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19 मार्च 2021

कोटा संभाग में यूँ तो महिलाओं के उत्पीड़न मामले लगातार बढ़ रहे है ,, सजाये भी हो रही हैं , गिरफ्तारियां भी हो रही है , लेकिन इसके बावजूद भी ,, उप अधीक्षक स्तर पर , महिला अधिकारीयों के होने के बावजूद भी उन्हें पदस्थापित नहीं करने से , महिला अत्याचार मामलों में , सुनवाई में ढील पोल , महिलाओं के साथ ज़्यादती की घटनाये बढ़ी है

 

कोटा संभाग में यूँ तो महिलाओं के उत्पीड़न मामले लगातार बढ़ रहे है ,, सजाये भी हो रही हैं , गिरफ्तारियां भी हो रही है , लेकिन इसके बावजूद भी ,, उप अधीक्षक स्तर पर , महिला अधिकारीयों के होने के बावजूद भी उन्हें पदस्थापित नहीं करने से , महिला अत्याचार मामलों में , सुनवाई में ढील पोल , महिलाओं के साथ ज़्यादती की घटनाये बढ़ी है ,, सुकेत में एक नाबालिग बच्ची के साथ जो , सामूहिक घृणास्पद , दिल दहला देने वाली घटना गठित हुई है ,जिस घटना में ,झालावाड़ पुलिस , कोटा देहात पुलिस के कई पुलिस सिस्टम से जुड़े लोग ,, लापरवाह रहे , उन्हें सज़ा भी मिली , मामला हाइलाइट हुआ , सुर्ख़ियों में आया , भाजपा ने इसे राजनीतिक महिला उत्पीड़न का मुद्दा बना कर , लपक लिया , कमेटियां बनीं , बाल संरक्षण समिति सदस्यों ने जांच की ,फिर बाल कल्याण सरक्षण आयोग की अध्यक्ष ,, संगीता बेनीवाल का आज धुँआ धार दौरा रहा , प्रशासन हर तरह से कोशिशों के बाजवूद भी लापरवाह रहा ,, पुलिस अधिकारीयों की ऐसे मामलों में घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो , इसके लिए कोइ मंथन , कोई चिंतन नहीं हुआ है , अभी हाल ही में , महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए , ,महिला दिवस पर , कोटा ग्रामीण ,महिला उत्पीड़न थाने को पुरुष कर्मचारी मुक्त कर , थानाधिकारी से लेकर हर स्तर पर , महिला पुलिस कर्मियों को नियुक्त कर , एक आदर्श स्थापित किया था , होना भी चाहिए ,, महिलाये , ,किसी पुरुष से ,,बहादुरी , अनुसंधान , या किसी भी व्यवस्था में पीछे नहीं हैं ,, उन्हें मौक़ा मिलना ही चाहिए ,, भारत के सुप्रीमकोर्ट ने महिलाओं के अपराध और प्रताड़ना मामले में अलग अलग फैसलों में , विशिष्ठ गाइड लाइन जारी कर सरकारों को पाबंद किया है ,, सुप्रीम कोर्ट के कामकाजी महिलाओं के मामले में निर्देश है , तो प्रकरण की सुनवाई के दौरान ,अदालतों में महिला जज , महिला रीडर , महिला लोक अभियोजक के समक्ष विचारण के निर्देश हैं , कहने को पोक्सो कोर्ट हैं , लेकिन हर कोर्ट में , महिलाएं नहीं , पुरुष अधिकारीयों को नियुक्त किया हुआ है ,जबकि पारिवारिक न्यायालय , घरेलू हिंसा मामलात , महिला उत्पीड़न जैसी कोर्ट्स में भी ,, महिलाओं की नियुक्तियां होना अब बंद सी हो गयी हैं , खेर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश ,हैं महिला अधिकारीयों की नियुक्ति में , हाईक्रोट के पास अधिकारीयों की कमी है ,, लेकिन प्रताड़ना के मामलों में अनुसंधान को