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06 अप्रैल 2021

और वह तो क़ाबिले मलामत काम करता ही था और आद की क़ौम (के हाल) में भी निशानी है हमने उन पर एक बे बरकत आँधी चलायी

 और वह तो क़ाबिले मलामत काम करता ही था और आद की क़ौम (के हाल) में भी निशानी है हमने उन पर एक बे बरकत आँधी चलायी (41)
कि जिस चीज़ पर चलती उसको बोसीदा हडडी की तरह रेज़ा रेज़ा किए बग़ैर न छोड़ती (42)
और समूद (के हाल) में भी (क़ुदरत की निशानी) है जब उससे कहा गया कि एक ख़ास वक़्त तक ख़ूब चैन कर लो (43)
तो उन्होने अपने परवरदिगार के हुक्म से सरकशी की तो उन्हें एक रोज़ कड़क और बिजली ने ले डाला और देखते ही रह गए (44)
फिर न वह उठने की ताक़त रखते थे और न बदला ही ले सकते थे (45)
और (उनसे) पहले (हम) नूह की क़ौम को (हलाक कर चुके थे) बेशक वह बदकार लोग थे (46)
और हमने आसमानों को अपने बल बूते से बनाया और बेशक हममें सब क़ुदरत है (47)
और ज़मीन को भी हम ही ने बिछाया तो हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं (48)
और हम ही ने हर चीज़ की दो दो कि़स्में बनायीं ताकि तुम लोग नसीहत हासिल करो (49)
तो ख़ुदा ही की तरफ़ भागो मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ़ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ (50)
और ख़ुदा के साथ दूसरा माबूद न बनाओ मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ़ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ (51)
इसी तरह उनसे पहले लोगों के पास जो पैग़म्बर आता तो वह उसको जादूगर कहते या सिड़ी दीवाना (बताते) (52)
ये लोग एक दूसरे को ऐसी बात की वसीयत करते आते हैं (नहीं) बल्कि ये लोग हैं ही सरकश (53)
तो (ऐ रसूल) तुम इनसे मुँह फेर लो तुम पर तो कुछ इल्ज़ाम नहीं है (54)
और नसीहत किए जाओ क्योंकि नसीहत मोमिनीन को फ़ायदा देती है (55)
और मैने जिनों और आदमियों को इसी ग़रज़ से पैदा किया कि वह मेरी इबादत करें (56)
न तो मैं उनसे रोज़ी का तालिब हूँ और न ये चाहता हूँ कि मुझे खाना खिलाएँ (57)
ख़ुदा ख़ुद बड़ा रोज़ी देने वाला ज़ोरावर (और) ज़बरदस्त है (58)
तो (इन) ज़ालिमों के वास्ते भी अज़ाब का कुछ हिस्सा है जिस तरह उनके साथियों के लिए हिस्सा था तो इनको हम से जल्दी न करनी चाहिए (59)
तो जिस दिन का इन काफि़रों से वायदा किया जाता है इससे इनके लिए ख़राबी है (60)

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