आपका-अख्तर खान

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03 मई 2021

और बाएं हाथ (में नामए आमाल लेने) वाले

 और बाएं हाथ (में नामए आमाल लेने) वाले (अफ़सोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं (41)
(दोज़ख़ की) लौ और खौलते हुए पानी (42)
और काले सियाह धुएँ के साये में होंगे (43)
जो न ठन्डा और न ख़ुश आइन्द (44)
ये लोग इससे पहले (दुनिया में) ख़ूब ऐश उड़ा चुके थे (45)
और बड़े गुनाह (शिर्क) पर अड़े रहते थे (46)
और कहा करते थे कि भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी और हडिडयाँ (ही हडिडयाँ) रह जाएँगे (47)
तो क्या हमें या हमारे अगले बाप दादाओं को फिर उठना है (48)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगले और पिछले (49)
सब के सब रोजे़ मुअय्यन की मियाद पर ज़रूर इकट्ठे किए जाएँगे (50)

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