कोटा के विख्यात लेखक , पत्रकार ,,राजस्थान सरकार में स्वायत्तशासन विभाग में , केबिनेट मंत्री , शांति कुमार धारीवाल के विभाग कोटा नगर विकास न्यास के जनसम्पर्क विशेषाधिकारी ,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , के सह लेखक , अनुज कुमार कुच्छल द्वारा संयुक्त लेखन में लिखित पुस्तक ,, भारत की विश्व विरासत ,, देश भर के पर्यटकों के लिए एक गाइड है ,,एन्साइक्लोपीडिया है ,, मार्गदर्शिका है ,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल की यह पुस्तक ,,यूनेस्को की सूचि में भी शामिल की गयी है ,,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल यूँ तो किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है ,, पचास से भी अधिक पुस्तकों के लेखक , हज़ारो प्रकाशित लेख के लेखक ,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,, राजस्थान सरकार में जनसम्पर्क संयुक्त निदेशक पद से सेवानिवृत हुए है ,, वोह स्वतंत्र पत्रकार भी है ,, सिंघल , सकारात्मक लेखन के ज़रिये , कोटा सहित राजस्थान की विरासत को ,,,अपने लेख , अपनी पुस्तकों के माध्यम से ,, पठनीय ,,शोध ग्रंथ के रूप में प्रकाशित करवाते रहे है ,, लेखन , उनका व्यवसाय नहीं ,, लेखन डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का जुनुन है ,, वोह एक पारंगत लेखक के रूप में , जनसम्पर्क स्वभाव के तहत ,, हर घटना , हर इतिहास ,,खूबूसरत पर्यटन स्थलों को , अपनी लेखनी के माध्यम से ,, देश के कोने कोने में पहुंचा रहे है , इसी उद्देश्य से ,, वोह लगातार , लिख रहे है , लिख रहे है ,, इसी क्रम में , हिंदी भाषी पर्यटकों के लिए , देश भर की विरासत ,, की एक मार्गदर्शिका के रूप में ,, कम्पीटिशन छात्रों के ज्ञानवर्धन को दृष्टिगत रखते हुए ,,शोधार्थियों के लिए उपयोगी ,यह पुस्तक ,भारत की विश्व विरासत ,,, देश भर में बहुउपयोगी साबित हो रही है , पुस्तक की उपयोगिता , पुस्तक की ज्ञानवर्धक सामग्री , को जांच परख कर ,यूनेस्को के विशेषज्ञों ने ,, ,इसे अंतररष्ट्रीय पर्यटन में भारत का महत्व बढ़ाने के लिए इस पुस्तक को ,, यूनेस्को की सूचि में भी शामिल कर ,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल के लेखन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर , पुरस्कृत किया है ,, पुस्तक का प्रकाशन चौड़ा रास्ता जयपुर स्थित साहित्यागार , प्रकाशक द्वारा किया गया है ,, कूल 203 पृष्ट की इस पुस्तक में , आकर्षक चित्रों के साथ ,,देश हर की विरासत ,का ऐतिहासिक महत्व संक्षिप्त रूप में ज्ञानवर्धक जानकारियों के साथ , गागर में सागर बनाकर , भर दिया है ,,,उक्त पुस्तक लेज़र टाइपसेटिंग द्वारा टाइप की गयी है , जबकि इसके मुद्रक शीतल ऑफसेट जयपुर हैं ,,, पुस्तक का प्राकथन ,, प्रोफेसर डॉक्टर हुकम चंद जैन ,सेवनिवृत प्राचार्य महाविद्यायल कोटा द्वारा लिखा गया है ,,उक्त प्राकथन लेखक ,, कुम्भा पुरस्कार से सम्मानित है ,, पुस्तक का सारांश परिचय ,, भूगोल के गोल्डमेडलिस्ट , प्रमोद कुमार सिंघल द्वारा आलेखित किया गया है ,, जो ,बूंदी राजकीय महाविद्यालय में पूर्व प्राचार्य रह चुके है ,,,, पुस्तक के लेखनीय में , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,, सह लेखक , अनुज कुच्छल ने , परिचय लिखा है ,,, पुस्तक के कुल 38 खंडों में ,,, असम के मानस जंगली राष्ट्रिय अभ्यारण्य ,, काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क , बिहार के बोध गया में महाबोधि मंदिर ,, पुरातात्विक स्थल नालंदा विश्वविधयालय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी है ,, जबकि चंडीगढ के केपिटल बिलडिंग कॉम्प्लेक्स ली कोबुर्जिए की वास्तुकला को अंकित किए गया है ,,, दिल्ली की क़ुतुब मीनार सहित अन्य ऐतिहासिक स्मारक ,, हुमायूं का मक़बरा ,, लालकिले के बारे में ऐतिहासिक महत्व के साथ परिचय है ,, इसी तरह , गुजरात के अहमदाबाद के ऐतिहासिक नगर ,, चम्पानेर पावागढ़ , पुरातात्विक पार्क ,, रानी की वाव ,, गोवा के गिरजाघर एव मठ ,, हिमाचल के ग्रेट हिमालयन , राष्ट्रीय पार्क , सुरक्षित क्षेत्र ,, कर्नाटक के हप्पी स्मारक समूह ,, पत्तदकल समूह ,, , महाराष्ट्र की अजंता , एलोरा ,एलिफेंटा गुफाएं , छत्रपति शिवाजी टर्मिनल ,, विक्टोरिया गोथिक और आर्ट देखो असेम्ब्ल ,, मध्य्प्रदेश के खजुराहों स्मारक समूह , साँची के बौद्ध स्मारक ,, भीम टेका के चट्टानी निवास ,, के बारे में है , जबकि ओडिशा के कोणार्क का सूर्य मंदिर , पश्चिमी बंगाल के सुन्दर वन राष्ट्रिय उद्यान , पर्वतीय रेलवे के भारत के पर्वतीय रेलवे , नीलगिरि पर्वतीय रेलवे , दार्जिलिंग , कालका ,, शिमला रेलवे का ज़िक्र है ,, पश्चिमी घाट में कर्नाटक ,केरल ,तमिलनाडु , महाराष्ट्र के घाट है , राजस्थान के केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान ,, जयपुर के जंतर मंतर , जयपुर की चार दीवारी , राजस्थान के पहाड़ी दुर्गों में ,, आमेर ,चित्तोड़ , गागरोन ,जैसलमेर , कुम्भलगढ़ ,,, गागरोन ,, रणथम्भोर दुर्ग के हवाले है ,, सिक्किम के कंचन जंघा ,राष्ट्रिय पार्क ,, रिज़र्व बायोस्फियर , तमिलनाडु के महान जीवित चोल मंदिर , महबलीपुरम के स्मारक समूह , उत्तर प्रदेश में आगरा का ताजमहल ,आगरा का लाल क़िला ,, फतेहपुर सीकरी के बारे में है जबकि उत्तररखण्ड ,के नंदादेवी एवं फूलों की घाटी राष्ट्रिय पार्क का हवाला है , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल की इस पुस्तक को राष्ट्रिय स्मारकों ,पर्यटन महत्व की दृष्टि से ,, अंतर्राष्टीर्य स्तर पर बहुउपयोगी बनाने का सफल प्रयास रहा है ,, इसके लिए डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ,, सह लेखक , अनुज ,कुच्छल निश्चित तोर पर बधाई के पात्र है , लेकिन एक पुस्तक के निष्पक्ष समीक्षक के नाते , में ,, एक कहावत , चिराग तले अँधेरा ,, को याद दिला कर ,,पुस्तक की कुछ भूलों की आलोचना भी करूँगा ,, कोटा के लेखक ,, जयपुर के प्रकाशक होने के नाते ,, इस पुस्तक में ,, कोटा के मुकंदरा हिल्स अभ्यारण्य ,,, कोटा के विभीषण मंदिर , सांगोद के नहान ,, कंसुआ के ऐतिहासिक मंदिर ,, सहित , सेवन वंडर , गढ़ के म्यूज़ियम ,, अधर शिला ,, थेकडे के शिवजी के मंदिर ,, बूंदी का अविजित गढ़ ,, सहित अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज़ की ऐतिहासिक दरगाह , पुष्कर के ब्रहम्मा जी के मंदिर का अभी पर्यटन , धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से ज़िक्र होता , तो बहुत अच्छा होता ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 फ़रवरी 2021
डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , के सह लेखक , अनुज कुमार कुच्छल द्वारा संयुक्त लेखन में लिखित पुस्तक ,, भारत की विश्व विरासत
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