लेकर ,, महिलाओं के फरियादी , प्रताड़ित होने पर ,, महिला पुलिस अधिकारीयों के हाथ में ही सीधा अनुसंधान हो , तू बेहतर इंसाफ हो सकता है ,, कोटा में उमा शर्मा ,, कल्पना सोलंकी सहित , कई पुलिस अधिकारी हैं ,, कई निरीक्षक , उप निरीक्षक , सहायक पुलिस निरीक्षक स्तर पर ,, बेदाग छवि , चुस्त दुरुस्त , इंटेलिजेंट पुलिस अधिकारी हैं , लेकिन उनका उपयोग , महिला उत्पीड़न मामलों की जांच , सुनवाई ,महिलाओं को क़ानून के प्रति सद्विश्वास देने के मामले में कोई पहल नहीं की गयी है ,, महिला थानों पर पुलिस अधिकारीयों को लगाना अलग बात हैं , वहां सामान्य मामले दहेज़ वगेरा के होते है , अधिसूचना के मुताबिक़ तो , महिला उत्पीड़न संबंधित मामले , चाहे पोक्सो , चाहे छेड़छाड़ , चाहे अस्मत लूटने के हों ,, महिला थानों का ही क्षेत्राधिकार होना चाहिए , लेकिन यह सब रस्म बन कर रह गया है , और सिर्फ यहां दहेज़ संबंधित मामले ही दर्ज होकर , समझाइश ,सेटलमेंट , या फिर चालान की रस्म अदायगी चल रही है ,, कोटा में उप अधीक्षक स्तर पर भी , फील्ड पोस्टिंग में ,, कल्पना सोलंकी ने बेहतर काम करके दिखाया है ,, हाल ही में कोटा ग्रामीण में उप अधीक्षक को हटाया गया है ,, वहां या कहीं भी फिल्ड पोस्टिंग में , महिला मामलात सुनवाई में , एक महिला , प्रताड़ित महिला , उस महिला अधिकारी तक , भरोसे के साथ , अपनी हर बात , हर दुःख दर्द कह सके , ऐसी भरोसे की नियुक्तियां भी होना चाहियें ,, अभी ताथेड़ के ,, मामले में केथून थाने पर ,, एक पीड़िता के चक्कर काटने की शिकायत है , एक पीड़िता और लगातार अपने भाइ के साथ जाती है ,, खुद उसके भाई को अपराधी बनाया जाता है ,, मामला छेड़छाड़ , पोक्सो का होता है , लेकिन शांति भंग ,एफ आर , या फिर क्रॉस केस में मामला समेट दिया जाता है ,, सुकेत में एक नाबालिग बालिका के साथ दिल दहलाने वाली यह घटना , ,कोटा पुलिस रेंज के अधिकारीयों के लिए एक सबक़ होना चाहिए , और कोटा रेंज के पुलिस अधिकारी इस घटना के अनुसंधान , केस ऑफिसर स्कीम के साथ , मुल्ज़िमों को सज़ा दिलवाने की कोशिशों में ,, एक सबक़ सिखाने वाली कार्यवाही करें , तो ठीक रहेगा , जबकि भविष्य में ,ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो ,, महिला की हर शिकायत को कचरे की टोकरी में डालने की जगह ,, सूक्ष्म तरीके से , वैज्ञानिक तरीके से , उसकी सुनवाई हो , उसकी शिकायत का अनुसंधान हो ,तुरंत शिकायत पर प्रसंज्ञान हो , तो महिलाओं को झूंठा फंसाने की कोशिशों की पुलिस अधिकारीयों के खिलाफ शिकायतों में भी ,, कार्यवाही हो ,, महिलाओं को त्वरति इंसाफ मिले , खासकर , अबोध बालिकाए ,, नाबालिग सहमी बेटियों को , एक वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी की उप अधीक्षक स्तर और इससे ऊँचे स्तर पर नियुक्त करने , उसे ज़िम्मेदारी देने से उनका विश्वास बढ़ेगा ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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