आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

10 अप्रैल 2021

तुम कह दो कि (अच्छा) तुम भी इन्तेज़ार करो मैं भी इन्तेज़ार करता हूँ

 तुम कह दो कि (अच्छा) तुम भी इन्तेज़ार करो मैं भी इन्तेज़ार करता हूँ (31)
क्या उनकी अक़्लें उन्हें ये (बातें) बताती हैं या ये लोग हैं ही सरकश (32)
क्या ये लोग कहते हैं कि इसने क़ुरान ख़ुद गढ़ लिया है बात ये है कि ये लोग ईमान ही नहीं रखते (33)
तो अगर ये लोग सच्चे हैं तो ऐसा ही कलाम बना तो लाएँ (34)
क्या ये लोग किसी के (पैदा किये) बग़ैर ही पैदा हो गए हैं या यही लोग (मक़लूक़ात के) पैदा करने वाले हैं (35)
या इन्होने ही ने सारे आसमान व ज़मीन पैदा किए हैं (नहीं) बल्कि ये लोग यक़ीन ही नहीं रखते (36)
क्या तुम्हारे परवरदिगार के ख़ज़ाने इन्हीं के पास हैं या यही लोग हाकिम हैं (37)
या उनके पास कोई सीढ़ी है जिस पर (चढ़ कर आसमान से) सुन आते हैं जो सुन आया करता हो तो वह कोई सरीही दलील पेश करे (38)
क्या ख़ुदा के लिए बेटियाँ हैं और तुम लोगों के लिए बेटे (39)
या तुम उनसे (तबलीग़े रिसालत की) उजरत माँगते हो कि ये लोग क़र्ज़ के बोझ से दबे जाते हैं (40)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...