दोस्तों , आलोचना , और अपमानकारी , अराजक लेखन ,, दोनों में फ़र्क़ है ,, इस फ़र्क़ को , हमारे देश वासियों को समझना होगा , फ़र्ज़ी , फेक आई डी बनाकर किसी को अपमानकारी लेख लिख कर , नफरत भड़का कर , किसी को गालियां लिखकर , कोई भी शख्स महान नहीं होता , एक दिन पकड़ा ज़रूर जाता है ,,, एक महाशय संजय गुप्ता , ,आई डी ओरिजनल भी है , या फ़र्ज़ी ,, लेकिन वोह रोज़ बेहूदा गालियों के साथ , अपनी बात कहने के लिए विडिओ डाउन लोड कर रहे है , ऐसे कई दिमागी बीमार है ,, गुस्ताखी यह है के ऐसे लोग , अनवांटेड तरीके से , टेग भी करने लगे है ,, ऐसे लोगों के साथ क़ानूनी तोर पर किसी भी तरह की रियायत हरगिज़ नहीं होना चाहिए ,,, किसी भी मामले में ,सियासी हो , या फिर सामाजिक , आलोचना का एक तरीक़ा है , तहज़ीब है , आलोचना सुधार के लिए होती है , विरोध के लिए होती है ,, ,अपना विचार बेहतर है यह बताने के लिए होती है ,, किसी को गाली देने , किसी का अपमान करने के लिए नहीं ,, या फिर नफरत भड़काने की साज़िशें हरगिज़ हरगिज़ नहीं ,,, फेक आई डी से बेहूदा पोस्टें करना तो अलग बात है ,, लेकिन कुछ मानसिक रोगी तो उस वक़्त हदें पार कर देते हैं , जब अपनी अपनी , पार्टी की वैचारिक गुलामी में ,दूसरी पार्टियों के नेताओं के लिए अपमानकारी नाम , अपमानकारी ,, अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल करते है ,, कोई किसी एक आँख वाले को , कुछ कहता है ,कोई किसी जुबांन लड़खड़ाने वाले को कुछ कहता है , कोई कुछ कबूतर , मोर खिलाने वाले ,कपड़े बदलने वाले , दाढ़ी बढ़ाने वाले को कुछ कहता है ,, अफसोसनाक माहौल है , यह देश जो संस्कारों का देश है ,, यह देश जो मर्यादा पुरुषोत्तम , राम का देश है , यह देश जो अमन के पुजारी , ख्वाजा गरीब नवाज़ का देश है , यहां साधू संत ,, मौलवी , मुल्ला , मुफ़्ती , जो गैर सियासी है , उनका अपना इतिहास है , अपना सम्मान है , इस देश के अपने संस्कार हैं , यहां इस संस्कार को जो भी बदनाम करने की साज़िश करे ,वोह चाहे में हूँ , या फिर आप , इस देश के वफादार हरगिज़ नहीं हो सकते ,, बात तार्किक हो ,तथ्यात्मक हो , व्यवस्थित हो , तहज़ीब , अदब के दायरे में हो ,, तो देश में सुधार हो सकता है ,, लेकिन एक मानसिक रोगी की तरह किसी की शारीरिक बनावट ,, किसी के कपड़े , किसी की शक्ल , किसी के बोलने के अंदाज़ ,, किसी की क़द काठी , वगेरा ,वगेरा की अगर आलोचना उनमे खामियां निकाल कर कोई करता है , तो वोह निश्चित तोर पर न तो किसी समाज का संभ्रांत व्यक्ति है , न किसी सियासी पार्टी का प्रचारक , या फिर पार्टी का नेता ही हो सकता है ,, दोस्तों ,, आलोचना इस देश का संवैधानिक अधिकार है , लेकिन दूसरे व्यक्ति का भी ,,सम्मान से जीने का अधिकार है ,, अगर कोई व्यक्ति , मुख्यमंत्री ,, मंत्री , विधायक , सांसद , प्रधानमंत्री , प्रतिपक्ष नेता ,पार्टी के नेताओं की इस तरह की आलोचना करते है , तो देश भर में ऐसे लोगों के बहिष्कार का अभियान चलना ,चाहिए , , क़ानूनी प्रावधानों के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ ,, मुक़दमे दर्ज करवाकर , इन्हे जेल का रास्ता दिखाने की मुहीम चलाना चाहिए , ऐसा कोई भी व्यक्ति जो भाजपा का हो , कांग्रेस का हो ,, आप पार्टी का हो ,,बसपा , सपा , तृणमूल का हो ,किसी पार्टी का हो ,समाज का हो ,, धर्म का हो ,, अगर वोह ऐसा करता है ,तो उसके लिए अक्षम्य अपराध होना ही चाहिए , हम इस सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चों को ऑन लाइन परीक्षाएं ,, मनोरंजन , ज्ञानवर्धक , सामग्रियां देने के पक्षधर है , इस पर अश्लीलता परोसकर , अभद्रता , गाली गलोच परोस कर ,, अराजकता का माहौल ,नफरत का माहौल परोस कर , अगर कोई ऐसा करता है , तो वोह इस देश का नागरिक नहीं हो सकता ,इस देश का वफादार नहीं हो सकता ,ऐसे लोगों को क़ानून तोड़ने के मामले में ,, सज़ा ज़रूर होना ही चाहिए ,,, लेकिन अगर तार्किक अल्फ़ाज़ों के साथ ,तथ्यों के साथ ,विधि नियम के दायरे में ,, तहज़ीब की जुबांन में अगर कोई रचनात्मक ,, आलोचना करता है , तो उसे सुनना चाहिए , पढ़ना चाहिए , समझना चाहिए , इस [पर विचार करना चाहिए ,, स्वीकार करना चाहिए , ऐसे आलोचकों का सम्मान करना चाहिए ,, ऐसे लोगों को समूह बनाकर , उन्हें बुरा भला कहना , उनके खिलाफ मुक़दमे दर्ज करना इस देश की ससंकृति , इस देश की विधिक व्यवस्था , संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है ,, इस पर संसद को ,, सांसदों को ,सरकारों को ,, चिंतन मंथन करना चाहिए , क़ानून में और बदलाव लाने ,चाहिए ,,,,, लेकिन क्या हम ,, वोटों की गंदी सियासत के चलते , सियासी पार्टियों का साम्राजयवाद की गंदगी के चलते , यह सब निष्पक्ष तरीके से करने के लिए प्रयास सकेंगे ,, इसका जवाब किसी से मत तलाशो , खुद अपने गिरेहबान में झाँक कर , खुद अपने धड़कते दिल में , भारत के सम्मान को , भारत की ससंकृति की रूह , से पूंछो , हम इस मामले में कितने सफल , कितने असफल है ,, और असफल है , तो हम दो क़दम , इस तरफ सुधार के प्रयासों के साथ चल कर तो देखें ,, रास्ता मुश्किल ज़रूर है ,, कांटो भरा ज़रूर है , लेकिन ,, इस रास्ते पर चलना ना मुमकिन भी नहीं ,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 फ़रवरी 2021
दोस्तों , आलोचना , और अपमानकारी , अराजक लेखन
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