यह वही रवीश कुमार हैं जिन्हें मोदी भक्त पानी पी पी के गालियां देते हैं और यहां तक उपमा दे देते के टुकड़े टुकड़े गैंग के सदस्य हैं। परंतु आज जब रोहित सरदाना की असमय मृत्यु हो जाती है तो "आज तक" की खामोशी और उसके बाद रवीश कुमार का बोलना, यह समय की ही मांग नहीं अपितु सच्चाई है। चैनलों की टीआरपी की लड़ाई और पैसा लेकर मोदी भक्ति दिखाना यह दूसरा पहलू है, परंतु आज एक उभरते हुए पत्रकार पर आई आपदा ने पूरे पत्रकार जगत को झकझोर कर रख दिया है। ऐसे में रवीश कुमार का पत्रकारों के पक्ष में खड़ा होना सो फ़ीसदी सही है। आज कोरोना के कहर से देश भर में हाहाकार मचा है और हजारों लोगों के बीच सैकड़ों पत्रकार भी इस कोरोना काल में अपनी आहुति दे चुके हैं ऐसे में सरकार को जिम्मेदारी के साथ आगे आकर मदद करनी ही चाहिए क्योंकि मदद से ही परिवार फिर खड़ा होता है। किसी के जाने से दुनिया खत्म नहीं हो जाती पर रोहित सरदाना की दो छोटी-छोटी बेटियां और पत्नी उन्हें भी लंबा जीवन व्यतीत करना है। ऐसे में बिना धन के कुछ भी संभव नहीं है और इस मदद की मुहिम में यदि पत्रकार बंधु भी सदाशयता दिखाएं तो इससे अच्छी और कोई बात नहीं हो सकती।
*सुबोध जैन*
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