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27 फ़रवरी 2021

सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला (वही) है

 सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला (वही) है उसी ने तुम्हारे लिए तुम्हारी ही जिन्स के जोड़े बनाए और चारपायों के जोड़े भी (उसी ने बनाए) उस (तरफ़) में तुमको फैलाता रहता है कोई चीज़ उसकी मिसल नहीं और वह हर चीज़ को सुनता देखता है (11)
सारे आसमान व ज़मीन की कुन्जियाँ उसके पास हैं जिसके लिए चाहता है रोज़ी को फराख़ कर देता है (जिसके लिए) चाहता है तंग कर देता है बेशक वह हर चीज़ से ख़ूब वाकि़फ़ है (12)
उसने तुम्हारे लिए दीन का वही रास्ता मुक़र्रर किया जिस (पर चलने का) नूह को हुक्म दिया था और (ऐ रसूल) उसी की हमने तुम्हारे पास वही भेजी है और उसी का इबराहीम और मूसा और ईसा को भी हुक्म दिया था (वह) ये (है कि) दीन को क़ायम रखना और उसमें तफ़रक़ा न डालना जिस दीन की तरफ़ तुम मुशरेकीन को बुलाते हो वह उन पर बहुत याक़ ग़ुज़रता है ख़़ुदा जिसको चाहता है अपनी बारगाह का बरगुज़ीदा कर लेता है और जो उसकी तरफ़ रूजू करे (अपनी तरफ़ (पहुँचने) का रास्ता दिखा देता है (13)
और ये लोग मुतफ़र्रिक़ हुए भी तो इल्म (हक़) आ चुकने के बाद और (वह भी) महज़ आपस की जि़द से और अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से एक वक़्ते मुक़र्रर तक के लिए (क़यामत का) वायदा न हो चुका होता तो उनमें कबका फैसला हो चुका होता और जो लोग उनके बाद (ख़़ुदा की) किताब के वारिस हुए वह उसकी तरफ़ से बहुत सख़्त शुबहे में (पड़े हुए) हैं (14)
तो (ऐ रसूल) तुम (लोगों को) उसी (दीन) की तरफ़ बुलाते रहे जो और जैसा तुमको हुक्म हुआ है (उसी पर क़ायम रहो और उनकी नफ़सियानी ख़्वाहिशों की पैरवी न करो और साफ़ साफ़ कह दो कि जो किताब ख़़ुदा ने नाजि़ल की है उस पर मैं ईमान रखता हूँ और मुझे हुक्म हुआ है कि मैं तुम्हारे एख़्तेलाफात के (दरमेयान) इन्साफ़ (से फ़ैसला) करूँ ख़़ुदा ही हमारा भी परवरदिगार है और वही तुम्हारा भी परवरदिगार है हमारी कारगुज़ारियाँ हमारे ही लिए हैं और तुम्हारी कारस्तानियाँ तुम्हारे वास्ते हममें और तुममें तो कुछ हुज्जत (व तक़रार की ज़रूरत) नहीं ख़़ुदा ही हम (क़यामत में) सबको इकट्ठा करेगा (15)
और उसी की तरफ़ लौट कर जाना है और जो लोग उसके मान लिए जाने के बाद ख़ुदा के बारे में (ख़्वाहमख़्वाह) झगड़ा करते हैं उनके परवरदिगार के नज़दीक उनकी दलील लग़ो बातिल है और उन पर (ख़ु़दा का) ग़ज़ब और उनके लिए सख़्त अज़ाब है (16)
ख़़ुदा ही तो है जिसने सच्चाई के साथ किताब नाजि़ल की और अदल (व इन्साफ़ भी नाजि़ल किया) और तुमको क्या मालूम शायद क़यामत क़रीब ही हो (17)
(फिर ये ग़फ़लत कैसी) जो लोग इस पर ईमान नहीं रखते वह तो इसके लिए जल्दी कर रहे हैं और जो मोमिन हैं वह उससे डरते हैं और जानते हैं कि क़यामत यक़ीनी बरहक़ है आगाह रहो कि जो लोग क़यामत के बारे में शक किया करते हैं वह बड़े परले दर्जे की गुमराही में हैं (18)
और ख़ुदा अपने बन्दों (के हाल) पर बड़ा मेहरबान है जिसको (जितनी) रोज़ी चाहता है देता है वह ज़ेार वाला ज़बरदस्त है (19)
जो शख़्स आख़ेरत की खेती का तालिब हो हम उसके लिए उसकी खेती में अफ़ज़ाइश करेंगे और दुनिया की खेती का ख़ास्तगार हो तो हम उसको उसी में से देंगे मगर आखे़रत में फिर उसका कुछ हिस्सा न होगा (20)

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