में भी गिरफ्तार किया जाए , और ऐसे चिकित्सा के नाम पर , धब्बे बने , आरोपित लोगों के खिलाफ जांच साबित होने , पर ,, इनका मेडिकल कौंसिल से , हमेशा के लिए , डॉक्टर का लाइसेसं भी निरस्त करवाने की कार्यवाही हो ,,फिर चाहे यह दूसरे डॉक्टर्स की तरह पार्टी की प्रवक्ता गिरी करते फिरें , लेकिन इलाज के नाम पर तो लूट नहीं करे ,, लेकिन क्या ऐसा मुमकिन है , क्या कोटा शहर के पुलिस अधीक्षक , डॉक्टर के होने पर भी जांच में बारीकियों पर ध्यान जाएगा , क्या लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कोटा ग्रह ज़िले में , गंभीर कार्यवही होगी , क्या बात बात पर बोलने वाले , पूर्व मंत्री मदन दिलावर , कुछ बोलेंगे ,, कांग्रेस के मंत्री शान्तिधारीवाल ने तो जाँच शुरू करवा दी है , प्रशासनिक , , चिकित्स्कीय जांच हो रही है , लेकिन वोह जांच , ऐसे लोगों को बचाने वाली , लीपापोती होने वाली , है ,, या सही है , इसकी मॉनिटरिंग , अख़बारों , सम्पादकों , रिपोर्टर्स , न्यूज़ चेनल्स की निष्पक्षता , निर्भीकता के साथ , देश की लोकसभा के कोटा सांसद अध्यक्ष ओम बिरला , भाजपा विधायक संदीप शर्मा ,, मदन दिलावर , कल्पना देवी , सहित भाजपा संगठन , , प्रबुद्ध बुद्धिजियों , समाज सेवियों की भी ,, है , वर्ना लोग रोज़ मरते है , रोज़ जांचें होती है , , रोज़ मुक़दमे दर्ज होते है , किसी में एफ आर लगती है , किसी में कुछ लोगों के नाम निकाल दिए जाते है ,किसी में , कुछ लोगों के अपराध को कम कर दिया जाता है ,, अपराधियों को गवाह बना लिया जाता है,, कुछ मामलों में गिरफ्तारियां भी होती है , अधिकारीयों की , चिकित्सकों की जांचों में भी , क्लीन चिट दे दी जाती है , मामूली सी चेतावनी दे दी जाती है , कभी कठोर कार्यवाही भी हो जाती है , लेकिन इंजक्शन के नाम पर , पानी लगाने के स्वीकृत तथ्य के बाद अब इस मामले , जितनी कार्यवाही हुई , इतनी पर ही , बात सिमट जाएगी , या फिर , गंभीर क़दम उठाकर , ऐसे सबक़ वाली जांच ,, ऐसी रिपोर्ट , ऐसी कठोर निष्पक्ष कार्यवाही होगी , जो कोटा के निजी चिकित्सालयों , चिकित्सकों , नरिसंह कर्मियों के लिए ही नहीं ,, देश के हर अस्पताल , हर चिकित्सा से जुड़े शख्स के लिए इतिहास बन जाए ,, वैसे हाईकोर्ट , सुप्रीमकोर्ट को भी ऐसे मामलों में , मॉनिटरिंग करना चाहिए , जांचों रिपोर्टों का पोस्टमार्टम करना चाहिए ,, मानवाधिकार आयोगों को भी ऐसे मामले में , निगरानी रखकर , दोषी लोगों को सज़ा दिलवाना चाहिए ,, कवि दुष्यंत के इस शेर के साथ में , खत्म करता हूँ ,,, “सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 मई 2021
कोटा में , ऑक्सीजन सप्लाई आपूर्ति में लूट खसोट , ,जीवनदायी ,इंजक्शन ,रेमडेसिविर के रूपये वसूल कर , सिर्फ पानी का इंजक्शन लगाना , और फिर इन इंजक्शन को दूसरी जगह ब्लेक में बेचने की कार्यवाहियां , यक़ीनन , गैर इरादतन हत्या का अपराध है
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