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06 अप्रैल 2021

भाजपा और भाजपा से जुड़े लोगों ने , देश में विश्व के सबसे बढ़े लोकतंत्र को तमाशा बना दिया है , विधायक खरीदना , सरकारें गिराना , इस्तीफे दिलवाना , जांच एजेंसियों का इस्तेमाल ,, शर्मनाक होता जा रहा है

 भाजपा और भाजपा से जुड़े लोगों ने , देश में विश्व के सबसे बढ़े लोकतंत्र को तमाशा बना दिया है , विधायक खरीदना , सरकारें गिराना ,  इस्तीफे दिलवाना , जांच एजेंसियों का इस्तेमाल ,, शर्मनाक होता जा रहा है , लेकिन खुद के ही प्रत्याक्षी लादूलाल पीतलिया , की मुख्यमंत्री राजस्थान को दबाव की शिकायत , एजेंसियों के  दुरुपयोग, धमकियों की शिकायत , ऑडियो में मजबूरी के बाद नामांकन वापसी और फिर , इन सब हक़ीक़त से इंकार , लोकतंत्र का मज़ाक़ नहीं तो क्या है  ,, राजस्थान में पीतलियाँ ने   खुलेआम मीडिया के सामने इशारों ही इशारों में जो कहा ,सब जानते है , ऑडियो वाइरल  टेलीफोनिक बातें , सभी ने सुनी है ,, अब श्रीमान जी कहते है , मुख्यमंत्री को लिखा पत्र मेरी राइटिंग में नहीं है , उन्होंने यह नहीं कहा के मेने नहीं लिखा , किसी भी तथ्य से इंकार भी नहीं किया ,, ऐसे , में राजस्थान में मुक़दमा दर्ज किया जाकर , ऐसे तथ्यों  की ,, ऐसे ऑडियो की वॉइस सेम्पलिंग के बाद ,, जांच ज़रूरी हो गयी है , जिसमे पत्र की एफ एस एल , कहाँ से पत्र को भेजा गया  ,  मीडिया में शोर शराबे के बाद अब तक खंडन क्यों नहीं किया गया ,, ऑडियो में जो तथ्य हैं , उनकी जांच ,, पितलिया , उनके पुत्र , संबंधित लोगों के सभी मोबाइल की कॉल डिटेल्स और उन पर एक हफ्ते की अवधि में की गयी बात चीत पर ज़रूर , जांच होना ही चाहिए ,, देश को सच पता लगना चाहिए , पितलिया ,, का पत्र किसकी राइटिंग में है , वोह मिडिया में खंडन करने क्यों नहीं आये ,, खुद के ऑडियो से क्यों मुकर रहे है ,कर्नाटक  छापों की बात पर क्यों गोल मोल है , अगर राजस्थान सरकार इस मामले में , ईमानदारी से जांच कराये  तो देश के बढे नेताओं सहित कर्नाटक के कई मंत्री , अफसर , मुख्यमंत्री ,, भाजपा के वरिष्ठ नेता ,, देश के लोकतंत्र का गला घोंटने के इलज़ाम में निश्चित तोर पर जेल में होंगे , लेकिन ,, क्या करें , बस , चुनाव में आमने सामने और फिर वही , एक जुटता , , एक साथ , एक रिवायत सी बन गयी है ,,
यूँ तो पिछले कुछ सालों से , विश्व का सबसे बढ़ा लोकतंत्र ,,, भारत , लोकतान्त्रिक मूल्यौं के संरक्षण में , पूर्ण रूप से असफल रहा है ,, हर तरफ त्राहि त्राहिमाम है ,, लेकिन राजस्थान की सहाड़ा विधानसभा सीट पर ,, भाजपा के बागी प्रत्याक्षी , लादूलाल ,, को जिस तरह से , नामांकन वापसी के लिए मजबूर किया , प्रत्याक्षी लादूलाल , ने राजस्थान सहाड़ा विधानसभा सीट से , नामांकन तो वापिस ले लिया ,, लेकिन लादूलाल ने जिस तरह के खतरे की आशंकाए जता ,कर  ,,आयकर , ई डी , वगेरा के दुरूपयोग का डरावा बताकर ,, मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार को पत्र लिखकर ,, गुहार लगाई है , उनके पत्र के तथ्यों के समर्थन में , वीडियो लगातार वाइरल हो रहे है ,,, उससे तो इस लोकतंत्र की धज्जियां उड़ गयी है ,  अफ़सोस इस  बात पर है , के इतने गंभीर मामले में ,, राजस्थान