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01 मई 2021

और जिस कि़स्म के परिन्दे का गोश्त उनका जी चाहे (सब मौजूद है

और जिस कि़स्म के परिन्दे का गोश्त उनका जी चाहे (सब मौजूद है) (21)
और बड़ी बड़ी आँखों वाली हूरें (22)
जैसे एहतेयात से रखे हुए मोती (23)
ये बदला है उनके (नेक) आमाल का (24)
वहाँ न तो बेहूदा बात सुनेंगे और न गुनाह की बात (25)
(फहश) बस उनका कलाम सलाम ही सलाम होगा (26)
और दाहिने हाथ वाले (वाह) दाहिने हाथ वालों का क्या कहना है (27)
बे काँटे की बेरो और लदे गुथे हुए (28)
केलों और लम्बी लम्बी छाँव (29)
और झरनो के पानी (30

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