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21 फ़रवरी 2021

जिसकी आयतें समझदार लोगें के वास्ते तफ़सील से बयान कर दी गयीं हैं

सूरए हा मीम अस सजदह मक्का में नाजि़ल हुआ और इसमें चव्वन (54) आयतें और (6) रूकूउ हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
हा मीम (1)
(ये किताब) रहमान व रहीम ख़़ुदा की तरफ़ से नाजि़ल हुयी है ये (वह) किताब अरबी क़ुरआन है (2)
जिसकी आयतें समझदार लोगें के वास्ते तफ़सील से बयान कर दी गयीं हैं (3)
(नेकों कारों को) ख़़ुशख़बरी देने वाली और (बदकारों को) डराने वाली है इस पर भी उनमें से अक्सर ने मुँह फेर लिया और वह सुनते ही नहीं (4)
और कहने लगे जिस चीज़ की तरफ़ तुम हमें बुलाते हो उससे तो हमारे दिल पर्दों में हैं (कि दिल को नहीं लगती) और हमारे कानों में गिर्दानी (बहरापन है) कि कुछ सुनायी नहीं देता और हमारे तुम्हारे दरम्यिान एक पर्दा (हायल) है तो तुम (अपना) काम करो हम (अपना) काम करते हैं (5)
(ऐ रसूल) कह दो कि मैं भी बस तुम्हारा ही सा आदमी हूँ (मगर फ़र्क ये है कि) मुझ पर ‘वही’ आती है कि तुम्हारा माबूद बस (वही) यकता ख़़ुदा है तो सीधे उसकी तरफ़ मुतावज्जे रहो और उसी से बख़शिश की दुआ माँगो, और मुशरेकों पर अफ़सोस है (6)
जो ज़कात नहीं देते और आख़ेरत के भी क़ायल नहीं (7)
बेशक जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम करते रहे और उनके लिए वह सवाब है जो कभी ख़त्म होने वाला नहीं (8)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या तुम उस (ख़़ुदा) से इन्कार करते हो जिसने ज़मीन को दो दिन में पैदा किया और तुम (औरों को) उसका हमसर बनाते हो, यही तो सारे जहाँ का सरपरस्त है (9)
और उसी ने ज़मीन में उसके ऊपर से पहाड़ पैदा किए और उसी ने इसमें बरकत अता की और उसी ने एक मुनासिब अन्दाज़ पर इसमें सामाने माईश्त का बन्दोबस्त किया (ये सब कुछ) चार दिन में और तमाम तलबगारों के लिए बराबर है (10))

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