के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने पर भी , मुख्यमंत्री के निर्देश पर , लोकतंत्र की हत्या का थाने पर मुक़दमा दर्ज नहीं हुआ है , कोई एस ओ जी ,, विशिष्ठ जांच शुरू नहीं हुई है , ऑडिओ वायरल मामले में , और आरोपों की जाँच की तस्दीक़ के लिए ,, लादूलाल के बयान लेकर उनके , मोबाईल ,या दूसरे साथियों के मोबाइलों पर आ रहे , फोन कॉल्स , उनकी वॉइस रिकॉर्डिंग , उनके तथ्य की जांच नहीं की गयी है ,, भाजपा दल के नेता जो ,, देश के प्रधानमंत्री ,हैं  उन्होंने , इस गंभीर घटना , शिकायत पर ,, एक्शन लेकर , दबाव बनाने वालों , धमकियां देने वालों के ,खिलाफ , कोई भी निर्देश नहीं दिए है , गृह मन्त्रालय के विभागों ,, सी बी आई ,, ई डी , इनकम टेक्स वगेरा के किसी भी मंत्रालय उनके  मंत्रियों के खिलाफ कोई ,, एक्शन नहीं लिया है ,माफ़ी नहीं मांगी है , चलो मुख्यमंत्री साहिब , प्रधानमंत्री साहिब तो , सियासी हैं , वोह तो सियासत खेल रहे हैं , उन्हें , लोकतंत्र की हत्या की फ़िक्र नहीं हैं , वोह तो , सरकारी विभागों को इंट्रूमेंट के रूप में इस्तेमाल कर रहे है , लकिन स्वतंत्र , निष्पक्ष चुनाव के लिए ज़िम्मेदार , निर्वाचन आयोग , क्यों चुप्पी साधे बैठा है ,,,क्यों तमाशा देख रहा है , उसके अपने विधिक कर्तव्यों के निर्वहन के तहत ,, चुनाव आयोग ने ,  मुक़दमा दर्ज करने के आदेश क्यों नहीं दिए , क्यों खुद चुनाव आयोग ने मॉनिटरिंग कर , ऐसे दबाव बनाने वालों को गिरफ्तार करवाने की पहल नहीं की ,, चुनाव आयोग तो अब ,, जो है ,जैसा दिख रहा है ,, लोग समझ गए ,, देश देख रहा है ,  लकिन ज़रा ज़रा से मामलों में  सो मोटो संज्ञान लेकर , जन हित याचिका स्वीकार कर ,  कार्यवाही करने वाले  न्यायालयों के संज्ञान में यह गंभीर बात नहीं , मानवाधिकार आयोग , इस मामले में चुप है ,, अजीब लोकतंत्र , है , अजीब तमाशा ,है  यहां लोग जी तो रहे है , लेकिन सिर्फ मुदा बनकर ,, गुलाम बनकर ,, सिर्फ अपने खाने के लिए , , उन्हें देश की फ़िक्र नहीं , उन्हें देश के  लोकतान्त्रिक मूल्यों की सुरक्षा की चिंता नहीं , उन्हें देश के संविधान , देश के  क़ानून की  धज्जीयां उड़ाने की चिंता नहीं , उन्हें  फ़िक्र है , अपनी पार्टी की , अपने आक़ा बनाये गए , नेताओं की ,,,  चलो विधायिका नाकारा , कार्यपालिका नाकारा ,, और नाकारा ,, ,लेकिन , सो कोल्ड  चौथा स्तम्भ ,, क्यों खामोश है ,, क्यों देश के  लोकतंत्र के साथ खुले आम बलात्कार होते देख रहा है , क्यों लोकतंत्र को तार तार होते देख रहा है , यूँ  क्यूश्चनीक , इन्वेस्टिगेटिव , पीछा करके , सच निकालने की  पत्रकारिता नहीं कर रहा है ,, क्यों , आखिर यह  मीडिया ,  लोकतंत्र को तार तार करने वालों की हाँ में हाँ मिला रहा है ,, आप चुप  क्यहूँ है , में चुप क्यों हूँ ,, वोटर ऐसे मामलों में , छद्म लोकतंत्र के मुहाफिजों को सबक़ क्यों नहीं चुकाता है , बात साफ़ है , के लोकतंत्र मर रहा है , लोकतंत्र मर गया है ,, स्तम्भ चाहे कोई भी ,हो ,चाहे सो कोल्ड हो , इस लोकतंत्र में बस अराजकता के माहौल में हर स्तम्भ मज़े कर रहा है ,,  अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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