और वह तो क़ाबिले मलामत काम करता ही था और आद की क़ौम (के हाल) में भी निशानी है हमने उन पर एक बे बरकत आँधी चलायी (41)
कि जिस चीज़ पर चलती उसको बोसीदा हडडी की तरह रेज़ा रेज़ा किए बग़ैर न छोड़ती (42)
और समूद (के हाल) में भी (क़ुदरत की निशानी) है जब उससे कहा गया कि एक ख़ास वक़्त तक ख़ूब चैन कर लो (43)
तो उन्होने अपने परवरदिगार के हुक्म से सरकशी की तो उन्हें एक रोज़ कड़क और बिजली ने ले डाला और देखते ही रह गए (44)
फिर न वह उठने की ताक़त रखते थे और न बदला ही ले सकते थे (45)
और (उनसे) पहले (हम) नूह की क़ौम को (हलाक कर चुके थे) बेशक वह बदकार लोग थे (46)
और हमने आसमानों को अपने बल बूते से बनाया और बेशक हममें सब क़ुदरत है (47)
और ज़मीन को भी हम ही ने बिछाया तो हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं (48)
और हम ही ने हर चीज़ की दो दो कि़स्में बनायीं ताकि तुम लोग नसीहत हासिल करो (49)
तो ख़ुदा ही की तरफ़ भागो मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ़ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ (50)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 अप्रैल 2021
और वह तो क़ाबिले मलामत काम करता ही था
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