सूरए अर रहमान मक्का में नाजि़ल हुआ और इसमें अठहातर (78) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
बड़ा मेहरबान (ख़ुदा) (1)
उसी ने क़ुरआन की तालीम फ़रमाई (2)
उसी ने इन्सान को पैदा किया (3)
उसी ने उनको (अपना मतलब) ब्यान करना सिखाया (4)
सूरज और चाँद एक मुक़र्रर हिसाब से चल रहे हैं (5)
और बूटियाँ बेलें, और दरख़्त (उसी को) सजदा करते हैं (6)
और उसी ने आसमान बुलन्द किया और तराजू (इन्साफ़) को क़ायम किया (7)
ताकि तुम लोग तराज़ू (से तौलने) में हद से तजाउज़ न करो (8)
और ईन्साफ़ के साथ ठीक तौलो और तौल कम न करो (9)
और उसी ने लोगों के नफे़ के लिए ज़मीन बनायी (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 अप्रैल 2021
उसी ने क़ुरआन की तालीम फ़रमा
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